अकेले आये हैं अकेले जाना है
कुछ दिन के सब संगी -साथी हैं
फिर इक दिन सबको रहना
है अकेले ही अकेले ।👨
कब टूट जाय कसके सांसों की डोर
नहीं यहाँ किसी का कोई ठिकाना है
इक दिन☀ सबको ही इस जहां को
है छोड़कर जाना।
नहीं आया है रहने को कोई इस जहां में
इक दिन☀सबको ही इस
दहर-शहर को छोड़
दूसरे जहां को प्रस्थान करना है।
सताता है इक दिन ☀सबको 'अकेलापन' 😔😢
मगर दुनिया के इस मेले में
रिश्ते- नातों के झमेले में, रहना है,
इक दिन☀ सबको रहना है अकेला- अकेला ।
यही दुनिया की रीति है,
रिश्ते- नातों से सिर्फ मोह की प्रीति
जकड़े है ं हम सब मोह- बंधनों में
मगर इक दिन☀ टूट जायेगी
सारे संसार से प्रीति की डोर
और हम सब अग्रसर हो जायेंगे
इक दिन☀ अंतरिक्ष 🌌🚀 की ओर ।
धन्यवाद🙏