इस पूरी फलाई पहाड़ी में या फिर यूं कहुँ कि हमारे पूरे दीमा हसाओ जिले में तुम मात्र एक ऐसी पागल लड़की होगी जिसने पूरा दिन एक बकरी के बच्चे के साथ बिताया, कायरा क्या सच में यह बकरी का बच्चा इतना प्यारा है या और कोई वजह है, इसे साथ लेकर घूमने कि, यदि थक गई हो तो लाओ मैं कुछ देर रख लूं, कहते हुए उन्होंने कायरा की ओर अपने हाथ बढ़ाये, लेकिन कायरा झट से पीछे हटकर..............
नहीं गुरु जी मैं आपसे सेवा करवाऊँ तो पाप लगेगा, और फिर मैंने वचन दिया है इसकी मां को, कि शाम तक ख्याल रखने का,
अच्छा वचन ??????कैसा वचन??????
सफेद दाढ़ी वाले गुरुजी ने मुस्कुराकर प्यारी बच्ची कायरा से पूछा.........
कायरा बताने लगी कि आज सुबह जब उसके पिता अपनी बकरियों को चराने के लिए जाने लगे, तब उन्होंने बताया कि कल एक बकरी का बच्चा पहाड़ियों में कहीं गुम हो गया था, शायद अब तक जीवित भी ना बचा हो, और इसलिए यह बकरी अपने बच्चे को छोड़ कर कहीं जाना नहीं चाहती थी, कायरा जो प्यार और साहस की मूरत छोटी, लेकिन बच्चों से भी बड़ा दिल रखने वाली बच्ची शायद उसके मुख भाषा को समझ गई और उसके बच्चों को गोद में ले कहने लगी, मैं रखूंगी ख्याल इसका, तुम जाओ।
उसकी इतनी प्यार भरी बातें सुन तो शायद कोई पराया भी मान जाता तब तो वह उसकी अपनी प्यारी बकरी रेबी थी ,तो क्यों ना समझती और तब से कायरा उसे गोद में लिए घूम रही है,
कायरा ने बड़ी विनम्रता पूर्वक अपने पक्ष का प्रस्तुतीकरण किया और साथ ही साथ गुरुजी के सामने एक सवाल भी पेश किया.......... अच्छा यह तो बताएं, आप इन पकी हुई दाड़ियों के साथ कहां गायब हो गए थे?????काफी दिनों बाद दिखे, अगर मुझे पता होता तो मैं कुछ अखरोट ले आती, आपके लिए ..............
अरे नहीं...... नहीं......मेरी प्यारी बच्ची मैं तुमसे ही तो मिलने आया था, देखो तो मैं क्या लाया हूं तुम्हारे लिए, कहते हुए उन्होंने अपने जेब में हाथ डाला और एक चमकता हुआ लाल पत्थर निकाल कायरा को थमा दिया, एक अजीब सी चमक थी उस पत्थर में, और बोले कायरा तुम्हारे लिए एक तोहफा है, बस इसके बारे में किसी से जिक्र ना करना, तुम्हें जब भी कोई खतरा महसूस हो तो इसी प्यारी मुस्कान के साथ इस पत्थर को याद कर लेना, यह बड़ी से बड़ी समस्या से भी तुम्हें रक्षा प्रदान करेगा, आज के बाद इस पृथ्वी का या यूं कहूं पूरे ब्रह्मांड की कोई भी शक्ति तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती, इसी तरह तुम अपना वचन पूरा करते रहो........
मेरी प्यारी बच्ची अब चलता हूं, कहते हुए वे जाने लगे, कायरा कहने को तो एक छोटी बच्ची थी, लेकिन वह अत्यंत शक्तिशाली रूहानी ताकतों की स्वामिनी भी थी, कम उम्र में ही वह अत्यंत परिपक्व तथा सरल थी, वह जानती थी कि गुरु के महत्व को, इसलिए गुरुके भेंट को अस्वीकार ना कर सकी, और कहने लगी, लेकिन गुरु जी यह आपकी तपस्या का फल होगा, मुझे क्यों दिया???? और क्या है यह???????
