रक्षासूत्र बांधना मात्र अंधानुकरण नहीं है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। आयुर्वेद के प्राचीन ग्रन्थों मे उल्लेख है ।
वैज्ञानिक कारण ******
अधिकतर अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर गुजरती है और यहीं पर तीनों नाडिया भी होती है (इडा पिंगला और सुषुम्ना)।
यहां रक्षा सूत्र बांधने से नसों का नियंत्रण रहता है त्रिदोष ( वात पित्त कफ दोष) संतुलित रहता है यह जीवन को संकटों से बचाता है ।
मनोवैज्ञानिक कारण
पवित्र और शक्तिशाली बंधन का एहसास होने से मन में एक प्रकार की शांति व पवित्रता प्रवाहित होती है ।फलस्वरूप बुरे विचार नहीं आते हैं । मन गलत रास्ते पर नहीं भटकता है । सत्कार्यों में जाने की प्रेरणा मिलती है । गलत संगति को रोका है
रक्षासूत्र को बांधने का तरीका
1-----इसे तीन बार कलाई मे लपेटा जाना चाहिए। ये तीन सूत्र( ब्रह्मा विष्णु महेश) और (सरस्वती लक्ष्मी पार्वती) त्रिशक्तियों के प्रतीक हैं ।
बृह्मा-----कीर्ति
विष्णु----रक्षा,पालन-पोषण
शिव-----आध्यात्मिकता
लक्ष्मी---धन
दुर्गा ---शक्ति
सरस्वती---विद्या
2-----पुरुष व कुमारी कन्या दाहिने हाथ में बांधती हैं ।शादीशुदा महिलाएं बाएं हाथ में बांधती है । अब बहुत से लोगो के मन मे प्रश्न होगा कि महिलाओ को राखी बांधी ही नही जाती ।नहीं ऐसा नहीं है।
भारत के कई हिस्सों में राखी भाइयों की कलाई के साथ-साथ भाभियों को भी बांधी जाती है जिसे लुंबा राखी कहते हैं लुंबा राखी बांधने की यह परंपरा सबसे ज्यादा राजस्थान के मारवाड़ी परिवारों में चलती है पर अब भारत के कई हिस्सों में देखा देखी व टीवी के प्रचार-प्रसार के कारण यह ट्रेंड काफी प्रचलित हो रहा है ।
लुंबा राखी भाभियों की चूड़ियों में बांधी जाती है ।यह राखी रिश्तो में प्रेम की प्रतीक होती है । जब बहन अपने भाई से रक्षा का वचन लेती है तो भाभी को भी भाई के साथ मिलकर वचन निभाना पड़ता है इसलिए लुंबा राखी का बेहद खास महत्व है ।क्योंकि गृहस्थ जीवन मे दोनो के कर्तव्य व अधिकार बराबर के माने जाते है और बहिन का दायित्व भी दोनो की शुभता व खुशहाली ही होती है।
3-----मुट्ठी बंद होना चाहिए दूसरा हाथ सिर पर या कोई वस्त्र से सिर ढका होना चाहिए ।सुहागिन भाभी का सिर लाल या पीली चुन्नी से ढका हो ।
1----सूत की डोरी में भगवान का अदृश्य रूप से वास होता है जो आने वाली विपत्तियों से बचाता है
2---- कुछ स्थानो मे भेड़ की ऊन से भी राखी बनाते हैं ।
3----रेशम भी आध्यात्मिकता वृद्धि मे सहायक होता है ।
आज तो आधुनिक युग मे कलात्मक राखियां प्लास्टिक, कागज, प्लास्टिक मोती टिन के टुकड़ो से बनी आती है जो निराधार होती है जीवन को किसी प्रकार की प्रेरणा संतुलन व मजबूती प्रदान करने मे सक्षम नही होती । रिश्तो मे भी असर डाल खोखला ही करती है ।
रक्षासूत्र के भेद
रक्षा सूत्र सात प्रकार के होते हैं ।
1---विप्र रक्षा सूत्र ****
इसे पंडित जी या परिवार के पुरोहित किसी धार्मिक या विशेष कर्म काण्ड के पश्चात पूजन मे उपस्थित लोगो को आशीर्वाद स्वरूप मन्त्र बोलते हुए बांधते हैं ।
2 ---गुरु रक्षा सूत्र *******
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः , गुरुरेव महेश्वरः। गुरुरेव परब्रम्ह , तस्मै श्री गुरवे नमः।।
गुरू को साक्षात ब्रह्मा,विष्णु व महेश का स्वरूप माना गया है । गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु अपने शिष्यों को रक्षा सूत्र , उनकी मनोकामना पूर्ति के आशीर्वाद व संकल्प बद्ध करने के लिए कल्याणार्थ बांधते हैं तथा अपना गुरु मंत्र भी देते हैं।
3--- मातृ पित्तृ रक्षा सूत्र ****
इसे गण्डक भी कहते हैं । जिन्होंने कालिदास की अभिज्ञान शाकुंतलम् पढ़ी होगी वह भरत के गले में पहने हुए गंडक शब्द से परिचित ही होंगे ।
