मैं विरह हूँ, मैं वेदना हूँ
मैं गम के अंतहीन पथ की संवेदना हूँ
मैं आरंभ हूँ, मैं अंत हूँ,
मैं विरह की जलती- दहकती अग्नि हूँ
मैं ज्वालामुखी हूँ, मैं तन्हाई हूँ, मैं जुदाई हूँ
मैं जख्मों की अंतहीन खाई हूँ
मैं दर्द हूँ, मैं सर्द हूँ
मैं दर्द की अंतहीन पुरवाई हूँ
मैं कंकड़ हूँ, मैं पत्थर हूँ
मैं ठोस धरातल की अंतहीन विस्तृत लंबाई हूँ
मैं दुख हूँ, मैं आसूँ हूँ
मैं उस ऊँचे आसमान की अंतहीन बारिश☔ हूँ
मैं गम हूँ, मैं तम हूँ
मैं अंतहीन ,कभी न खत्म होने
वाली अनंत विस्तृत सागर का जल हूँ ,
मैं नीर हूँ, मैं काँच हूँ
मैं पाताल की अंतहीन गहराई हूँ
जिसमें तेरी यादों की अंतहीन हसीन शहनाई है
तेरे बिना मैं 🍁🍁पतझड़ की अंतहीन वीरानी
हूंँ।
धन्यवाद🙏