मन ही मन हर्षिका को गर्वित की बातें कुछ अजीब सी लगने लगी, हर्षिका सोचने लगीं, आख़िर गर्वित अपने परिवार वालो से मुझे कब मिलाएगा,और वह परेशान सी रहने लगी,और फिर सीमा ने हर्षिका को भड़काने की कोई भी कसर ना छोड़ी थी, जिससे हर्षिका को भी सीमा की बातों पर अब कही ना कही विश्वास होने लगा था,
उधर गर्वित यह सोच रहा था, कि मैं हर्षिका को अपनें घर कैसे लेकर लाऊं???? मेरा घर बिल्कुल छोटा सा हैं, और मैं उसे अभी नहीं बताऊँगा कि उसके लिए मैंने एक घर बुक कर लिया हैं, और एक लाख रुपए जमा भी करवा दिए हैं, और बाकी का बैंक से किश्त बनवा लूँगा,
एक महिनें बाद गर्वित का जन्मदिन था, गर्वित नें सोचा मेरे जन्मदिन पर ही हर्षिका को सरप्राइज दूँगा, और तभी हर्षिका और उसकी माँ को भी घर बुला लूँगा, उसी दिन हर्षिका से शादी की सारी बात करके उसे सगाई की रिंग भी पहना दूँगा, क्योकिं हर्षिका के परिवार में और कोई नहीं हैं, इसलिए सारा कार्यक्रम हर्षिका और उसकी माँ के सामनें ही हों जाएगा।
अगलें दिन हर्षिका, गर्वित को फोन करतीं हैं, और गुस्से में कहतीं हैं कि तुम अपने घरवालों से मुझें कब मिलवाओगे????? गर्वित फिर से बात को टालतें हुए बात को पलट देता हैं, अब हर्षिका का शक और भी बढ़ जाता है, तभी हर्षिका, गर्वित से कहतीं हैं, तुम्हारें बैंक में कितने पैसे हैं मुझें अपना बैंक बैलेंस दिखाओ, लेकिन गर्वित ने बैंक बैलेंस दिखाने की बात भी टाल दी, क्योकि सभी पैसे उसनें मकान के ब्याने में दे दिए थें, और उसके एकाउंट में यहीं कोई 12-13 हजार ही पड़े थे।
हर्षिका का शक अब बढ़ता ही जा रहा था, और वो ये सोचने लगती हैं कि, गर्वित वाकई में मेरा इस्तेमाल कर रहा हैं ,और वो मुझसे शादी भी नहीं करेगा, इसलिए हर्षिका गर्वित का फ़ोन तक उठाना बंद कर देती हैं, इधर गर्वित इंगेजमेंट की सारी तैयारी कर चुका था, बातों ही बातों में उसनें हर्षिका की अँगूठी का भी नाप ले लिया था, और हर्षिका को इसका पता भी नहीं चला था।
गर्वित नें हर्षिका की तरफ से खुद की भी अंगूठी बनवा ली थीं, ताकि हर्षिका की माँ का कोई भी खर्चा न हों सकें, गर्वित नें किसी से थोड़ा कर्ज़ा लेकर हर्षिका के लिए साड़ी और उसका सारा सामान खरीद लिया था, और उसकी माँ के लिए भी एक सुंदर साड़ी खरीद ली, अब गर्वित ने सबको यह कह दिया कि मेरे जन्मदिन वाली रात को मेरी सगाई हर्षिका से है, और उसके घर में भी उसने सबको बता दिया था, सारी तैयारी हो चुकी थीं,,
तभी एक दिन गर्वित नें हर्षिका को बहुत बार कॉल किया, मगर हर्षिका नें उसका फोन गुस्से में उठाया और कहा कि क्या बात हैं जल्दी कहो, तो गर्वित नें कहा कल शाम को 6 बजे तुम और तुम्हारी माँ को मैं लेने आ रहा हूँ ,तो हर्षिका नें कहा कि मुझें कहीं भी नहीं जाना, तब गर्वित नें कहा कि हर्षिका कल मेरा जन्मदिन हैं, गर्वित के ये बताने पर भी हर्षिका ने गर्वित को जन्मदिन की बधाई नहीं दी।
लेकिन हर्षिका बहुत परेशान रहने लगी, उसे तो बस यही लगता था कि गर्वित ने उसका इस्तेमाल किया हैं, और वह उसे धोखा दे रहा है, और हर्षिका यह बर्दाश्त नहीं कर सकी, और उसने इस बात पर आत्महत्या जैसा कदम उठाने का सोचा, तभी वहां पर कायरा आ जाती है, और हर्षिका से कहती है कि तुम्हें इतना बड़ा कदम उठाने से पहले एक बार गर्वित के जन्मदिन पर जाना चाहिए, और अपनी बात उसके समक्ष रखकर पहले बात को क्लियर करो,