गुरुजी मुस्कुराते हुए बोले मेरी बच्ची, यह तेरे गुरु का प्रसाद है तेरे लिये, यहां चमकता हुआ लाल पत्थर कोई सामान्य नहीं, वरन ज्वालामुखी के गर्भ या पृथ्वी के अंतरंग में छुपी वह शक्ति जिससे संपूर्ण सृष्टि में ऊर्जा बनी रहती है, यह मुझे मेरे गुरु ने भेंट स्वरूप दिया था, वर्षों की तपस्या से उन्हें प्राप्त हुआ, उन्होंने मुझे दिया था और अब मैं इसे उस प्यारी बच्ची को सौंपते हुए गर्व महसूस कर रहा हूं जो एक सामान्य बकरी के बच्चे की सुरक्षा के लिए पूरे दिन भर भूखी प्यासी बैठी है।
ऐसे ही संपूर्ण संसार को सुरक्षा प्रदान करना, कायरा जब भी जैसी भी विपरीत परिस्थिति नजर आए, अपने इस गुरु को याद कर लेना , पूरे ब्रह्मांड से सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है, तुम्हारा गुरु और अब तुम भी..........
अच्छा अब चलता हूं आदि शेष की सेवा का समय हो गया, ठीक है गुरु जी कहते हुए कायरा ने उनके चरण छुए और देखते ही देखते वह चमकता हुआ लाल पत्थर जैसे उसकी रूह में समा गया, इस बात का गवाह सिर्फ वह बकरी का बच्चा मिमियाते हुए जैसे अपने आपको भारी भाग्यवान समझ रहा था,और उसने कायरा की ओर देखा और उसके गालों को सहलाने लगा,
कायरा चुप रहे जरा कहकर आसमान की ओर देखने लगी, तभी उसने महसूस किया कि आसमान की रोशनी कहीं ना कहीं उसके चेहरे की चमक से कम पड़ रही थी, लेकिन कोई आश्चर्य की बात नहीं, बहुत बार गुरुजी को उसने ऐसी असीम शक्तियों के साथ प्रत्यक्ष रुप से देखा है ,जिनमें पानी पर चलना ,अचानक हवा में सीढ़ी की तरह चलना, और पल भर में पहाड़ की ऊंचाइयों तक पहुंचना सामान्य था।
उनके आने और जाने का कोई रास्ता तय ना था, कभी- कभी तो ऐसा लगता जैसे वे सिर्फ कायरा के लिए ही उसके पास आते हैं, लेकिन कायरा ही क्यों?????? एकाध बार यह सवाल खुद कायरा के मन में भी आया, लेकिन वह पूछने की हिम्मत ना कर सकी, गुरु जी का इतना प्यार दुलार वह खोना नहीं चाहती थी, उनके चेहरे का आकर्षण जैसे शब्द हीन कर देता और फिर उनकी चर्चा होती भी कितनी महज कुछ मिनटों की, कभी कभी तो ऐसा लगता जैसे कायरा उनकी तिजोरी हो जिनमें वह अपनी शक्तियों को लाकर छुपा कर चले जाते।
कायरा यह सोच ही रही थी कि तभी सांझ हो चली और उसके लौटने का समय हो गया, वह घर लौट उस बकरी को मेमना को सौप अपने पिता को गुरुजी से मिलने की बात को छोड़कर सारी बात को एक ही सांस में बता गई, बच्ची का निश्चल स्वभाव और उसकी भावपूर्ण बातें माता-पिता की संपूर्ण थकान एक पल में दूर कर देती है, इसलिए कायरा के पिता भी बातें सुनते हुए आंगन में आंख लगा सो गए, लेकिन तभी कायरा को बाडे में कुछ हरकत महसूस हुई, उसने जाकर देखा एक सियार उस बकरी के बाडे की ओर जा रहा है, कायरा बिना कुछ सोचे समझे दौड़ लगा एक पल में ही उस बाडे में जा पहुंची और कहने लगी, गलत जगह आ गए....... वापस जाओ........वरना मारे जाओगे, ऐसा लगता जैसे कायरा ने उसे चुनौती दी, सियार ने जैसे ही छलांग लगाकर कायरा की ओर बढ़ने का प्रयास किया, अचानक कायरा के हाथों से तेज बिजली सी कौंधी और देखते ही देखते उसने सियार को दो टुकड़ों में बांट दिया, इतनी खतरनाक शक्ति का आभास वे दोनों टुकड़े भी बर्दाश्त ना कर सके और पल भर में राख होकर जाने कहां गायब हो गए।
कायरा ने जीवन में पहली बार अपने अंदर छुपी हुई शक्ति का प्रत्यक्ष अनुभव कुछ इस तरह किया था, उसने आसपास देखा बकरी का समुदाय बड़े गर्वित अंदाज में कायरा को देख रहा था, और कायरा तेजी से अपने घर के अंदर आकर खुद को आईने में देखने लगी, कभी वह आईने को तो कभी खुद को देखती, वह समझ चुकी थी गुरुजी की दी हुई शक्तियाँ वास्तव में अचूक है,
लेकिन सिर्फ कायरा के लिए क्यों????????
शेष अगले भाग में.........