पहला प्यार जब दिल में दस्तक देता है,
आंखों में नए ख्वाबों का सूरज उगता है।
वो अनकही बातें, वो चुप्पी की आवाज़,
वो लम्हे मानो नए सुरों का सरगम साज़।
दिल धड़कता है तो उनका नाम लेता है,
हर खुशी, हर ग़म उन्हीं से बंध जाता है।
पहली नज़र का जादू, हंसी की मिठास,
हर बात में छिपी होती,जीवन की आस।
वो पहली छूअन, मुस्कान की थिरकन,
मानो सारा जहाँ करता ताकधिनाधिन।
वो हसीन पल,जब वक्त भी रुक जाए,
दिल की धड़कन में बस प्रिय ही समाए।
पहले प्यार,का अद्भुत अनछुआ एहसास,
सब कुछ खोकर भी लगता सिक्त खास।
वो अहसास जो उम्र भर याद रह जाता है,
पहला प्यार , दिल में छाप छोड़ जाता है।
पहला प्यार जब दिल में उतर सा जाता है,
हर सांस में एक नया ख्वाब बुन जाता है।
आंखों में रौशनी, होठों में हंसी दिखाता है
बिना उसके हर लम्हा वीराना हो जाता है।
उसकी बातों में थी वो जादू की सी फुहार,
हर शब्द जैसे खुद दिल से करता इकरार।
नज़रों का मिलन, फिर नज़रें झुक जाना,
ऐसा लगता जैसे वक्त से मिला नजराना।
दिल की सांसों में उसके नाम का स्पन्दन,
हर धड़कन में उसकी आहट महके चन्दन।
मौन भी सरगोशी कर कैसे मुखर हो जाता,
वे खामोशी भी मानो मधु यामिनी सरसाता।
रातें लंबी हो जाती उसके मीठे ख्यालों में,
दिन सिमट जाता था उसके मूक सवालों में।
बिन कहे सब कुछ कह दिया था मानो उसने,
बिन सुने, दिल ने सब सुन लिया था अपने।
वो पहला प्यार जो कभी भूला नहीं जाता,
दिल के हर कोने में अब तक भिगोये जाता।
उसकी खुशबू से अब भी महकता है जहां,
पहला प्यार है,जो सदा रहता दिल में जवां।
स्वरचित डॉक्टर विजय लक्ष्मी
"अनाम अपराजिता"