दूर- दूर उड़ने की चाहत में
देखो 👀 कहाँ से कहाँ आ गये हम
अपने पंख फैलाकर, सपनों की
उड़ान भरने की चाहत में 👀 देखों
कहाँ से कहाँ आ गये हैं हम ।
ऊँची-नीची पथरीली राहें
कठिनाइयों से भरे रास्ते
मुश्किलों मील पत्थर 🗿 से
ठोकरें ही ठोकरें जिंदगी के👣 पथ में ।
रेत सी मुट्ठी से फिसलती
खुशियों की चाह में
उजड़ी बस्ती की पनाह में
👀देखो कहाँ से कहाँ आ गये हम ।
जैसे रेगिस्तान🏜🌵 में बूँद- बूंद
पानी 💦 के लिए तरसते हैं
वैसे ही जिंदगी में बूंद- बूँद,
खुशियों के लिए तरसते हैं ।
धन्यवाद 🙏