नारी शक्ति का होता अद्भुत श्रृंगार,
हरितालिका तीज का ये त्योहार।
श्रद्धा, समर्पण और प्रेम का संचार,
शिव-पार्वती के संग जुड़ा है आधार।
सोलह श्रृंगार से सजी है हर नारी,
मन में बसी शिव पूजा की तैयारी।
व्रत कर रही है बिना अन्न और जल,
मांग रही हैं जीवन साथी का मंगल।
तपस्या जैसी होती इस दिन की राह,
सपनों में बसती हर दिल की चाह।
शिव के समक्ष होती उनकी आराधना,
पार्वती के त्याग समर्पण की ये प्रेरणा।
कितनी मधुर होये गौरीशंकर की गूंज,
झूलते हैं झूले, भांग महकती है भूंज ।
माथे सिन्दूर पैर महावर हाथ में मेहंदी,
हरितालिका बसे प्रेम-भाव रात उनींदी।
इस दिन का महत्व पौराणिक है बड़ा,
आशीर्वादों का होता है ये आंगन खड़ा।
नारी की ममता, आस्था व प्रेम का बल,
हरितालिका तीज में समाई धारा प्रबल।
शिव की कृपा से हो जीवन उज्ज्वल,
हर नारी का हो समृद्धि-सौभाग्य अटल।
हरितालिका तीज के परम पावन पर्व ,
भर जाएं सबके जीवन में खुशियाँ खर्व।
स्वरचित डॉ.विजय लक्ष्मी