जब तक था साथ तुम्हारा
जीवन का हर सपना था साकार
खुशियों का था अपना संसार
जीवन की हर खुशियां थी साथ हमारे।
मगर खुशियाँ ऐसे रूठी हमसे जैसे छूटा जग सारा टूट गया, हर रिश्ता हर जीवन का संबंध हमारा
जैसे फलक से टूटा कोई इक तारा बेचारा
जीवन तो अब जैसे रेगिस्तान सा हुआ सारा
खुशियां तो अब हुई पानी की मृगतृष्णा के एहसास सी।
सूखा मरुस्थल, बंजर सा बेजान हुआ जीवन
जब तक था साथ तुम्हारा, साथ-साथ हर पल की यादें आज भी साथ हैं हमारे।

तेरे साथ की यही पल-पल ,हर पल की यादें
ही तो मेरे जीवन की अमिट अमूल्य पहचान है
तुमसे ही तो था हर बंधन , हर संबंध अपना
जीवन का अनूठा, अनोखा प्यारा सा गठबंधन अपना।
धन्यवाद🙏🏼