टूटकर बिखर जाती हूँ
मैं अक्सर तेरे ख्यालों के आते ही
अपने वजूद के सैकड़ों टुकड़ो को समेटते
समेटते बिखर जाती हूँ मैं
मेरे बहते आंसू, तेरे गम के पल-पल के
उन हिस्सों को बहाते- बहाते बिखर जाते हैं
नम पलकें बंद हो जाती हैं, थककर चूर हो
जाते हैं हम
मगर ये दर्द😢 पल भर भी न होता कम
न मुख से आह निकलती, न कराह निकलती
बस अंदर ही अंदर घुटते जाना है
लहुलुहान आत्मा के दर्द को छिपाना है
मन की भावनाएं, प्यार के रिश्ते की को भुलाना
नामुमकिन है
तेरी यादों के सहारे जीना ही मुमकिन है ।
धन्यवाद🙏