क्या सोच रहे हो अरुण????बड़ी चिंता में लग रहे हो????
डॉक्टर तेजस ने अपने चहते कंपाउंडर कम मित्र को गंभीर मुद्रा में देख कहा, डॉक्टर तेजस और अरुण कहने के लिए तो अलग अलग पद पर थे, परंतु वह सिर्फ हॉस्पिटल की सीमाओं तक था, उन दोनों की मित्रता को इस बात से परखा जा सकता था कि दोनों ने लगभग एक साथ अपनी नौकरी के 26 साल अलग-अलग हॉस्पिटल में गुजारे, और जहां जहां डॉक्टर तेजस का ट्रांसफर हुआ, वहां वहां डॉक्टर प्रोफ़ेसर पॉल की मदद से उन्होंने अपने साथ अरुण को भी ले गए, शायद इसलिए क्योंकि अरुण, डॉक्टर तेजस के बचपन का सहपाठी भी रह चुका था, वह तो पारिवारिक समस्याओं ने उसे घेर रखा, वरना आज वह भी कहीं डॉक्टर होता।
लेकिन फिर भी वह लगातार काम करते करते इतना दक्ष हो चुका था कि अपने क्षेत्र में वह किसी डॉक्टर से कम नहीं, किसी डेड बॉडी को देखने मात्र से ही वह बता सकता की मौत की क्या वजह रही होगी, लेकिन कहते हैं ना कि कभी कबार भाप लेना ही पर्याप्त नहीं होता, कानून सबूत मांगता है और शायद हम वही पिछड़ जाते हैं, सब कुछ जानते हुए भी अरुणा असहाय था,
उस दिन जब उसने पहली बार में ही अपनी बहन की लाश को देख समझ गया था कि उसकी मृत्यु सर्प के काटने से नहीं हुई किंतु किसी शातिर के द्वारा जहर दिए जाने से हुई थी, वह जानता था कि किसी ने उसकी बहन को सीरिंज चुभा कर जबरदस्ती जहर दिया गया है, क्योंकि किसी सर्प के द्वारा काटे जाने पर कुछ अलग ही निशान दिखाई पड़ते हैं, लेकिन चूंकि मारने के लिए किसी केमिकल या मेडिसन का नहीं वरन सर्प के जहर का ही इस्तेमाल किया था, इसलिए कोई भी सबूत जुटा पाना संभव नहीं था, फिर भी कोशिश तो बहुत की उसने अपनी बहन को इंसाफ दिलाने के लिए, लेकिन नाकाम रहा।
कितने प्यार से उसने अपनी बहन को उस डॉक्टर के साथ विदा किया था, वह खुद जो ना बन पाया, उससे कहीं ज्यादा वह अपनी बहन के लिए करना चाहता था, इसलिए उसने शहर के अच्छे डॉक्टरों में से उस नव युवा डॉक्टर को चुना जो उसे उस समय रिश्ते के लिए सही जान पड़ा था, ऐसा भी नहीं कि कोई कमी रह गई होगी, नामी डॉक्टर और बड़े-बड़े लोग उस शादी में आए थे, बढ़िया आवभगत और शान शौकत के साथ शादी संपन्न हुई, फिर भी ना जाने कहां कमी रह गई,
क्योंकि उसकी बहन सुरभि और डॉक्टर सौरभ की जोड़ी को तो जैसे लोग अपना आदर्श मानते थे, इतनी बढ़िया गृहस्थी चल रही थी उनकी, लेकिन ना जाने किसकी नजर लग गई कि सौरभ के हॉस्पिटल में एक चालाक नर्स ने किसी गृहणी की तरह प्रवेश किया और सौरभ के भोलेपन का फायदा उठाते हुए धीरे-धीरे अपने चंगुल में फसा लिया, और बिना कोई समय गवा उसने एक दिन मिठाई के साथ सौरभ के घर दस्तक दी और बड़े प्यार से सुरभि को मिठाई में कुछ मिलाकर खिला आई,
वह बड़ी शातिर थी, इसलिए उसका असर कुछ दिनों बाद हुआ और सुरभि की तबियत अचानक बिगड़ने लगी, सौरभ ने उसे अपने ही हॉस्पिटल में एडमिट कर दिया, जहां बड़ी चालाकी से इला नर्स ने उन्हें गार्डन फेसिंग वाले प्राइवेट वार्ड रूम में एडमिट करवाया और उनकी सेवा की जिम्मेदारी भी खुद ही ले ली, सौरभ के मन में सुरभि के लिए कोई भी कोई दुर्व्यवहार का विचार नहीं था, और इला इस बात से चिढ़ती थी,
क्योंकि वह अपने आप को सुरभि की जगह ही देखना चाहती थी, उसने एक दिन रात्रि के समय जब वो वहीं काम रही थी, सर्प के काटने की तरह (सर्पदंश) दो निशान सीरिंज से बनाए और सर्प का जहर सुरभि के शरीर में इंजेक्ट करा दिया, और देखते ही देखते सुरभि कुछ समझ पाती, उसके पहले ही उसका शरीर प्राण त्याग चुका था।
