कायरा के स्वर से अचानक सारा माहौल बदल गया, उसमें हल्की दीवारें हिलने लगी जो पहले से तो खंडहर हो ही चुका था, लेकिन उस नाम ने जैसे वहां भारी भूकंप सा ला दिया हो, ना जाने किन किन आकृतियों के बीच वैभव बैठा हुआ था, हर आकृति के ऊपर एक दीप जल रहा था, और सामने कोई तांत्रिक उसकी सुरक्षा के लिए विशेष पूजन करवाने के लिए उपस्थित था, बिना यह जाने कि वह जिससे सुरक्षा चाहता है, वह कोई मामूली स्त्री नहीं और जिसे बचाना चाहता है, वह भी कोई कम नीच इन्सान नहीं, दरिंदों का बाप था, वह उसकी दरिंदगी का एक पन्ना भी अगर उस भोले तांत्रिक ने देख लिया होता तो कभी उसकी मदद नहीं करता,
जैसे ही उसने नाम पूछा और मानस ने कायरा कहकर पुकारा, अचानक वहां की जमीन हिलने लगी, जैसे किसी असीम शक्ति को पुकार लिया गया हो, लेकिन कायरा नाम सुनते ही वहां की हवाओं का रुख बदलता देख तांत्रिक समझ गया कि यह नाम कोई इतना सहज नहीं जितना वह समझ बैठा था, क्योंकि नाम के गुंजन में ही जब इतना प्रभाव उत्पन्न हो गया तो उसकी उपस्थिति कितनी खतरनाक होगी, इसलिए उसने पास बैठे हुए शिष्य को सजग रहने का इशारा कर थोड़ा दूर हट कर बैठने को कहा, क्योंकि तांत्रिक क्रिया शुरू होने पर उसे बीच में रोका नहीं जा सकता, फिर अंजाम जो हो, नहीं तो शायद वह उसे वही रोक देता, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।
अचानक तेज हवाओं के साथ एक विस्फोट हुआ, अनेक प्रतिकृति प्रकट होने लगी, लेकिन पुकारा तो सिर्फ कायरा को गया था, फिर यह सब........ओ...नो... कायरा तो खुद इन शक्तियों का भंडार थी, जिसके पहुंचने से पहले यह उस जगह पहुंच जाती किसी सेविका की तरह ,और फिर कायरा जिसे पुकारा जा रहा था, वह भी कोई मृत आत्मा नहीं एक जीता जागता मानव शरीर है, या यू कहे ईश्वर की परिकल्पना से भी दूर अत्यंत सुंदर स्त्री का वह स्वरुप जिसे देखते ही मनुष्य क्या देवताओं के भी होश उड़ जाए, उसकी उपस्थिति ही जैसे सबको अपने वास्तविकता से परे कर दे।
हर कोई चाहे या ना चाहे, उसे बिना देखे या उसको बिना सोचे नहीं रह सकता, ऐसा लगता जैसे ईश्वर ने अपनी सबसे सुंदर रचना मोहिनी को धरती लोक पर अनायास ही भेज दिया हो, लेकिन कायरा आखिर कौन थी????
जिसका नाम पुकारते ही इतनी प्रतिक्रिया अचानक होने लगी, एक ही झटके में तेज हवाओं के झोंकों से बनाई गई सारी आकृतियां किसी रेत की तरह उड़ने लगी, सारे दीप बुझ गए और यहां वहां बिखरने लगे, आसपास बुझी हुई मसाले बिखरे हुए दीपक की लौ से जलने लगी, जहां अभी तक अंधेरा कर सिर्फ मानस को फोकस कर बैठाया गया था, वह एक खुले मैदान में नजर आने लगा, क्योंकि न वह सुरक्षा घेरा बचा और ना ही वहां अंधेरा, मसाल की रोशनी सारा वातावरण साफ-साफ देखने को मजबूर करती थी।
अपने उखड़े हुए कवच को देख तांत्रिक खड़ा हो गया और जैसे खुद को बचाने हेतु किसी अदृश्य शक्ति का आह्वान करने लगा, लेकिन तब तक किसी हवा के झोंके की तरह कायरा किसी नग्न पुरुष का सिर हाथ में पकड़ उसे घसीटते हुए हाजिर हो गई, आते ही उसने पहले उस पुरुष का चुंबन किया और इससे पहले कि वह उसका अनुभव भी कर पाता, उसके चिथड़े उड़ गए, जैसे उसके अंदर किसी ने खौलता हुआ ज्वालामुखी डाल दिया हो, यह देख मानस आंखें बंद कर घुटने टेक कर बैठ गया और माफी मांगने लगा,
लेकिन तांत्रिक भी कोई सामान्य ना था, वह एक पर एक अभिमंत्रित शक्तियों का जाल कायरा की ओर छोड़ता और कायरा की एक सामान्य मुस्कान से ही वह टूट कर बिखर जाता, क्योंकि सृष्टि में ऐसी कोई शक्ति थी ही नहीं जो कायरा को बांधकर रखें, ऐसा लग रहा था जैसे कायरा को पुकारा गया ना हो ,वरण वह खुद अपनी मर्जी से मानस को ढूंढते हुए आई हो, वह सिर्फ मंद मुस्कान के साथ तांत्रिक की नादानी पर मुस्कुरा रही थी , क्योंकि देखने से तो साफ ही जान पड़ता था कि भय तांत्रिक को अपने पास में ले रहा है ना की कायरा को स्पष्ट भी कर पा रहा हो, लेकिन तांत्रिक ने मन ही मन कुछ सोच कर ना जाने उसके मन में क्या आया, उसने जोरदार झटके से कुछ अभी मंत्रणा के साथ गर्जन किया , और पास रखें अभिमंत्रित जल को मानस के ऊपर डालते हुए बोला,अब लो कर लो अपनी मनमानी और देखते ही देखते मानस एक सुनहरे पिंजरे में कैद हो गया।
यह वह बंधन था जिसे तोड़ पाना असंभव था, इसे शायद उस तांत्रिक ने कायरा के लिए ही बचा कर रखा था, लेकिन वह भली भांति जान गया था कि कायरा को कैद कर पाना उस शक्ति के लिए भी संभव नहीं, इसलिए ऐसा प्रयास करना उचित न समझा , क्योंकि यह सत्य था कि कायरा अब वह कायरा नहीं थी, कि उसे कोई सामान्य समझने का साहस भी कर सके, वह शक्ति नहीं शक्तियों का समूह थी, देवी और असुरों का अद्भुत संगम ..........
