हम सफेद झूंठ का बोझ लिए,
मनुष्य जीवन को बदल दिये।
सत्य का मार्ग हम छोड़ हैं चुके ,
सफेद झूंठ के जाल ऐसे फंसे ।
अच्छाई का रास्ता हम भूल गए,
धन-दौलत की भीख में डूब गये।
सच्चाई के प्रति हम अनदेखे थे,
सफेद झूंठ माया को ही सीखे थे ।
परंपराओं और धर्म की प्रतिमा,
सफेद झूंठ के बंधन में है बांधी।
आत्मा का विकास थम सा गया,
सफेद झूंठ के जग से बंध गया।
स्वरचित डा.विजय लक्ष्मी