जिंदगी के इक मोड़ पर
हर किसी को इक दिन
चाहे मनुष्य हो या सूर्य
ढलना अवश्य पड़ता है
मगर सूर्य ढलने के बाद भी
हर सुबह इक नई रोशनी, नई उम्मीद,
नए सवेरे के साथ अपनी
किरणों की आभा से
सारे संसार को आलोकित करता है
वैसे ही मनुष्य को भी ढलने की उम्र में भी
अपने नए शुद्ध विचारों के साथ
अपने पुण्य कृत्यों से सदा संसार को
आलोकमान करना चाहिए
यही जिंदगी का सार है
यही जिंदगी का अनुपम उपहार है।
धन्यवाद🙏🏼