इक अधूरा सा ख्वाब सजाये
तन्हा तन्हा मन फिरे
दिल की नादानियां
खोया- खोया सा दिल
सर्द धूप की अठखेलियाँ
शाम के छांँव की स्याहियाँ सी बिखरी हैं
जीवन पथ में
क्या है जिंदगी, क्यों है ऐसी जिंदगी,
ये उत्तर, निरूत्तर सा
दिल न जाने क्यों भटक रहा है
न जाने किस ओर
कोई दर्द सा चुभता कंटक
आंँखें रोती, लव मुस्कराते ं
बुझा- बुझा सा चेहरा
तन्हा-तन्हा मुरझाया सा वो
मासूम फूल क्यों है ?
धन्यवाद🙏