अथाह गहरा प्यार का सागर
न कोई उसका किनारा
न कोई उसकी गहराई
न कोई उसकी लंबाई
मगर जो डूब जाये
कभी निकल न पाये
प्रेम के मोह जाल से
प्रेम में झंकृत हो बजते
वीणा के मधुर तार
वियोग में फूटे दिल से दर्द
गहरी झील सी आंँखों से
आँसू मचल-मचल बहे
नदियों की धार सी
खो जाते हैं अतीत की स्मृतियों में
पुराने लम्हें याद आते हैं
पुरानी यादें मानस पटल पर छा जाती हैं
मन, हृदय भर -भर जाता है
जब पुराने लम्हें, गुजरे क्षण याद आते हैं
दिल में इक कसक सी उठती है
चुभते हैं यादों के फूल बन शूल
वियोग में आशा- निराशा में
ऐसा डूबी भूल गयी सुध -बुध
जिंदगी के राग-रंग, प्रेमरस
जीवन के तरंग
दिल व मन के उमंग
सब बीत गये अतीत के संग।
धन्यवाद🙏