पद्मिनी की सुदूर गांव में दूर के रिश्ते में रहने वाली किसी बुढ़िया ने उसे सलाह दी थी, कि यदि किसी विशेष पेड़ की छाल को पीसकर अगर उसे शर्बत में मिलाकर किसी को पिला दिया जाए ,तो वह धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है, और यदि उस छाल की मात्रा को ज्यादा दी जाए तो मौत की भी नौबत आ सकती है।
बस फिर क्या था...... अंधा क्या चाहे दो आंखें....... पद्मिनी ने यहां वहां से वो छाल जुगाड़ करवा कनक को देना शुरू कर दिया, जिसके कारण अब कनक को कमजोरी महसूस होने लगी और कनक को संगीत धीमा पड़ने लगा,
अचानक कनक में आए इस परिवर्तन से मैं भी हैरान थी, और ना जाने क्यों मुझे कुछ शक भी हुआ, इसलिए मैंने उसे स्पर्श कर यह जानना चाहा कि आखिर माजरा क्या है???? और जैसे ही मैंने वास्तविक परिस्थिति का अनुमान लगा कर पता किया तो, मुझे कनक की मामी पद्मिनी पर अत्यंत क्रोध आया, मेरा जी चाहा कि मैं एक पल में ही उसकी मामी को उसके अंजाम तक पहुंचा दूं, और यह सोच मैं अत्यंत क्रोध से उसके पास गई थी, लेकिन मेरी शक्तियों ने मुझे उसे कोई भी नुकसान करने से रोक दिया, क्योंकि मुझे इस जमीं पर सिर्फ कायरा के सहायक और सुरक्षा हेतु भेजा गया था।
जब तक किसी घटना का संबंध कायरा से ना हो, मैं अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकती थी, फिर भी मैंने थोड़ा डर तो उसकी मामी के दिमाग में डाल ही दिया था, कुछ विशेष रंगों के द्वारा जो किसी भी प्रभाव कारी शक्तियों के लिए सामान्य था।
अब मेरे लिए चिंता का विषय यह था, कि भला मैं क्यों और कैसे कनक को कायरा से मिलवा सकूं??क्योंकि प्रत्यक्ष रूप से मैं ऐसा कर पाने में समर्थ नहीं हूं, यह विधाता का नियम है, और ना ही यह संभव होगा कि मैं खुद जाकर कायरा से बात कर सकूं, तब मैं करूं तो क्या करूं.....
मैं यही सोच कर कनक को देख रही थी, तभी एक मंद हवा के झोंके ने उसे प्रफुल्लित कर दिया और जैसे मुझे उसके जीवन में एक तरंग सी नजर आई,
मैंने भी जासमीन और चंदन की मिश्रित हवा के साथ गुलाब जल की फव्वारे अपने अंतर्मन की शक्ति से उस जगह में बिखेर दिया, जिसके प्रभाव से देखते देखते ही देखते उस औषधि का प्रभाव समाप्त हो गया और कनक पुनः पहले जैसे स्वस्थ नजर आने लगी।
मैं समझ चुकी थी कि यह औषधि मन को कमजोर बनाने वाली है, इसलिए मैंने सोचा कि जब तक कोई समाधान ना मिले, मैं इसी तरह इस प्यारी बच्ची को संरक्षण प्रदान करती रहूंगी।
मैं यह सोच ही रही थी, कि तभी अचानक मेरे मन में यह ख्याल आया कि कायरा को भी तो सुगंधित हवा और प्रकृति की सुंदरता बहुत पसंद है, और मैंने उसी पल उस स्थान पर देखते ही देखते सुगंधित फूलों की श्रंखला बिछा दी, और किसी तरह वायु का प्रवाह, कायरा और कनक दोनों के निवास स्थान की ओर मोड़ दिया, जिससे एक तरफ तो कनक सुरक्षित रहे और दूसरी ओर आकर्षित हो उस जगह आ जाए, और कनक से उसकी मुलाकात हो जाए।
