खुले दरवाजे श्री राम लला के,
आज अवध पहुनाई है ।
देख के मंदिर अवधराज का,
जन-जन में हरषाई है ।
नौबत बाज रही है घर-घर में,
चौहाटन बजी शहनाई है।
देश-देश के देखो भूपत आये।
सौगातन भरी अंगनाई है।
5 सौ साल बाद देख खुले कपाट,
प्रकृति ली आज अंगड़ाई है।
चौराहन में लगी मीडिया दूकानें,
राम-नाम चर्चा गरमाई है।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख ,इसाई की,
देख वैभव आंखें चकराई हैं।
बंदनवार तोरण सजे गलियन में,
अलस भोर शरमाई है ।
जनकदुलारी संग लक्ष्मण-राम जी,
पवन चले पछुआई है।
पथराई अंखियों के सुनहरे सपने,
नाप गहराई करें भरपाई है।
विपक्ष देख शोभा छवि श्रीराम-भरत,
कैसी ललचायी,बौखलाई है ।
मानो उदित है नवसूर्य रामराज्य का,
जीवन हर्षित सुखदाई है ।
गूंज रहे जयकारे जग में राम-नाम के
मोदी जी भगवाध्वज फहराई है।
हिन्दूराष्ट्र की क्रान्ति हुंकरित जीवन में
योगी जी की अगुवाई है ।
स्वरचित डा.विजय लक्ष्मी