संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की ओर से शनिवार को जारी किए गए एक विज्ञापन के बाद राजनीतिक घमासान शुरू हो गया था। विज्ञापन के जरिये केंद्र सरकार के 24 मंत्रालयों में 45 पदों के लिए ज्वाइंट सेक्रेट्री, डायेरक्टर और डिप्टी सेक्रेट्री के पदों पर लेटरल एंट्री के जरिये भर्ती के लिए योग्य उम्मीदवारों के आवेदन मांगे गए थे।
विज्ञापन में कहा गया है कि राज्य/केंद्रशासित प्रदेश की सरकारों में, पीएसयू, रिसर्च संस्थान, विश्वविद्यालयों और यहां तक कि प्राइवेट सेक्टर में भी अनुभव और योग्यता रखने वाले लोग वैकेंसी के लिए आवेदन कर सकते हैं।
बस इस विज्ञापन के प्रकाशित होने के बाद विपक्षी राजनीतिक दलों ने मोदी सरकार पर हमला बोल दिया
फिर आया कोर्ट का फैसला एससी-एसटी के आरक्षण में क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आज देशभर के 21 संगठनों ने भारत बंद बुलाया है। इसका मिला-जुला असर नजर आ रहा। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने यह फैसला लिया है। भारत बंद के फैसले को देखते हुए सरकार ने कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, बिहार की राजधानी पटना में बंद के दौरान जमकर बवाल देखने को मिला। पुलिस ने भी प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया। बिहार के कई और शहरों में बंद समर्थक सड़क पर उतरे। राजस्थान के जयपुर, अजमेर कई इलाकों में भारत बंद का असर नजर आया
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में और एससी/एसटी आरक्षण को वापस लेने की मांग को लेकर भारत बंद की घोषणा करने पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जो निर्णय आया है उसके दो भाग हैं। एक विषय क्रीमी लेयर का है और दूसरा अनुसूचित जाति के उप-वर्गीकरण का। जब SC-ST के सांसदों को ऐसा लगा कि विपक्ष भ्रम फैला रहा है तो उसके लिए उन्होंने 9 अगस्त को प्रधानमंत्री को ज्ञापन दिया। प्रधानमंत्री ने कैबिनेट में फैसला करके कहा कि क्रीमी लेयर इस फैसले में लागू नहीं है और न ही इस फैसले का भाग है। दूसरा हिस्सा दिशा का है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य चाहें तो वे उप-वर्गीकरण कर सकते हैं। विपक्ष के लोग अनावश्यक रूप से इस विषय पर भ्रम फैला रहे हैं। SC-ST और OBC के हितों की प्रधानमंत्री मोदी लगातार रक्षा करते आ रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। देखते हैं आगे होता है क्या? ?