महिला सशक्तिकरण एक ऐसा विषय है जो आज के समय में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह प्रक्रिया महिलाओं को उनकी सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, और व्यक्तिगत शक्तियों को पहचानने और उन्हें विकास के नए अवसर प्रदान करने की दिशा में बढ़ावा देती है। हमारे आदि ग्रंथों में नारी का महत्व माना गया है, यहां तक कहा गया है कि "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:" अर्थात जहां नारी की पूजा होती है, वहीं देवता निवास करते हैं।
नारी तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास रजत नग पग तल में🙏
( जयशंकर प्रसाद जी के शब्दों में)
विडम्बना ही कहनी चाहिए पुरुष को गढ़ने वाली सबला को अबला बना दिया जो जननी है, ईश्वर ने इतना बड़ा दायित्व दिया , नारी में इतनी शक्ति होने के बावजूद भी आज उसे कानूनी सहारे की आवश्यकता महसूस हो रही है यही दुर्भाग्य है ।
महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का अर्थ उनकी आर्थिक स्थिति, आय, संपत्ति और अन्य वस्तुओं की विशेषताओं से ही है, इन सुविधाओं को शामिल करते हुए वह अपने सामाजिक स्तर को ऊंचा कर सकती हैं।
राष्ट्र के विकास में महिलाओं के महत्व और अधिकार के बारे में समाज में जागृति के उद्देश्य से मातृ दिवस, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस आदि जैसे कई सारे कार्यक्रम सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं। महिलाओं को कई क्षेत्रों में विकास की आवश्यकता होती है।
भारतीय समाज में महिलाओं को मां, बहन, बेटी, पत्नी के रूप में सम्मान देने की परंपरा है लेकिन आज केवल यह एक ढोंग ही रह गया है।
महिला सशक्तिकरण का अर्थ
महिला सशक्तिकरण से तात्पर्य महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक बनाना, उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत करना, और उन्हें निर्णय लेने में सक्षम बनाना है। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो वे न केवल अपने परिवार और समुदाय की भलाई के लिए योगदान करती हैं, बल्कि वे समाज और देश की समृद्धि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती
सामाजिक सशक्तिकरण:
सामाजिक सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को उनके अधिकारों, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक करना। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, और कानूनी अधिकार शामिल हैं। शिक्षा एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद करता है। जब महिलाएं शिक्षित होती हैं, तो वे अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर निर्णय ले सकती हैं।
आर्थिक सशक्तिकरण:
महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना जरूरी है। इसके लिए महिलाओं को व्यापार, उद्यमिता और स्वरोजगार में सक्षम बनाना आवश्यक है। आर्थिक स्वतंत्रता से महिलाएं न केवल अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार करती हैं, बल्कि अपने परिवार और समाज में भी योगदान देती हैं।
राजनीतिक सशक्तिकरण:
राजनीतिक सशक्तिकरण से महिलाएं निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में भाग लेने के लिए प्रेरित होती हैं। यह महिलाओं को नेतृत्व की भूमिकाओं में आने का अवसर प्रदान करता है। राजनीति में महिलाओं की भागीदारी से न केवल महिलाओं के मुद्दों पर ध्यान दिया जाता है, बल्कि समाज की समग्र प्रगति भी सुनिश्चित होती है।
महिला सशक्तिकरण की चुनौतियाँ:
हालांकि महिला सशक्तिकरण के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अभी भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं। इनमें सामाजिक रूढ़िवाद, लैंगिक असमानता, और आर्थिक निर्भरता शामिल हैं। इसके अलावा, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, जैसे घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, और कार्यस्थल पर भेदभाव, पति का शराब पीना, अशिक्षा, भ्रूण हत्या, वैश्यावृत्ति, भी महिला सशक्तिकरण के रास्ते में बड़ी बाधाएं हैं।
भारत में महिला संरक्षण के लिए सरकार की भूमिका - भारत में महिला सशक्तिकरण के कार्यान्वयन में सरकार की भूमिका
भारत सरकार द्वारा महिला संरक्षण के लिए अनेकों योजनाएं चल रही हैं। इनमें से कई योजनाएं रोजगार, कृषि और स्वास्थ्य से संबंधित हैं।
इनमें से कुछ मुख्य योजनाएँ हैं - नवजात शिशु, सर्व शिक्षा अभियान, जननी सुरक्षा योजना (मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए उपयोग करने वाली योजना)।
1) बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना –
यह योजना कन्या भ्रूण हत्या और कन्या शिक्षा को ध्यान में रखकर बनाई गई है। इसके तहत लड़कियों की बेहतरी के लिए योजना बनाकर उन्हें आर्थिक सहायता देने की योजना बनाई गई है।
2) महिला संबंध योजना –
इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को 24 घंटे की आपातकालीन सहायता सेवा प्रदान की जाती है, महिलाएं अपने खिलाफ होने वाली किसी भी प्रकार की हिंसा या अपराध की शिकायत इस योजना के अंतर्गत निर्धारित नंबर पर कर सकती हैं। इस योजना के तहत पूरे देश भर में 181 नंबर को डायल करके महिलाएं अपना नाम दर्ज करा सकती हैं।
3)मोज़ा योजना –
यह योजना महिलाओं के अधिकारों और यौन शोषण से मुक्ति के लिए शुरू की गई है। इसके साथ ही इसके तहत उनकी फॉर्मूलेशन और कल्याण के लिए भी काम किया जाता है।
4) वूमेन के लिए समर्थन प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रम (चरण) -
स्टेप योजना के अंतर्गत महिलाओं के कौशल को निखारने का काम किया जाता है ताकि उन्हें भी रोजगार मिल सके या फिर वह स्वयं का रोजगार शुरू कर सकें। इस कार्यक्रम के अंतर्गत कई सारे क्षेत्र के कार्य जैसे कि कृषि, बागवानी, हथकरघा, मछली पालन आदि के विषयों में महिलाओं को शिक्षित किया जाता है।
5) महिला शक्ति केंद्र -
यह योजना सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को दलित बनाने पर केंद्रित है। इसके अंतर्गत छात्रों और पेशेवर लोगों जैसे कि एसएसएल स्वयंसेवक ग्रामीण महिलाओं को उनके अधिकारों और छात्र-छात्राओं के नामांकन के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है।
निष्कर्ष:
महिला सशक्तिकरण समाज की समृद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसके माध्यम से महिलाएं अपने अधिकारों को समझ सकती हैं और समाज में अपनी पहचान बना सकती हैं। यह समय की आवश्यकता है कि हम सभी मिलकर महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रयास करें, ताकि वे अपने जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकें।
स्वरचित डा . विजय लक्ष्मी