जयस के पिताजी को उन बुजुर्ग के द्वारा किया गया आदर सम्मान बहुत अच्छा लगा, और इतने सुंदर उनके वचन सुन तो जयस के पिताजी के मन को शीतलता दे आख़िर उन्होंने अपने मन की बात उन बुजुर्ग से कही,
उन्होंने बताया, श्रीमान मेरे पुत्र के कहे अनुसार मेरी बहू और बेटा वह कुछ दिन पहले अपने बच्चे के साथ इसी रास्ते से सफर कर रहे थे, लेकिन यदि मैं उनकी बात को मानूं, जिस पर वास्तव में मुझे खुद अब तक यकीन ना आया, तो उसने मेरी बहू को किसी कुएं में गिरकर खो जाना बताया है, और साथ ही साथ उसने यह भी बताया कि स्थानीय परंपरा के अनुसार उसे मजबूरन उसके अंतिम क्रिया भी यही किसी गांव में करनी पड़ी,
और इसलिए मैं इस बात की पुष्टि करने यहां आया, और साथ ही साथ अपने संबंधी, मेरे बहु के घर वाले को ढांढस बंधाने के साथ उन्हें यह कटु सत्य बताने निकला था, आपके मधुर वचन सुनकर जैसे मेरा क्लेश दूर हो गया, मुझे कुछ ऐसा ज्ञान दो, जिससे मैं उस पिता को इस दुख को झेलने का साहस प्रदान कर सकूं।
इतना सुनते ही वह बुजुर्ग कहने लगा, क्या आपको अब तक यकीन है कि आपका पुत्र आपसे सत्य नहीं कह रहा है, और आपको अभी भी अपनी बहू के लौट जाने की उम्मीद है, यदि हां तो वाकई खुश नसीब है वह बेटी जिसे आप जैसे ससुर मिले हैं।
क्या आप अपनी बहु का नाम या परिचय बता सकते हो, और इतना सुनते ही उन्होंने अश्रु धार के साथ संपूर्ण परिचय, व्यवहार और छवि का वर्णन अपनी बहू का कर दिया, वह बुजुर्ग मुस्कुराते हुए कहने लगे, ईश्वर कभी अन्याय नहीं कर सकता, और शायद इसलिए एक पवित्र आत्मा ने आपकी बहू को मुझ तक पहुंचाया है,
और यह बात बिल्कुल असत्य है कि किसी ग्राम में अभी ऐसा कोई अंतिम संस्कार किया गया हो, हां एकमात्र उस दुखियारी को छोड़ और कोई भी किसी ऐसी घटना का शिकार नहीं हुआ, और जहां तक मैं जानता हूं, यकीनन वह आपकी बहू ही है, यह कह कर उन्होंने अपनी बेटी को आवाज लगाई और बुजुर्ग के आने का कारण भीतर बैठी महिला को बताया, जिसके सुनते ही गरिमा उठकर अपने ससुर के सामने आकर खड़ी हो गई, और अपने ससुर को वहां देख कर उसकी आंखों से अश्रु धारा बहने लगी।
गरिमा ने अपने ससुर को जयस द्वारा किए गए अत्याचार की सारी बात बताई, कि कैसे जयस ने उसे एक छोटी सी बात पर मुझसे बदला लेने के लिए एक चाल चली और कहा कि मुझे कुएं से पीने के लिए पानी ला कर दो,
पिताजी मैंने तो सिर्फ उन्हें उनके वह दोस्त जो मुझे ठीक नहीं जान पडते थे, बस उनसे मिलने के लिए ही रोका था, बस इतनी सी बात पर उन्होंने बदला लेने के लिए मुझे पानी के बहाने पीछे से धक्का देकर कुएं में गिरा दिया और अपने बच्चे को लेकर वहां से निकल गए, बिना यह देखें कि मैं जिंदा हूं या मर गई हूं, उन्हें मेरी बिल्कुल भी परवाह नहीं थी, कहते हुए गरिमा जोर जोर से अपने ससुर के पास रोने लगी, लेकिन तभी अचानक मुझे किसी के द्वारा अपने हाथों को पकड़कर ऊपर खींचने का एहसास हुआ।
कुएं से बाहर निकलकर मैंने देखा कि कोई कायरा नाम की लड़की जिसे उसकी मौसी सास लेकर आई थी, उन दोनों ने मुझे कुएं से बाहर निकाल कर मेरी मदद की और बस इतना जान थकावट के कारण मेरी सांसें फूलने लगी और मैं बेहोश हो गई।
