दीपावली के पर्व से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं, जो इसके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाती हैं। यहां कुछ प्रमुख कथाएं दी गई हैं:
1. भगवान राम की अयोध्या वापसी कथा*****
दीपावली का सबसे प्रसिद्ध प्रसंग भगवान राम से जुड़ा है। माना जाता है कि भगवान राम 14 वर्षों के वनवास के बाद माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे। उनके आगमन पर अयोध्यावासियों ने पूरे नगर को दीपों से सजाया और उनका स्वागत किया। तभी से दीपावली का त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
2. नरकासुर वध कथा*****
श्रीकृष्ण की कथा के अनुसार, नरकासुर नामक एक असुर ने धरती पर बहुत आतंक मचाया था। उसने 16,000 कन्याओं को बंदी बना रखा था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध करके उन कन्याओं को मुक्त करवाया। इस विजय को भी बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में दीपावली के दौरान मनाया जाता है, विशेष रूप से दक्षिण भारत में।
3. मां लक्ष्मी का प्राकट्योत्सव कथा*****
कथा: समुद्र मंथन के दौरान, जब देवताओं और असुरों ने मिलकर मंथन किया था, तो अमृत के साथ-साथ कई दिव्य वस्तुएं निकलीं। इनमें से माता लक्ष्मी भी प्रकट हुईं, जिन्होंने धन, वैभव और सौभाग्य का आशीर्वाद दिया। कहा जाता है कि इसी दिन को लक्ष्मी जी के जन्मदिन के रूप में दीपावली के दौरान मनाया जाता है, और लोग उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा करते हैं।
4. राजा बलि और भगवान विष्णु की कथा*****
एक अन्य कथा के अनुसार, असुर राजा बलि ने अपनी भक्ति और तप से भगवान विष्णु को प्रसन्न कर लिया था। भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर बलि से तीन पग भूमि मांगी, जिसमें उन्होंने सम्पूर्ण ब्रह्मांड को नाप लिया और बलि को पाताल भेज दिया। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने राजा बलि को वरदान दिया कि वह हर वर्ष एक दिन के लिए अपने राज्य और प्रजा से मिलने आ सकते हैं। कुछ स्थानों पर दीपावली को बलि की वापसी के उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
5. धनतेरस की कथा*****
कथा: धनतेरस पर धनवंतरि भगवान की पूजा की जाती है, जो समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। धनवंतरि को आयुर्वेद का जनक माना जाता है, और स्वास्थ्य व समृद्धि की कामना के लिए इस दिन उन्हें पूजा जाता है। इसी दिन से दीपावली का प्रारंभ होता है।
6. द्रौपदी का चीर हरण कथा*****
एक अन्य कथा के अनुसार, दीपावली के दिन पांडव वनवास के बाद हस्तिनापुर लौटे थे। इस दिन द्रौपदी की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण ने चीर हरण के समय उसकी रक्षा की थी। पांडवों के लौटने पर हस्तिनापुर को दीपों से सजाया गया था।
दीपावली की इन कथाओं का मूल उद्देश्य यही है कि यह हमें सत्य, धर्म और प्रकाश के महत्व का स्मरण कराता है। यह त्यौहार हर साल अंधकार पर प्रकाश की विजय, बुराई पर अच्छाई की जीत, और हर जीव के जीवन में सकारात्मकता व प्रसन्नता लाने का संदेश देता है।
दीपावली का पर्व पाँच दिनों का होता है, जिसे पंच उत्सव भी कहा जाता है। प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व और पौराणिक कथा है। गुजराती इसे ला पाचम भी कहते हैं यह दीपावली एक त्योहार नहीं अपितु त्योहारों की एक श्रृंखला के रूप में जानी जाती है।
1. धनतेरस (पहला दिन)
कथा: धनतेरस के दिन समुद्र मंथन से धनवंतरि भगवान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। धनवंतरि को स्वास्थ्य और आयुर्वेद का जनक माना जाता है, और धनतेरस पर उनकी पूजा करके लोग स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हैं। इस दिन सोने, चांदी या बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है।
महत्व: धनतेरस का पर्व हमें स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर देता है।
2. नरक चतुर्दशी (दूसरा दिन)
इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक असुर का वध कर 16,000 कन्याओं को मुक्त कराया था। इस कारण इसे 'नरक चतुर्दशी' कहा जाता है। नरकासुर का वध बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस रूप चौदस भी कहा जाता है इस दिन जो दशहरा की चतुर्दशी को झुझिया मनाई जाती है उसे गरबा की मिट्टी से बच्चों को नहलाया जाता है और नजर उतारी जाती है।
महत्व: इस दिन को 'छोटी दीवाली' भी कहा जाता है, और घरों की सफाई और सजावट कर लोग इसे बुरी आत्माओं को दूर करने के दिन के रूप में मनाते हैं।
3. दीपावली (तीसरा दिन)
कथा: दीपावली का सबसे प्रमुख दिन माना जाता है। यह दिन भगवान राम के अयोध्या लौटने की स्मृति में मनाया जाता है। अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में घी के दीप जलाए थे। इसके अलावा, इसी दिन समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी का भी प्राकट्य हुआ था। इसलिए इस दिन लक्ष्मी जी की विशेष पूजा होती है।
महत्व: दीपावली का पर्व सुख, शांति, और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन घरों में दीप जलाकर अंधकार को दूर किया जाता है।
4. गोवर्धन पूजा (चौथा दिन)
कथा: गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण से जुड़ी है। इस दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर गोकुलवासियों को इंद्र के क्रोध से बचाया था। तब से गोवर्धन पूजा की परंपरा चली आ रही है। लोग इस दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा बनाते हैं और उसकी पूजा करते हैं। उनके पास गाय बछड़े की प्रतिमा ,मूसल ,हल और दूध दही की मटकी आदि भी गोबर से प्रतीक रूप में बनाई जाती है।
महत्व: यह दिन प्रकृति की महत्ता को समझने का और भगवान की भक्ति का संदेश देता है। गुजराती नया साल इसी दिन से शुरू होता है । इस दिन मिक्स सब्जी बनाकर प्रकृति धरती माता को भी धन्यवाद दिया जाता है
5. भाई दूज (पाँचवां दिन)
कथा: भाई दूज का पर्व यमराज और उनकी बहन यमुनाजी की कथा से जुड़ा है। एक दिन यमराज अपनी बहन यमुनाजी के घर आए, और बहन ने भाई का सत्कार किया। प्रसन्न होकर यमराज ने बहन को वरदान दिया कि इस दिन जो भाई अपनी बहन के घर भोजन करेंगे, उनकी आयु लंबी होगी।
महत्व: भाई दूज भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस दिन भाई अपनी बहन के घर जाकर भोजन करते हैं और बहन की रक्षा का वचन देते हैं।
हम भारतीयों के लिए दीपावली का सांस्कृतिक, पौराणिक ,धार्मिक अत्याधिक महत्व है।
इन पाँचों दिन का पौराणिक महत्व है, और यह उत्सव अंधकार को दूर करने, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना, प्रकृति की पूजा और पारिवारिक संबंधों की सुदृढ़ता का प्रतीक है। समाज के हर तबके को महत्व दिया जाता है जैसे बर्तन वाले कुंभकार के दिया, गरबे, आतिशबाजी, फल सब्जी वाले,मिठाई हलवाई, माली, पंडित जी। दीपावली भाईचारे और पारस्परिक सौहार्द का भी प्रतीक है।
स्वरचित डा० विजय लक्ष्मी
अहमदाबाद