आपको तो पता है ना मौसी, मैं उससे कितना प्यार करता था, और फिर मैंने ही तो आपसे कह कर ही तो हमारी शादी के लिए घर वालों को मनाने के लिए कहा था, तब तो आप समझ ही सकते हो कि मेरा क्या हाल होगा?????
मुझे तो फिक्र अब इस बच्चे की है कि मैं इसका पालन पोषण कैसे करूं?? बिना मां के एक बच्चे का दर्द सोच कर ही मुझे बड़ा दुख लगता है, मेरा मन अभी तक उस घटना को भुला नहीं पा रहा है, उससे तो अच्छा होता कि मैं भी उस कुएं में कूद जाता, लेकिन सिर्फ इस बच्चे को देखकर और इसके बारे में सोचकर साहस नहीं कर पाया, आखिर भला ऐसा क्या हुआ और बहुत प्रयास के बाद भी मैं उसे बचा ना पाया।
पूरा आधा दिन लगा, लोगों को, उसे बाहर निकालने में.... और मैं उसके पार्थिव शरीर को ले भी आता, लेकिन ग्रामीणों ने स्थानीय रीति-रिवाजों का दावा कर वहीं अंतिम संस्कार करने के लिए मुझे विवश कर दिया, और मेरी प्यारी गरिमा को वहीं छोड़कर मुझे आना पड़ा, कहते हुए वह जोर जोर से रोने लगा।
ऐसा रुदन की दिल दहला दे, लेकिन दूसरे ही पल वह आचार्यचकित हो अपनी मौसी की ओर देखने लगा और बोला, ताजुब्ब है मौसी, आप मुस्कुरा रहे हो, इतनी गंभीर घटना अपने परिवार में घटी, तुम्हारा बेटा, बहू से अलग हो गया, एक अबोध बालक की मां छीन गई और इतने पर आपका मुस्कुराना आखिर क्यों???????
आपको थोड़ा भी दुख नहीं, कहते हुए जयस उसकी मौसी की ओर देखने लगा विचित्र भाव से.....
क्योंकि उसकी मौसी का मुस्कुराना उसको अजीब लग रहा था, और शायद इसलिए भी, क्योंकि उससे कहीं ज्यादा उसकी मौसी गरिमा से प्यार करती थी, गरिमा की मौत की खबर सुनने पर भी उनका मुस्कुराना उसे बड़ा अजीब लग रहा था,
तभी उसकी मौसी मुस्कुराती हुई बोली, यदि तु सच कह रहा है तो कोई बात नहीं, गरिमा को ईश्वर यकीनन लौटा ही देगा, मैं इसलिए मुस्कुरा रही हूं, लेकिन मुझे ना जाने क्यों ऐसा लग रहा है कि तेरी बातें सच्ची नहीं, मुझे अभी भी तेरी बातें मजाक लग रही है, इसलिए मैं मुस्कुरा रही हूं, खैर छोड़ तू चल घर, मैं आती हूं।
जयस को मौसी का ऐसा व्यवहार बड़ा अजीब सा लगा, और उसे थोड़ा गुस्सा भी आया और वह रोते हुए उसके घर पर जा पहुंचा, घर तक पहुंचते-पहुंचते अब उसे सांझ हो चली थी, उसका रुदन सुन गांव के कुछ लोगों ने इकट्ठा होना शुरू कर दिया, और धीरे-धीरे गरिमा के खो जाने की खबर सारे गांव में फैल गई, जिसने भी सुना, सुनते ही रो पड़ा।
लेकिन ना जाने इन सबके बीच जयस के मन में उसकी मौसी की हंसी अजीब और रह-रहकर याद आ रही थी, रोते गाते एक बड़े जनसमूह के साथ वह घर पहुंचा, तब तो माहौल और भी गंभीर हो उठा, क्योंकि गरिमा को सारा परिवार बहुत चाहता था।
कोई बच्चे को गोद ले कर रो रहा था, तो कोई पुरानी यादों को गा गा कर सुना रहा था, इसी बीच किसी ने उससे पूछा, लेकिन इतनी शाम तक तुम यहां तक पहुंचे कैसे???सुनने में आया कि गांव आने वाले सभी रास्ते बंद है, और पिछली आंधी में गांव आने के सभी रास्ते बंद कर दिए, ना जाने क्या-क्या नुकसान हुआ, हम लोगों का सब कुछ अस्त-व्यस्त हो गया।
हम तो यह सोच रहे थे कि अच्छा हुआ शहर में कम से कम तुम दोनों तो सुरक्षित होंगे, लेकिन अफसोस ना जाने क्या विधाता ने सोच रखा जो मेरे कुलवधू को ही हमसे छीन लिया, कहते हुए जयस की मां रोने लगी।
जयस भी रोते हुए..... वह तो भला हो मौसी का, मुझे पिछले रेलवे स्टेशन पर ही उतार लिया, लेकिन मौसी कहां गई थी?????
