शरद पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे विशेष रूप से उत्तर भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन शरद ऋतु के पूर्ण चंद्रमा की रात को होता है, और इसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन का धार्मिक, सांस्कृतिक और पौराणिक महत्व है, जो स्वास्थ्य, समृद्धि और प्रेम से जुड़ा हुआ है।
पौराणिक महत्व:
1. लक्ष्मी पूजन: शरद पूर्णिमा को देवी लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस रात को देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और उन लोगों को आशीर्वाद देती हैं जो जागते रहते हैं और उनकी आराधना करते हैं। इस कारण इसे "कोजागरी पूर्णिमा" भी कहते हैं, जिसका अर्थ है "कौन जाग रहा है?"।
2. चंद्रमा का विशेष महत्व: इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं में पूर्ण होता है, और उसकी किरणों में अमृत समान गुण होते हैं। प्राचीन मान्यता के अनुसार, इस रात को चंद्रमा की किरणों से स्वास्थ्य और आयु में वृद्धि होती है। लोग रात में खीर बनाकर उसे चंद्रमा की रोशनी में रखते हैं ताकि उसमें चंद्रमा की किरणों का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।
3. कृष्ण और गोपियों का रास: शरद पूर्णिमा की रात को भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ वृंदावन में महारास किया था, जिसे रासलीला कहा जाता है। यह प्रेम, भक्ति और अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव का प्रतीक है। इसलिए इस रात को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
4. अमृत वर्षा: एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को स्वर्ग से अमृत वर्षा होती है, जिससे पृथ्वी पर सुख, समृद्धि और शांति का विस्तार होता है। इस दिन चंद्रमा की किरणों में विशेष औषधीय गुण होते हैं, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माने जाते हैं।
सांस्कृतिक महत्व:
1. खीर का प्रसाद: शरद पूर्णिमा की रात को दूध और चावल से बनी खीर चंद्रमा की किरणों में रात भर रखी जाती है और अगले दिन इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। यह माना जाता है कि इस खीर से स्वास्थ्य और समृद्धि में वृद्धि होती है।
2. संगीत और नृत्य: कुछ क्षेत्रों में इस रात को संगीत और नृत्य का आयोजन भी किया जाता है, विशेषकर ब्रज क्षेत्र में, जहां कृष्ण लीला और रासलीला का प्रदर्शन किया जाता है।
3. फसल कटाई का समय: शरद पूर्णिमा फसल कटाई के मौसम की शुरुआत का संकेत देती है। किसानों के लिए यह दिन अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह समृद्धि और बेहतर फसल के लिए प्रार्थना करने का समय होता है।
शरद पूर्णिमा का त्योहार आस्था, भक्ति, स्वास्थ्य और समृद्धि से भरपूर है। इस दिन चंद्रमा की पूजा और उसकी किरणों का आशीर्वाद लेने का विशेष महत्व है, जिससे मनुष्य को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
स्वरचित डॉक्टर विजय लक्ष्मी