हमारे गांवो मे बुरी नजर (नकारात्मकता से बचाने के लिए बच्चो को गले मे काला धागा या राशि अनुसार माता- पिता या कोई बड़ा बांधते हैं । बच्चे की छठी या बरहौं संस्कार के दिन घर के बुजुर्ग या बुआ हाथ गले व कमर के लिए धागा लाती है उसको कमर पेटी मेखला करधनी या छूटा के नाम से जाना जाता है ।हाथ का धागा पहुंची ।
आज ये भी आधुनिकता व मुद्रा मूल्यांकन की भेट चढ़ सोने चांदी के हो गये हैं निहित अर्थ असहाय से हो गये हैं या फिर काली प्लास्टिक के मनके पिरोये हुए नजरिया कंगन के नाम से ।
यह कटिबद्ध रहने का प्रतीक है जैसे एक फौजी जवान कमर पेटी बांधता है । उस की यह पेटी चुस्ती मुस्तैदी निरालस्यता स्फूर्ति व कर्तव्य पालन के लिए तत्परता का प्रतिनिधित्व करती है । ये धागा बांधने के दो उद्देश्य होते हैं
1--एक तो जीवन पथ के संकल्प में उद्यत करना ।
2--नकारात्मकता से बचाव
4---भातृ रक्षा सूत्र **********
रक्षाबंधन का पर्व इसी का प्रतीक है ।मैने सभी बाते प्रथम भाग मे विस्तृत रूप में दी हैं ।
5---स्वसृरक्षा सूत्र ******
बहिन के लिए भाई द्वारा बांधा गया ।
जैसे भाभी को लुम्बा राखी बांधी जाती है । वैसे ही रक्षाबंधन के दिन भाई को भी अपनी बहन को रक्षासूत्र बांधनाघ चाहिये। यह इस बात का प्रतीक है कि वह अपनी बहन की रक्षाहेतु सदैव कटिबद्ध व तत्पर रहेगा । बहन द्वारा बांधी गई राखी भाई के अच्छे जीवन की सुख सौभाग्य की कामना हेतु होती है सत्कर्म मे लगने की प्रेरणा देती है और भाई द्वारा बांधा हुआ रक्षा सूत्र उसकी रक्षा का वचन देता है जिससे उसे मानसिक बल मिलता था ।
बहिन को घड़ी व अंगूठी जैसे उपहार का चलन इसी रक्षासूत्र के चिन्ह मात्र होकर रह गये हैं ।
6--- गौ रक्षा सूत्र **********
इस रक्षासूत्र के भी 2 उद्देश्य निहित हैं।
1--कोई नये खरीदे पशु को बुरी नज़र से बचाने के लिए गले मे गायत्री मंत्र या किसी अन्य मंत्र को पढ़कर बांधते हैं ।
2-- धार्मिक मान्यता के अनुसार गौमाता में सभी देवताओं का वास होता है तो अपनी मन्नत या संकल्प के पूरा करने हेतु गौ माता के गले में रक्षा सूत्र बांधा जाता है ।
7---वृक्ष रक्षा सूत्र *********
इसका स्वरूप देखने को हमें कुछ पर्वों में मिलता है जैसे सोमवती अमावस्या को महिलाएं 108 फेरी पीपल के वृक्ष में लगाती हैं ।कार्तिक मास में तुलसी विवाह के दिन या पूरे माह तुलसी माता की फेरी लगाती हैं । वट पूर्णिमा या वट अमावस्या को बरगद वृक्ष की 12 फेरी लगा कच्चा धागा बांधती हैं । कार्तिक मास की इच्छा नवमी या आंवला नवमी को आंवला वृक्ष की पूजा कर पति बच्चों सौभाग्य की कामना हेतु आंवला बृक्ष को कच्चे सूत्र को बांधती हैं । बिल्व (बेलपत्र ) व विजयादशमी कै दिन शमीवृक्ष की पूजन कर कच्चे सूत्र को सर्वविघ्न नाशन हेतु बांधती है ।इसके पीछे भी 2 उद्देश्य निहित है ।
1-- हमारी धार्मिक मान्यता के अनुसार हर वृक्ष में अलग-अलग देवताओं का वास माना गया है । हम अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु इन वृक्षों की उपासना कर रक्षा सूत्र बांधते हैं । जिससे हमें उनका आशीर्वाद प्राप्त हो 2-- दूसरा कारण वृक्ष व जनजीवन का आपस में घनिष्ठ संबंध है ।वृक्ष जलवायु को समशीतोष्ण करने व वर्षा के कारक है इससे उनकी सुरक्षा की भावना से बांधते है ।
आज तो बस सभी निहित अर्थ आधुनिकता या दिखावा की भेट चढ़ गये हैं या फिर परम्पराओं का मूल उद्देश्य ही नहीं पता ।इसका एक कारण संयुक्त परिवार का विखंडन भी हो सकता है ।
ये सब बातें मेरी दादी बताती थी यदि आपको सारगर्भित लगे तो समीक्षा दे अवश्य बताये कि बात मे सच्चाई है या नहीं ।
स्वरचित डा . विजय लक्ष्मी