कायरा मुस्कुरा कर बोली चालाक हो तांत्रिक, लेकिन ऐसा क्यों ????तुम्हें क्या लगता है, यह शक्ति भी इसे जीवित रख सकेगी ,और भला किसके खातिर , तुमने खुद अपना रक्षा कवच किसे प्रदान कर दिया, यह कितना नीच आदमी है, तुम जानते भी हो, और इतनी आसानी से कायरा को पुकारने का क्या दुष्परिणाम हो सकता है, तुम्हें पता भी है, क्योंकि तुमने अपना रक्षा कवच अपने शरणार्थी को दिया है, इसलिए मेरी नजर में तुम गुनाहगार नहीं हो सकते, इसलिए मैं तुम्हें क्षमा करती हूं, कहो मुझे पुकारने का क्या मकसद है ??????सच सच कहना, क्योंकि तुम यह भली-भांति जानते हो कि तुम्हारा एक झूठ तुम्हारा क्या हाल कर सकता है।
तांत्रिक शांत चित्त होकर खड़ा था और मानस किसी पंछी की तरह पिंजरे में कैद, कायरा ने पुनः पूछा, सच कहो क्यों पुकारा ,या मैं जाऊं और पुनः प्रयास ना करना, वरना अगली बार मैं तुम्हें बिना इस अपराध का दंड दिए नहीं छोडूंगी, इतना कहकर वह जवाब के इंतजार में तांत्रिक को देखने लगी, लेकिन तांत्रिक भी जाने किस मिट्टी का बना था, वह एक शब्द भी ना बोला, बस कायरा को देखता रहा, उसका ध्यान कायरा के कदमों की और था, क्योंकि वह भली भांति जानता था कि कायरा की आंखों में माया जगत का संसार छिपा है, अगर त्रुटी वश भी कोई उसे एकटक देख ले तो बिना मोह पास में बंधा नहीं रह सकता,
कायरा उसकी समझदारी से प्रभावित भी थी, और क्रोधित भी, प्रभावित इसलिए क्योंकि कोई तांत्रिक इतना सरल स्वभाव और अहंकार का विरले ही पाया जाता है, क्योंकि तांत्रिक साधना में लिप्त में साधक तो जैसे अपने आप को सृष्टिकर्ता से कम नहीं समझते और हो भी क्यों ना, क्योंकि सच्ची साधना कर लेने के पश्चात ऐसे साधक वास्तव में उन शक्तियों के मालिक हो जाते हैं ,जो संपूर्ण सृष्टि को बदल पाने में समर्थ होते हैं।
इतिहास में ऐसा कई बार हुआ कि स्वयं देवताओं को भी अघोसंत तांत्रिकों की सहायता लेनी पड़ी है, कई बार असुरी शक्तियों देवों को प्राप्त कर चुकी है, कायरा ने एक दफा उस तांत्रिक की ओर देखा, और बोली अच्छा तो यह बात है, उसे कहो, खुद सामने आकर बात करें और इतना कहते हुए अपना हाथ उठाया था कि तेज विस्फोट के साथ महल की दीवारें चरमरा उठी और तुरंत सामान्य हो गई, क्योंकि उसके प्रत्युत्तर में निशांत सामने आ खड़ा हुआ और कायरा से बोला, मुझे पता था, कायरा इतनी ना समझ नहीं हो सकती की पुकारने वाली की शक्ति और आवाज ना पहचान सके।
कायरा चौंकते हुए निशांत तुम ?????यहां इस रूप में कैसे ????कब ??????यकीन नहीं होता, निशांत ने उसके सवालों पर विराम लगाते हुए कहा, कायरा..... हां निशांत, वही एकमात्र प्राणी जो तुम्हारे सामने खड़े होकर हर सवाल का जवाब दे सकता है,
आखिर यह निशांत कौन???????कौन थी कायरा??????और कैसे इतनी शक्तिशाली दुनिया के मालिक एक दूसरे को पहले से जानते थे??????
शेष अगले भाग में.............