जीवन की राह में, उलझनें आती बहुत,
समस्यासिन्धु में खोते, हो बुद्धि रहित।
पर कभी हार ना माने, आगे बढ़ें हम,
उलझनों को कर पार, जीतें सदा तम।
समस्याओं का ,समाधान हमारे भीतर ,
संघर्ष कर, नई दिशा में बढ़ते जीभर ।
उलझनों का सामना, करें मनोबल से,
जीत हर जंग ,साबित करें धरातल पे।
स्वरचित डा.विजय लक्ष्मी