वर्ष 2018 के “विश्व
जल दिवस” उत्सव के लिए विषय "जल के लिए प्रकृति के आधार पर समाधान"
होगा ।
‘जलसंकट आर्थिक विकास व स्थायित्व के लिये
बड़ा खतरा है और जलवायु परिवर्तन समस्या को और बढ़ा रहा है ।’ (जिम योंग किम, अध्यक्ष-विश्व बैंक)
“पानी पूरी प्रकृति की संचालक शक्ति है ।”
(लिओनार्दो दा विंची)
समय आ गया है जब हम वर्षा का पानी अधिक से
अधिक बचाने की कोशिश करें । बारिश की एक-एक बूँद कीमती है । इन्हें सहेजना बहुत ही
आवश्यक है । यदि अभी पानी नहीं सहेजा गया, तो सम्भव है
पानी केवल हमारी आँखों में ही बच पाएगा । पहले कहा गया था कि हमारा देश वह देश है
जिसकी गोदी में हज़ारों नदियाँ खेल ती थी, आज वे नदियाँ
हज़ारों में से केवल सैकड़ों में ही बची हैं । कहाँ गई वे नदियाँ, कोई नहीं बता सकता । नदियों की बात छोड़ दो, हमारे
गाँव-मोहल्लों से तालाब आज लगभग सभी गायब हो गए हैं, इनके
रख-रखाव और संरक्षण के विषय में बहुत कम कार्य किया गया है ।
पानी हमें जीवन देता है, तो इसे बचाना भी हमारा दायित्व है ।