कल को छोड़ , आज को जीतो,
आने वाले की फिक्र में मत रीतो।
हर दिन एक होगी नई शुरुआत ,
सपनों को पाने की ये सुप्रभात ।
कल की चिंता में तुम यों मत घुलना,
आज का ही पल जिंदगी का सृजना ।
कल आने से पहले आज को जियो,
चल खुशी की सरल राह अमृत पियो।
कल का राज होता स्वप्निल अनजाना
आज के संग हमारा दिली नजराना।
आज के पलों का ले आनंद ख्याल में,
क्योंकि आज बंधा है,हमारे कपाल में।
स्वरचित डा.विजय लक्ष्मी