उड़ चले पक्षी की भाँति
पंख फैलाये उन्मुक्त नील गगन में
ऊँची- ऊँची 🏣इमारतों के बीच
ऊँचे- ऊँचे ख्वाहिशों के बाजार में
हसीन सपनों के रंग-बिरंगे अपने संसार में
उड़ चले हैं बच्चे भी हमारे सपनों के पार
मंजिलों तक पहुँचने का जोश
गगनचुम्बी इमारतों को चूमने का जुनून
कामयाबी का बड़ा सेहरा तो पहनाती है
मगर बागवान व बाग के माली
उजड़ जाते हैं, बिखर जाते हैं टूट जाते हैं
जबकि फूल तो खिलकर निखर जाते हैं
और अपने चमन को ही भूल जाते हैं
कि कैसे अपने लहू से
सींचा था, अपने लाडले को
कितने मुसीबत से किया
लालन-पालन अपने जिगर के टुकड़े का
लेकिन सफलता की सीढ़ियां चढ़ने के बाद
ऊँचाइयों पर पहुँचने के बाद
कोई फिर पलट कर कभी देखता नहीं
मगर ये किसी एक दर्द नहीं है
ये दुनिया की रीति है
आज हम हैं, कल वो होंगे, और परसों
उनके बच्चे 👶👶 बस यही है दुनिया
और यही है दुनियादारी ।
धन्यवाद🙏