होश आने पर मैंने अपने आप को इन बुजुर्ग के यहां पाया, जिनसे कायरा कह गई थी कि कुछ दिनों तक गरिमा को आप आश्रय दीजिए, उसके परिवार का कोई ना कोई उसे लेने यहां जरूर आएगा, यह सुनकर गरिमा के ससुर की आंखों से भी अश्रु धारा बहने लगी, उसके ससुर को बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ कि जयस ने गरिमा के साथ इतना घिनौना व्यवहार किया है,
यह सोन चिरैया लगातार जिसे देखने के लिए यहां आती जाती रही, जिसने आज आपको यहां तक पहुंचाया, गरिमा को ढांढस बांधा और घर का संपूर्ण वृतांत दिखाया और जयस की आत्मग्लानि के बारे में बताया।
यह कोई और नहीं बल्कि यह जयस की मौसी ही है, जो गरिमा से बहुत प्यार करती थी, और जिन्होंने जयस को अगले स्टेशन पर उतारकर गांव की सीमा तक पहुंचाया था,
जयस के पिताजी उस सोन चिरैया अर्थात जयस की मौसी के आगे हाथ जोड़कर खड़े हुए और साथ ही उन बुजुर्ग को बहुत-बहुत धन्यवाद करते हुए कहने लगे कि मैं तुम्हारा शुक्रगुजार हूं, तुमने मेरी बहू को इतने दिन अपने घर पर सुरक्षित रखा, कहते हुए वह गरिमा को अपने साथ गांव ले गए।
वहां जयस गरिमा को देखकर अचंभित हो गया था, और जयस के पिताजी ने जाकर सबसे पहले जयस को दो झापड़ जड़े और कहा कि तू इतनी नीच हरकत कर सकता है, यह हमने सपने में भी नहीं सोचा था, तूने गरिमा को आखिर कुएं में क्यों धक्का दिया??????
जयस गर्दन झुकाए आत्मग्लानि में खड़ा था, और जोर जोर से रोने लगा, गरिमा मुझे माफ कर दो, मुझे अपने आप पर बहुत क्रोध आ रहा हैं, तुम चाहो तो मुझे जो भी सजा देना चाहती हो दे दो, तुम भी मुझे कुएं में धक्का देकर मार दो, पता नहीं उस समय मुझे क्या हो गया था, इतना क्रोध क्यों आया ???? जिससे मैंने तुम्हें कुएं में धक्का दे दिया।
उधर उसके पिताजी उसे घर से निकालने के लिए धक्का देते ही हैं, तब गरिमा कहती है कि पिताजी रहने दो, उन्होंने माफी मांग ली है, और उन्हें उनके किए गए अपराध पर पश्चाताप भी हो रहा है, मैं जयस को माफ करती हूं, मेरे बच्चे के खातिर इन्हें मैं माफ करती हुं पिताजी।
गरिमा का बच्चा जो हर पल अपनी मां को देखते और अपनी मां की आस में बैठे रहता था, वह गरिमा को देखकर बहुत खुश होता, और जैसे ही उसने गरिमा को देखा, जाकर गरिमा की गोद में बैठ गया, तब जयस के पिताजी कहते हैं कि तू खुशनसीब है कि तुझे इतनी अच्छी पत्नी मिली, तेरे इतने बड़े गुनाह को जो कि कोई भी माफ नहीं करता, लेकिन गरिमा ने तेरे इतने बड़े गुनाह को माफ कर दिया।
तब जयस हाथ जोड़कर अपने पिताजी, गरिमा और सारे घरवालों से माफी मांगता और वचन देता हैं कि ऐसा अब मैं कभी नहीं करूंगा, और अब हम अच्छे से आगे की जिन्दगी की शुरुवात करेंगे, अब मैं पूरी तरीके से गरिमा का ख्याल रखूंगा और कभी गरिमा को किसी भी चीज़ की कमी महसूस नहीं होने दूंगा, कहते हुए वह जोर जोर से रोने लगा,
तभी गरिमा ने मन ही मन उसकी मौसी सास और कायरा का शुक्रिया अदा किया, कायरा और उसकी मौसी सास यह सब वृतांत दूर से देख कर खुश हो रही थी,
इस प्रकार फिर आज कायरा ने एक और घर को बिखरने से बचा लिया,,
आगे कायरा का अगला कदम क्या होगा?????
और अब कायरा किसे न्याय दिलाएगी??????
शेष अगले भाग में.......