ना जाने क्या लिखा है
इन हाथों की लकीरों में
दिल में दर्द सा हो रहा है
मन का सुकून खो सा रहा है।
अपनों की टीस से दिल
छलनी सा हो रहा है।
कांटों की चुभन का एहसास
कुछ इस तरह हो रहा है
जैसे कांटो के बीच मुस्कुरा रहा है मुस्करा रहा है
कांटो से घिरा हुआ फूल गुलाब का।
अपनों के बीच रहकर भी
हम हो गए हैं अकेले
जैसे हजारों तारों के बीच भी चांद अकेला
जाने क्या लिखा है इन हाथों की लकीरों में।