इंसानों की बस्ती में कुदरत ने कहर ढाया है,
उजड़ गयी इंसानों की बस्ती की बस्ती ।
मगर फिर भी इंसानों की
इंसानियत गयी है बिल्कुल मर ।
लाशों के ढेर पर बैठा इंसान
बन रहा बड़ा कारोबारी ।
हर तरफ फैला है इंसानों में बस
लालच का कारोबार ही कारोबार ।
मानवता हुई है तार -तार
इंसानियत हुई शर्मसार है ।
धन्यवाद🙏