सभी आदरणीय मित्र सुहृदजन को, मकर संक्रान्ति के परम पावन पर्व पर हार्दिक बधाई व शुभकामनाओं के साथ सुप्रभात 🙏🙏
आया मकरसंक्रान्ति का पर्व,
मनाते अलग-रंग सभी सगर्व।
पूरब से ले पश्चिम तक पहुनाई,
उत्तर से दक्षिण सर्दी अंगड़ाई ।
धीरे-धीरे संस्कृति करे पलायन,
पश्चिम का ये मनता उत्तरायण।
पंजाबी का ये लोहड़ी का क्षण,
तमिल,कन्नड़ मना रहे हैं पोंगल।
असम का बिहू फसली स्वागत,
मानो खुशियों की हुयी आगत।
पतंग चढ़े आकाश करे यों नर्तन,
खिचड़ी गंगा सागर का है वंदन।
देखो अब कोहरे की रुकी है मार,
ठंडी सर्द हवा की अब होगी हार।
भुवन भास्कर कहते अपनी बात,
अब न कांपेंगे ठंडी से कोई गात ।
सोंधी महक तिल से महके जीवन,
सौभाग्य आरोग्य का बहे वातायन।
उत्तरी गंगा-यमुना में करते हैं स्नान,
खाते खिचड़ी देते खिचड़ी का दान।
दाल-चावल मेल संक्रान्ति पहचान,
छोड़ सूर्य कर्क, मकर बढ़ाएं शान।
बुन्देली लमटेरा का करते हैं गायन,
लगा बुड़की करें सूर्य आराधनार्चन।
मित्रों को संक्रान्ति की है राम-राम,
स्वागत की तैयारी आने को श्रीराम।
ईर्ष्या-द्वेष भूल देश का बढ़ाएं मान,
तभी तिरंगे का होगा जनगण गान।
स्वरचित डा.विजय लक्ष्मी