ठहरो कायरा ना जाने मुझे क्यों कुछ ठीक ना जान पड़ता, ऐसा लग रहा है जैसे आस-पास कोई चुंबकीय शक्ति का बादल या यूं कहूं कोई अति शक्तिशाली आभामंडल हमारी और बड़े चला आ रहा है, कायरा मुझे अपनी चिंता नहीं लेकिन अपना ख्याल रखना, क्योंकि सकारात्मक शक्तियां तो तुम्हारे साथ है ही, लेकिन यह काला बादल............
हां ठीक सोचा मैंने, वह देखो सामने वह काला बादल, हमारी और ही चला आ रहा है, लेकिन क्यों??????? इतना कहते हुए वह कुछ सोच पाती, इसके पहले उस काले बादल ने जैसे इस चमचमाती धूप के संपूर्ण आभा को नष्ट करते हुए सब कुछ अंधेरे में घूम कर दिया, यह अंधेरा और यह काले बादल आखिर क्यों है, जिसके प्रतिकार में कायरा के हाथों ने कुछ हरकत करनी ही चाही कि तभी एक नई आकृति उभर कर कायरा के सामने आ खड़ी हुई.............
चारवी तुम??????? अचानक कहां गायब हो गई थी??????? और फिर यह काले बादल आखिर तुम्हारे साथ कैसे?????????कायरा के मुंह से चारवी शब्द सुनते हुए जैसे उसके चेहरे पर अचानक चमक आ गई, क्योंकि बचपन में कायरा की प्यारी मासी चारवी, जो वास्तव में कहने को तो अर्धनारीश्वर थी, लेकिन ममता और वात्सल्य उसमें मां के प्यार से कम नहीं दिखता, इसलिए उसे सब चारवी मौसी कह कर पुकारते थे, लेकिन अचानक चारवी ना जाने वह कहां गायब हो गई।
चारवी मौसी का यूं अचानक गायब हो जाना अत्यंत संदेहपद पर था और दुखदाई भी और खासकर कायरा के लिए, क्योंकि जब सुबह सुबह उसके माता-पिता उसे छोड़ काम के सिलसिले से चले जाते और वह गुमसुम हो वही पास के टीले पर झरने के सामने जा बैठती, तक चारवी ही एकमात्र वह शख्सियत थी, जो उसे अपनेपन का एहसास दिलाती और उसे कहानी किस्सों के साथ अपने प्यार के आंचल में बेशुमार दौलत उडाती ।
लेकिन अचानक चारवी का गायब हो जाना, कायरा को भी बहुत खला था, लेकिन तब वह बेचारी मासूम कर भी क्या सकती थी, हां एक बार गुरुजी से उसने पूछा जरूर था, तब उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा,
सफरनुमा जिंदगी के दो ही प्यादे छोड़ो,
जो खुशी का साथ तो खुद ही गम दिला दे।
इतना कहते हुए उन्होंने सिर्फ इतना ही समझाया था कि सब कुछ ऊपर वाले की मर्जी पर है, इसलिए खुशी-खुशी जिओ, जरा भी खुशी दरकिनार की तो सुख की जगह ले लेगा, चारवी मौसी को इतने दिन बाद देख कायरा दौड़ कर उन्हें गले लगा लेना चाहती थी, लेकिन जैसे ही वह आगे बढ़ने को हुई, चारवी ने उसे इशारे से रोका और कहा रुको कायरा, पहले मेरी बात सुनो, यह काले बादल नहीं, शैतानों का सरपरस्त है,
सारी शैतानी शक्तियां इसकी गुलाम हैं, यह जब चाहे बिजली की तरह उन्हें प्रकट करता और जब चाहे हवा की तरह अपने आप में समेट लेता, यह तुमसे कुछ कहने आया है, पहले वह सुन लो, इतना कहते ही वह काला बादल एक विशेष आकृति में बदला और कहने लगा...........
