चंहु दिशाओं में प्रकृति के
हरियाली का मनोरम दृश्य छाया है
मौसम सावन का मनभावन आया है
पर्यावरण की सुंदरता निखार आई है ।
धरती की गोद में हरियाली की चादर हो ओढ़े प्रकृति अपने अलौकिक ,अनुपम ,अभिलक्षण सौंदर्य से निखर रही है
दुल्हन सा सज -संवर के धरा हंस और इठला रही है ।
किसी ख्वाब के पूरा होने जैसा मस्ती में
रंग बिरंगी फूलों संग खिलखिला रही है
सावन के कजरी गीत गाती सखियां
झूलों की पेंगों संग, खुशियों की
सरगम सा सखियों का झुंड अब कहां
सावन के गीत, सावन की रीत अब कहां।
सब कुछ तो लुप्त हो गया
आधुनिकता की होड़ में
फैंशन की भागती दौड़ में
न पेड़ों पर झूले हैं न सखियाँ न कजरी गीत
बस अब तो आधुनिकता की है भागती अंधी दौड़।
धन्यवाद🙏