ये कैसी रीति है दुनिया की
बेटा चाहा, बेटी अनचाही
ये कैसा न्याय है मां
ये कैसा इंसाफ है पापा।
मैं तेरा वंश तो नहीं पापा
मगर तेरा अंश तो हूं ना पापा
बेटी कहलाने का हक तो
मुझे भी चाहिए ना पापा।
आई हुई इस दुनिया में *अनचाही बेटी* बन
मगर दो कुलों को तो मैं ही रोशन
करती हूं ना पापा
फिर भी लोग बेटी नहीं बेटे की करते अरदास
बेटों को करें प्यार और बेटी को देते अनचाहा करार।
ये कैसा न्याय है ये कैसा इंसाफ है पापा।
धन्यवाद🙏🏼🙏🏼