कायरा तुम्हारा कर्ज है मुझ पर, तुमने अपने आप को किसी जालिम के कहने पर इस ज्वालामुखी में समर्पित कर दिया था, जो मेरी वसीयत में था, मुझे माफ करना लेकिन उसमें मेरी रजामंदी नहीं थी।
मेरी बच्ची ज्यादा नहीं कहूंगा, सिर्फ इतना जान लो कि इस दुनिया में आदम जात को बनाने वाले ने भी नहीं सोचा होगा कि वह सिर्फ अपने मतलब के हिसाब से अच्छाई और बुराई दोनों को ही बदनाम करने में पीछे नहीं हटता, खैर जो भी हो, मैं सिर्फ इतना कहने आया था कि मैं तुमसे वादा करता हूं, कोई भी शैतानी शक्ति तेरे सामने ना असर दिखा सकेगी ना टिक सकेगी, बड़ी से बड़ी शैतानी शक्ति चाह कर भी तेरा कुछ ना बिगाड़ पाएगी, और अगर ऐसा साहस किसी ने किया भी तो मैं खुद वहां उपस्थित हो उसे उसे जहन्नुम का रास्ता दिखा दूंगा, जिसकी कल्पना भी ना की होगी।
भला हो इस चारवी का जिसमें मैंने तेरी शक्ल देख तेरा पता पूछा, चारवी मैं तेरा भी गुनहगार हूं, जो तुझ जैसी अच्छी शख्सियत को धोखे से उस शख्स ने मार दिया, मैं अपनी शक्तियों के साथ ही साथ चारवी और हैसल तुम्हें भी यह कहता हूं कि जब कायरा मुझे ना पुकार पाए तब तुम दोनों में से जो भी मुझे पुकारेगा, मैं आ जाऊंगा, कहते हुए वह फिर पुनः बादल में परिणित हो गया।
कायरा कुछ कहना चाह रही थी, कि तभी बादल में से आवाज आई, बहुत हुआ इससे ज्यादा अगर मैं रुका तो मेरी शक्तियां इस वातावरण में विस्फोट पैदा करने लगेगी, इसलिए बाकी की बातें तुम चारवी से कर लेना, आज से चारवी भी तुम्हारे साथ ही होगी, कहते हुए वह बादल अचानक गायब हो गया, कायरा आंखों में आंसू लिए चारवी की और देखते हुए मतलब मौसी आप भी...................
चारवी कहने लगी, हां कायरा उस दिन जब मैं तुम्हें छोड़ उस झरने के पास से लौट रही थी कि तभी मुझे किसी ने पीछे से आवाज देकर मदद के लिए पुकारा, मुड़कर देखा तो हमारे गांव का ही एक शख्स मुसीबत में और व्यथित खड़ा था, वह कहने लगा कि मेरी मदद करो, मेरी बेटी बीमार है और औषधि के लिए जंगल जाना है, अकेले जा कर आना संभव नहीं, इसलिए यदि मदद कर सको तो मेरे साथ चलो,
जब बात किसी बच्चे की होती तो भला मैं कहां पीछे हटती, मैं उसके साथ दोपहर से शाम और शाम से रात तक घूमती रही, तभी वह उस पर्वत के ऊपर उस ज्वालामुखी के पास जाकर कहने लगा, वह लाल फूल...... वही चाहिए, कौन सा कहकर मैं आगे बढ़ी ही थी कि उसने मुझे मुझे धक्का मार उस ज्वालामुखी के हवाले कर दिया, लेकिन क्यों मैं यह नहीं समझ पाई और पल भर में ही मेरा शरीर राख में तब्दील हो गया,
लेकिन हर दुनिया के अपने एक वसूल होते हैं, बिना कारण और बिना वजह कुछ भी स्वीकार नहीं, इसलिए जब मेरे दिल में छुपी कायरा को इस काली शक्ति ने देखा तो मुझसे मदद मांग आज वह अपनी पिछली शक्तियों के साथ ऐसे दरिंदे को सबक सिखाने तुम्हारे पास आए चले आया है, यह उसकी रजामंदी ही नहीं कायरा....... मेरी बच्ची, चारवी की भी इच्छा है कि इस पुरुष प्रधान समाज को और उन सबको जो दगा के साथ किसी को भी क्षति पहुंचाए तो तुम इंसाफ करना,
मैं जानती हूं कि गुरु जी की शक्तियां भी तुम्हारे साथ है और अब तो शैतानी शक्तियां भी तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती, और समूल नष्ट कर दो उस हस्ती का जो किसी का बुरा चाहे और इसी उम्मीद में मुझे भी इंसाफ दिलाना तुम्हारा कर्तव्य है, आओ हैसल हम सब मिलकर एक दुनिया बनाएंगे.......
शेष अगले भाग में........