तुम चले थे जिंदगी के डगर पर साथ- साथ
मगर ये कैसा है जिंदगी का अंतहीन सफर
जिसमें हम है, तुम नहीं ,हमसफर साथ नहीं
गम की बस्ती है मगर दर्द का कोई शहर 🌇 नहीं
जीवन में सब कुछ है मगर तेरे दर्द का कोई ठहर नहीं
तेरी यादों के जख्म और गमों का हर पल साया है
मगर जिंदगी में सर पर तेरी कोई छत्रछाया नहीं है
ये कैसा है जिंदगी का अंतहीन सफर
जिसमें हमसफर नहीं।
धन्यवाद🙏