क्या तुम्हारी दोस्त सीमा तुमसे सही कह रही है, या फिर गर्वित सही हैं या गलत, पहले तुम्हें इस बात को जानना जरूरी है, कोई भी फैसला लेने से पहले तुम्हें बात की गहराई तक जाना चाहिए, तब हर्षिका, कायरा से कहती कि तुम कौन हो??? और क्यों मुझे बचाया, मुझे पता है कि गर्वित मुझे धोखा दे रहा है, तब कायरा कहती है कि एक बार तुम्हें गर्वित से मिल लेना चाहिए, इस बात पर हामी भरते हुए हर्षिका कहती हैं कि मैं गर्वित के जन्मदिन वाले दिन उसके घर जाऊंगी, तब कायरा तुम खुद ही देख लेना, गर्वित की सच्चाई का तब तुम्हें पता चल जाएगा।
अगली शाम हर्षिका और उसकी माँ तैयार होकर गर्वित के घर जाती हैं, और गर्वित की गाड़ी में बैठकर उस के साथ चली जाती हैं, पुरें रास्ते हर्षिका नें गर्वित से कोई भी बात नहीं कि, उसे तो गर्वित के रूप में एक धोखेबाज नजर आ रहा था,
तभी जैसे ही हर्षिका, गर्वित के घर की दहलीज पर कदम रखतीं हैं, वैसे ही गर्वित की माँ आरती की थाली लेकर आती हैं, और हर्षिका को टिका लगाकर उसकी आरती उतारती हैं, ये देख कर हर्षिका हैरान रह जाती हैं, तब वो गर्वित की माँ के पांव छूती हैं, उसकी माँ उसे अंदर आनें के लिए कहतीं हैं।
सभी लोग खड़े थें, गर्वित के बड़े भाई भाभी, गर्वित के भतीजा भतीजी और गर्वित की माँ पिताजी, सभी लोग हर्षिका और उसकी माँ का स्वागत करतें हैं, और बैठने के लिए कहतें हैं, अब गर्वित का जन्मदिन भी बन जाता हैं, उसके बाद हर्षिका जानें के लिए कहती हैं, तो गर्वित की माँ कहतीं हैं कि बहु तुम्हें जानें के लिए नहीं बुलाया हैं, हमेशा के लिए यहीं रखनें के लिए बुलाया हैं।
हर्षिका समझ नहीं पाती तभी गर्वित की भाभी दो फूलों की माला और एक ट्रे में दो अँगूठी लेकर आती हैं, ये देखकर हर्षिका, गर्वित की तरफ बड़े ही आश्चर्य के साथ देखतीं हैं, तभी गर्वित एक अँगूठी हर्षिका के हाथ में रख देता हैं, और कहता हैं आज हमारी इंगेजमेंट हैं हर्षिका, और इस बात के लिए मैं तुम्हें सरप्राइज करना चाहता था ,तुम्हें ये रिश्ता मंजूर हैं न?????
गर्वित ने नए मकान के कागज भी हर्षिका के हाथ में रख दिए , और कहा कि हर्षिका, यह मकान मैंने तुम्हारें लिए लिया हैं, क्योकि हमारा यह घर थोड़ा छोटा हैं, इसलिए हर्षिका की आँखे अब अपनें आंसुओ को रोक ही नहीं पा रही थीं, तभी हर्षिका नें मकान के कागज अपनी सास के हाथ में रखतें हुए कहा कि माँ जी मुझें तो इसी घर में रहना हैं आपके साथ, मुझें नया मकान नहीं चाहिए, इस बात से घर के सभी लोग खुश हो जातें हैं, तभी गर्वित कहता हैं कि हर्षिका तुम्हारी माँ भी हमारे साथ ही रहेगी, भला वो अकेली कैसे रह पाएगी??? ऐसा करतें हैं जो मकान मैंने लिया हैं वो पास ही हैं, माँ को तुम वहीं शिफ्ट कर दो, ताकि तुम अपनी दोनों माँ को संभाल सको।
हर्षिका रोने लग जाती हैं, और वही दूर खड़ी उसे कायरा दिखती है, तब वह एलिना के पास जाकर कहती है, मुझे माफ कर दो कायरा, मैंने गर्वित पर शक किया, मैं उनके प्यार को समझ नहीं पाई, तब कायरा उसे समझाती है, कि बिना सोचे समझे कोई भी कदम नहीं उठाना चाहिए, तुम्हारी सहेली सीमा तुम से जलने लगी थी, इसलिए उसने तुम्हें भड़काना शुरू कर दिया था, जीवन में कभी भी किसी शक की वजह से अपनें प्यार को कभी नही छोड़ना चाहिए, पहलें पूरा सच जान लो, फिर कोई कदम उठाना, तभी आपका भी रिश्ता बच सकता हैं, तब हर्षिका सब कुछ समझ जाती है, और वह कायरा का धन्यवाद करती है।
अब सब कुछ ठीक हो गया था, कहां हर्षिका अपनी सहेली की बातों में आकर गर्वित पर शक करने लगी थी, और हर्षिका शक की वजह से सब कुछ खत्म करने जा रहीं थीं, और यह गलतीं उसे बहुत महँगी पडने वाली थीं, मगर हर्षिका नें गर्वित के घर जाकर अच्छा ही किया।
इसलिए कहा जाता है, कि हमेशा लड़के गलत नहीं होते, इस प्रकार कायरा ने हर्षिका की जान बचाई, और उसे एक नई राह दिखाई,
अब आगे कायरा का अगला कदम क्या होगा ????
शेष अगले भाग में......