स्त्री , शक्ति, व ममता की प्रतीक,
समर्पण,सौन्दर्य, साहस की लीक।
तुम,सृजन की हो अनमोल धरोहर।
कांपती नहीं,आत्मविश्वास से भरपूर,
समाज के रंग-मंच पर है शिनाख्त।
स्त्री,जीवन की मिसाल है विख्यात
हर कदम आगे बढ़ती ,दे बलिदान
परिवार के लिए होती एक वरदान
अपने सपनों के पंख है सजाती,
दर्द,हंसी में बदल जादू दिखाती।
स्त्री,जगमगाती चांदनी पूनम की,
उम्मीद,उमंग भरी लौ जीवन की।
स्वरचित डा.विजय लक्ष्मी