पतझड़ आने वाला है
मगर मेरा जीवन तो
पहले से ही है सुनसान वीरान,
पतझड़🍁🍁 के मौसम सा
नहीं है कोई अपना
दिल 💜❤ का कोना कोना
है सूना -सूना तेरे बिना
बुझें नजारें हैं ,रूठी बहारें हैं
जिनकी नहीं है सावन की फिजाएं
मैं गुलिस्ताँ की वो शाख हूँ
जिन पर फूल आने से पहले ही मुरझाये
न कोई सहारा है न कोई किनारा है
मैं पतझड़🍁🍁 का वो पीला पत्ता हूंँ
जिनका नहीं कोई ठिकाना
हवाओं के झोंकों से
न जाने कहां तक उड़कर है जाना
मैं जहांँ की वो अंतहीन पतझड़ हूं
जिनके दामन में नहीं खिलते हैं कभी फूल ।
धन्यवाद🙏