जन्मे 15-10-1931रामेश्वर तमिलनाडु,
पिता जैनुलाब्दीन थे मस्जिद के इमाम।
थे पांच भाई बहन मां आशियम्मा महान,
नाम अबुल पकिर जैनुलाद्दीन डा.कलाम।
रात की चांदनी में चमकते हुए सितारे,
स्वप्न देखते थे सच्चाई के पंख पसारे ।
ज्ञान और धैर्य से गढ़े पथप्रदर्शक राह,
अंतरिक्ष की ऊँचाई में फैलाये वे बांह ।
उन्हें बना दिया विज्ञान का अमर रत्न,
विज्ञानी महासागर में एक दीप ज्वलंत।
हर भारतीय के दिल में उम्मीदें जगायीं,
खुद चल उस पर राह आकर्षक दिखाई।
उनकी राहों में छिपी है श्रम की कहानी,
स्वदेश के प्रति अभूतपूर्व निष्ठा निशानी।
शिक्षा की ओर उठाया उन्होंने स्व हाथ,
हर बच्चे को मिले नये अवसर का साथ।
सपने दिखाए , विश्वास की दी सौगात,
सपनों की ऊँचाई से उड़ान भरती बात।
कलाम के आदर्श, प्रेरणा के थे स्रोत,
उनकी शिक्षाएं ज्ञान से थीं ओत-प्रोत ।
याद करें हम, इस महान आत्मा को,
हर दिल में जीवित आज महात्मा सो।
भारत की मिट्टी में सजीव उनकी छवि,
ज्ञान, साहस, और मानवता के थे रवि।
स्वरचित डा.विजय लक्ष्मी