पिया तेरे अंगना उतरी थी घूंँघट की ओट में
ये निगाहें तुम्हें देखने को बेकरार थी
घूँघट की ओट
पिया तुम भी तो बैचेन थे मेरे दीदार को
कि कब बादल छटेगा, कब ये बैरी घूँघट हटेगा
कब घूँघट में छुपी चेहरे की मुस्कान दिखेगी
घूँघट की ओट से
कब चाँद सा मुखड़ा दिखेगा,
कब बांहों में चाँद सिमटेगा, बेकरार था जिया
हम दिल थाम लेंगें, तेरा ही नाम लेंगें
तेरे प्यार भरी आँखों में डूब जायेंगे ं
अपनी नयी जिंदगी के नये सवेरे का
उजाला लायेंगें पिया
घूँघट की ओट में