मिडिल क्लास लाइफ अर्थात मध्यम वर्गीय परिवार की जिंदगी अब देखते हैं इनकी कुछ खास विशेषताएं ।
मध्यमवर्गीय लोगों को जीवन में कई तरह के संघर्षों का सामना करना पड़ता है। उन्हें अपनी शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य नौकरियों के लिए पैसे कमाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।
मध्यमवर्गीय लोगों के भी बड़े सपने होते हैं। वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं और उन्हें बेहतर जीवन प्रदान करना चाहते हैं।
मध्यमवर्गीय लोगों के लिए परिवार सबसे महत्वपूर्ण होता है। वे अपने परिवार के लिए हर संभव त्याग समर्पण करने को तैयार रहते हैं।
मध्यमवर्गीय लोग सदैव उम्मीद में जीते हैं। ये बखूबी जानते हैं कि अगर हम मेहनत करेंगे तो हम जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
मध्यम वर्ग भारत की रीढ़ है। ये लोग देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। हर छोटी-छोटी बचत में इनका ध्यान रहता है । महिलायें तो पुरुषों से चार कदम आगे रहती हैं।
शान्तनु, एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार का पुत्र था। उनके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे और माँ गृहिणी थीं। उनका जीवन संघर्षों से भरा था, लेकिन खुशियों से भी।
सुबह जल्दी उठकर, शांतनु स्कूल के लिए तैयार होता है। उसके बाद, उसके पिता ऑफिस गए और माँ घर के कामों में व्यस्त हो जाती है । स्कूल से लौटकर, शान्तनु अपना गृहकार्य करता है और थोड़ा खेलता है । शाम को, पूरा परिवार एक साथ खाना खाता और बातें करता है।
शान्तनु अपने दोस्तों के साथ खेलता या फिर परिवार के साथ भोजन करता है। कभी-कभी, वे सिनेमा भी देखने जाते थे।
शांतनु के माता-पिता उसे अच्छी शिक्षा देना चाहते थे। इसलिए, उन्होंने उसे एक अच्छे स्कूल में एडमीशन कराया । शान्तनु बहुत ही मेहनती था और सदैव अच्छे अंक लाता था।
बारहवीं कक्षा के बाद, शांतनु ने इंजीनियरी की पढ़ाई करने का फैसला किया। उसने कड़ी मेहनत की और आईआईटी में प्रवेश परीक्षा पास कर ली। आईआईटी में पढ़ाई करना शांतनु के लिए एक सपने के समान था।
पढ़ाई पूरी करने के बाद, शांतनु को एक अच्छी नौकरी मिल गई। उसने अपने माता-पिता का सपना पूरा कर दिया था।
शांतनु अब एक सफल इंजीनियर था। उसकी शादी हो गयी और उसका खुद का परिवार शुरू हो गया । वह भी अपने माता-पिता की तरह जीवन की जद्दोजहद में लग गया था । कभी बच्चों की फीस ,कभी घरेलू खर्च, कभी मां-बाबू जी की दवा । उसके पिता से उसकी सैलरी तिगुनी अवश्य थी पर महंगाई और खर्चे चौगुनी हो चुके थे ।
शान्तनु इन्हीं सब चिंताओं में डूबा था तभी उसकी पत्नी नलिनी ने कंधे में हाथ रखते हुए कहा क्यों परेशान हो ईश्वर पर भरोसा रखो सब ठीक हो जायेगा । तभी बेटे और बेटी ने गले लग कहा पापा जी आप चिंता न करिये हम दोनों भी खूब मेहनत से आपकी तरह स्कॉलरशिप ले पढ़ाई करेंगे । बस मध्यमवर्ग का यही जज्बा उसे जीने की राह दिखा देता है ।
भले ही शान्तनु का जीवन कभी आसान नहीं रहा, परन्तु उसने हमेशा संघर्ष जारी रखा। अपनी मेहनत और लगन से, उसने जीवन में सफलता हासिल की और अपने परिवार को एक बेहतर जीवन प्रदान किया ,यही सीख उसके बच्चों को भी मिली।
यह कहानी सिर्फ शान्तनु की नहीं है, बल्कि लाखों मध्यमवर्गीय लोगों की कहानी है। इन लोगों का जीवन भले ही कठिनाइयों से भरा हो, लेकिन ये लोग हार नहीं मानते। वे निरंतर मेहनत करते हैं और अपने सपने को पूरा करने का प्रयास करते हैं।
स्वरचित डा.विजय लक्ष्मी