पोस्टमार्टम के लिए जानबूझकर उस मेडिकल में नहीं भेजा गया ,जहां अरुण और डॉक्टर तेजस थे, लेकिन प्रोफेसर पॉल स्टेट लेवल के आला अधिकारी थे, उनसे भला कहां कुछ छिपा था, वे अरुण और तेजस के परिवार से निजी रूप में जुड़े हुए थे, इसलिए खबर सुनते ही अरूण को लेकर उस हॉस्पिटल में पहुंच गए, जिसे देखते ही तीनो ने एक दूसरे की तरफ देखा और उस हॉस्पिटल के डॉक्टर से बात की, जिसमें उसने अपनी प्रथम जांच में सांप का काटना क्लियर किया था,
जब सैंपल की रिपोर्ट इन तीनों ने देखी तब कोई जवाब ना दे सका, क्योंकि मेडिकल साइंस की भाषा वे भलीभांति जानते थे, इसलिए कुछ ना कह सके,
सौरभ को तो पता भी नहीं कि आखिर क्या हुआ???? सुरभि के जाने के बाद उसने अपना ट्रांसफर अपनी छोटी सी बेटी को देखते हुए, और ठीक से उसकी देखभाल हो जाए, इसलिए वापस दिल्ली अपने घर ले लिया और इला के हाथ कुछ नहीं लगा, लेकिन हकीकत कहां तक छुपती, डॉक्टर सौरभ वापस अपने घर जा चुके थे, और पूरे हॉस्पिटल में इला की हरकत उजागर हो चुकी थी, क्योंकि उसी के किसी साथी ने यह बात किसी और को बता दी ,और बात फैलती चली गई, लेकिन अब बताने से क्या फायदा.... केस रफा-दफा हो चुका था, और डॉक्टर सौरभ जा चुके थे ,और इला चाह कर भी सुरभि की जगह ना ले पाई,
यह बात अरुण तक भी पहुंची, उसने बहुत भला बुरा भी सुनाया, लेकिन भला क्या उससे सुरभि को इंसाफ मिल जाता, यही सोचकर वह कुछ ना कर पाया, लेकिन आज न जाने उसके मन में अपनी बहन को लेकर कुछ विचार उठा रहे थे, जिसे देख डॉक्टर तेजस समझ गए थे, और उन्होंने अपने मित्र को आश्वासन दे उसे साथ लेकर चलने का वादा किया उसी बुजुर्गों के पास.....
शायद वह कायरा की मदद से गुहार लगा सके, और गलत भी क्या था, वे इंसाफ ही तो चाह रहे थे, वह भी सही पक्ष में रहकर,
जैसे ही शाम को वे निकलने के लिए तैयार हुए, उन्हें गेट पर प्रोफ़ेसर पॉल मिल गए, और बोले, मैं तुम्हें उस दिन ही देखकर समझ गया था, और तुम्हारे मन में क्या चल रहा है, लेकिन कंफर्म करने के लिए रुका था, चलो चलते हैं, उन तीनों को आया हुआ देख वह बुजुर्ग पूर्व की भांति सजग होकर बैठा हुआ था, उन्होंने सिर्फ एक ही बात कही कि मैं जवाब देता हूं, इंसाफ करना प्रकृति का काम है, और कायरा किसी के बुलाने पर नहीं आती, जब उसकी मर्जी होगी, वह खुद ही आ जाएगी।
हां, मैं तुम्हारे लिए सुरभि को मदद मांगने के लिए कह सकता हूं, क्योंकि कायरा सिर्फ पीड़ितों की बात सुनती, यदि सुरभि मदद मांगे तो वह हिसाब जरूर करेगी, अब तुम लौट जाओ कहकर उन तीनों को बुजुर्ग ने वापस कर दिया और अरुण बुझे मन से घर आकर कुछ सोचने लगा, ना जाने कब उसे आंख लग गई, लेकिन तड़के सुबह तेज फोन की घंटी ने जैसे उसे गहरी नींद से जगा दिया,
सामने से कहा जा रहा था, हेलो सर..... रेवांस हॉस्पिटल की एक नर्स इला की डेड बॉडी आई है, पोस्टमार्टम के लिए , आपको बुलाया है....... वह कुछ समझ ना पाया कि आखिर कब और कैसे?????? और तैयार होने लगा कि तभी तेज हवाओं ने जैसे उसे मजबुर किया कि वह पलट कर आईने की तरह घूमते ही चीख पड़ा,
क्योंकि पीछे सुरभि का चेहरा कायरा के साथ उसे नजर आया और उनकी आंखों में आंसू थे, कायरा ने सिर्फ इतना कहा कि इंसाफ सबके सामने हुआ, अब इजाजत दो मुझे भी और सुरभि बहन को भी, और दोनों चले गए।
अरुण को जानकारी में मिला कि इला नर्स उसी रूम में आराम कर रही थी, जहां उस दिन सुरभि को एडमिट किया गया था, कि तभी अचानक एक विशाल सर्प ने आकर उसे जकड़ रखा था, और वह चिल्ला रही थी, उसकी पुकार सुनकर जब लोगों ने आकर देखा तो बहुत मशक्कत के बाद उसे छोड़ा, लेकिन जाते-जाते अत्यंत क्रोध में उसने पलटकर वार कर दिया, और देखते ही देखते इला ने दम तोड़ दिया, और वह सर्प न जाने रूम की खिड़की से बाहर निकलकर झाड़ियों में जाकर कहीं गुम हो गया, लोगों के लिए यह एक दहशत थी, लेकिन अरुण के लिए कायरा का इंसाफ.......
शेष अगले भाग में........