वही तो मुझे यहां तक साथ लाई, मैंने सबसे पहले उन्हीं को गरिमा के गुम होने की बात बताई, लेकिन अफसोस मां...
हमारे जाने के बाद मौसी बदल गई, और देखो ना मैंने उनको एक एक बात विस्तार से बताई, लेकिन उनकी आंखों से एक आंसू तक ना आया,
हम बड़ी मुश्किल तक यहां तक पहुंचे, लेकिन पूरा गांव इकट्ठा हो गया, पर मौसी अभी आती हूं, बोलकर मुझे गांव की सीमा पर ही छोड़ दिया, जैसे उन्हें कोई और काम याद आ गया, और अभी तक आई भी नहीं, क्या कुछ बात हुई है??क्या किसी ने उन्हें कुछ कहा???फिर आखिर अभी तक क्यों ना आई???? कहते हुए वह चुप हो गया।
लेकिन यह क्या हुआ, उपस्थित लोगों को तो जैसे सांप सूंघ गया था, सबने एक साथ जयस की ओर देखा, उसकी मां चिल्ला कर बोली, तू होश में तो है, जिनकी बात कर रहा है, मजाक कर रहा है क्या????? तेरा दिमाग बहू के जाने से सठिया गया है, तू अपने आप से बातें कर रहा है क्या????
तुझे दिखता भी है कि तेरे मौसा जी सामने बैठे ,उनका बेटा तेरा भाई तेरे सामने बैठा है, पूरा गांव यहां है, इतने पर यदि मौसी होती तो क्या नहीं दिखती???
अरे पिछली आंधी में ही वह पेड़ गिरने से हम सब को छोड़ कर जा चुकी है, और तू कहता है कि उसने तुझे यहां तक लाकर छोड़ा, इतना सुनते ही गांव के सभी लोग भी वहां एकत्रित होने लगे, लेकिन जयस का हाल तो बुरा हो चुका था, वह सिर चक्कर मार कर वहीं गिर पड़ा, बड़ी मुश्किल से लोगों ने उसे पानी के छींटे मार कर उठाया।
आंखें खुलते ही उसने गांव के ओझा को अपने सम्मुख पाया, डर कर उठते ही ओझा ने उसके सिर पर मोर पंख की झाड़ू को उस पर दो-तीन बार घुमाया, और शांत होने का इशारा करवा कहने लगा, उत्तम आत्माएं जाने पर भी अपनों का साथ नहीं छोड़ती......
तेरी मुसीबत देख उस ममतामई मां ने तुझे यहां तक लाकर छोड़ दिया, लेकिन ग्राम सीमा को बांधने के कारण उसने तुझे वही छोड़कर चली गई, अफसोस तो इस बात का है कि तू उनकी बातें समझ ना पाया, अगर वक्त रहते तु समझ जाए तो भला है, इतना ही कहूंगा, चल मुझे जाना है, ईश्वर तेरा भला करे, तेरी गलतियों को क्षमा करें, कहते हुए वह वहां से चल पड़ा।
दरबार तेरा खाली नहीं, मेरे आका, लौट कर सबको तेरे दर पर आना है......लौट कर आना है...... कहते हुए उसका स्वर दूर तक सुनाई दिया।
गांव वाले विस्मय भरी निगाहों से कभी ओझा को देखते तो कभी जयस को, और सबके मन में अनेकों सवाल उठ रहे थे, इस परिवार को लेकर कि आखिर अचानक बहू कहां गई????? यह अकेला कैसे आया?????? क्योंकि इतनी बड़ी दुर्घटना होने पर उस गांव का कोई ना कोई व्यक्ति उन्हें छोड़ने जरूर आता है, ऐसे ही यूं ही एक नन्हे बच्चे के साथ ना छोड़ता,
पिछले स्टेशन पर जयस की मौसी का मिलना,, आखिर क्या संकेत देता है?????
उनकी मुस्कुराहट के पीछे छिपे रहस्य को लेकर गांव वाले ने तरह-तरह की बातें हो रही थी,आखिर सच क्या था????
शेष अगले भाग में........