मैंने पूरे मन से भरसक प्रयास किया और मेरा प्रयास भी सफल हुआ, अलगी सुबह जब एलिना उस स्थान पर आई और कनक से उसकी मुलाकात हो गई, कायरा चूंकि सर्व समर्थ थीं, इसलिए जैसे ही उसने कनक को स्पर्श किया, तो वह सारी कहानी समझ गई।
वह एक और तो कनक से मिलकर उससे दोस्ती का प्रस्ताव रखती, लेकिन दूसरी और उसके सारे परिवार का हाल जान उसके घर जाने की योजना बनाने लगी, कनक भी कायरा से मिलकर बहुत खुश थी, इसलिए वो राजी खुशी कायरा को अपने साथ ले आई।
कनक खूबसूरत, तो कायरा खूबसूरती की बला, दोनों को देखकर तो जैसे की पद्मिनी मामी का पारा सातवें आसमान पर था,
बस बहुत हुआ...... घर में कोई था नहीं, इर्ष्या की आग में जलने वाली कनक की मामी ने संपूर्ण वनस्पति की छाल को विष के रूप में उन दोनों के शर्बत में उड़ेल दिया, और वह ऐसा कर ही रही थी, कि उसने अचानक उसे खिड़की से बाहर जाकर देखा तो कायरा और कनक बाग में झूला झूल रही थी, जिसे देख उसे और भी क्रोध आया।
अब चूंकि उसका यह व्यवहार कायरा के खिलाफ था, इसलिए मुझे मौका मिल गया, मैंने उसे जोरदार तमाचा जड़ वहीं ढेर कर दिया,एक पल को मेरा जी चाहा कि उसे वही पटक पटक कर सबक सिखा दूं, लेकिन बेचारी कनक पर सारा इल्जाम लगने का डर था, इसलिए मैंने उसे कायरा के भरोसे छोड़ दिया, क्योंकि कायरा के तरीके मुझसे कई ज्यादा खौफनाक होते हैं, इतना तो मैं जान ही चुकी थी और हुआ भी वही, देखते ही देखते जैसे ही कनक की मामी शर्बत लेकर पहुंची, कायरा ने बहुत प्यास लगी है का बहाना बनाकर वह सारा शरबत पी लिया।
लेकिन यह क्या वह शर्बत कायरा ने जैसे ही पिया, वैसे ही कनक की मामी बेहोश हो गई, क्योंकि कायरा ने सारा उस शरबत का सारा प्रभाव पद्मिनी ने उसके भीतर डाल दिया था।
उसमें इतनी भी ताकत ना बची कि वह कुछ सोच सके, उसे बेहोश देख कनक और कायरा ने घर के नौकर चाकरो को आवाज लगाई, और हॉस्पिटल पहुंचा दिया।
इसी बीच कायरा ने उसके जिस्म से रूह निकालकर उसे इतना प्रताड़ित किया कि उसके होश ठिकाने लग गए, सारी होशियारी और ईर्ष्या खत्म होने के बाद उसकी रूह को पुनः जिस्म में ठेल दिया,
क्योंकि सारी नकारात्मकता उसकी खत्म हो चुकी थी, और उसके रूह में केवल और केवल कायरा का ख्वाब आ चुका था, इसलिए फिर कभी दोबारा उसने कनक के लिए कोई भी बुरी बात सपने में भी ना सोची,
पद्मिनी के व्यवहार में इतना परिवर्तन देख कनक के मामा भी हैरान थे, तो वहीं कायरा उस होशियार दादी को वही वनस्पति पिला दूसरी दुनिया का रास्ता दिखा दिया, ताकि फिर कभी वो किसी और के घर में बुराई करने का ना सोचे।
अब कायरा और कनक की दोस्ती आगे क्या रंग लाएगी?????और अब कायरा का अगला कदम क्या होगा?????
शेष अगले भाग में.......