मिहिका और अर्पित की शादी को पूरे पांच बरस हो गये थे, वे अपने पारिवारिक जीवन से बहुत खुश थे, काम की अधिकता और जीवन का आनंद उठाने के लिये शादी के शुरुआती दो बरस तक तो उन्होंने परिवार बढ़ाने के बारे में सोचा तक नहीं, अपनी सास के दबाव के आगे मिहिका इस बारे में सोचने के लिये मजबूर हो गयी,
मिहिका ने अर्पित से कहा मां पूछ रही थी कि मुझे दादी कब बना रही हो ?????तो तुमने क्या कहा ?????
सच बता दिया कि अभी हमने इस बारे में सोचना शुरू नहीं किया हैं , और ये सुनकर मां नाराज हो गयी थीं, अब हमें भी कुछ सोचना पड़ेगा अर्पित????
अर्पित बोला इसमें सोचना क्या है, नौकरी और बच्चे के साथ घर परिवार के जिम्मेदारी बढ़ जायेगी ,जिसे दादी बनने का शौक है वही बच्चे भी खिलाएगा ।
अर्पित जिस लहजे में बोला तो मिहिका का तनाव दूर हो गया ।
दोनों ने फिर कुछ समय बाद परिवार बढ़ाने का निर्णय लिया, वक्त बितता गया पर मिहिका की सास की इच्छा पूरी न हो सकी ।
हारकर मिहिका डॉक्टर के पास गयी तो पहले उन्होंने ढेर सारे टेस्ट करवाए और बोली,अभी एक साल तक कोई उम्मीद मत रखना मिहिका, पहले तुम्हारा इलाज होगा तभी तुम मां बन सकोगी ।
यह सुनकर मिहिका को बहुत बुरा लगा, ऊपर से सास का सारा गुस्सा उसी पर उतरा ।
मिहिका की सास बोली- ' मुझे तो पहले ही शक था, आज डॉक्टर ने भी यह बात साबित कर दी, पता नहीं मुझे पोते का मुंह देखने के लिये कितना और तरसना होगा ????
मां थोड़ा सब्र रखो , सब ठीक हो जायेगा,
क्या खाक सब्र रखू ? पांच साल तो बीत गये, एक साल तक अभी इलाज चलेगा, उसके बाद भी क्या भरोसा ? शायद मेरे कर्म ही खराब थे जो यह दिन देखना पड़ रहा है ।
मिहिका बोली आप अपने को मत कोसिये मां, कमी मुझ में हैं , मैं डॉक्टर के कहे अनुसार दवाई लूंगी तो जल्दी ही खुशखबरी आ आयेगी हमारे घर में ।
मां के उखड़े मूड को देखकर वे दोनों वहां से चले गए, डॉक्टर की बात से मिहिका पहले ही दुःखी ,ऊपर से सास की जली - कटी बातें सुनकर भी मिहिका परेशान सी रहती थी।
अर्पित ने कहा मिहिका, मां की बात का बुरा मत मानना, तुम जानती हो उनकी सारी उम्मीदें हम पर लगी रहती हैं, ऐसे में वे कुछ कह भी दें तो उसे गंभीरता से न लेना.....
उसकी बात से मिहिका थोड़ा अश्वस्त हो गयी थीं, उसने सिर हिलाकर अपना समर्थन पति को बता दिया था, भीतर से वे दोनों ही दुखी थे ,साल भर के इलाज के बाद डॉक्टर खुशी से संतुष्ट थी, तीन माह बीत जाने पर सब कुछ ठीक होते हुए भी उम्मीद की कोई किरण नजर नहीं आयी तो वे बोली....
मिहिका अब मुझे अर्पित के भी टेस्ट करने होंगे, तुम उसे भी यहीं बुला लो......
हम दोनो एक दो दिन में आ जायेंगे डॉक्टर....मिहिका तुरन्त बोली, वह जानती थी अर्पित इस मामले में थोड़ा संवेदनशील है,अत : माहौल बनाकर ही उनसे बात करनी होगी, शाम को मिहिका ने अर्पित को डॉक्टर की कही बात बता दी,
अर्पित ने मिहिका से कहा ये क्या मजाक है ? पहले डॉक्टर ने कहा तुममें कमी है, अब मेरे ऊपर पर भी शक कर रही है,आखिर टेस्ट कराने में बुराई भी क्या है ???? डॉक्टर का शक दूर हो जाएगा ,प्लीज चलोगे न कल मेरे साथ ।
अर्पित बोला ठीक हैं मैं अकेले ही चला जाऊंगा....
दूसरे दिन अर्पित बुझे मन से जांच के लिये चला गया, अर्पित की रिर्पोट भी निराशाजनक थीं, उसे यह बात डॉक्टर ने स्पष्ट कर दी थी, अर्पित तुम्हारी स्पर्म काउटिंग भी सामान्य से कहीं कम है, मेरी राय है कि तुम्हें भी कुछ महीने तक दवाईयां लेनी पड़ेंगी,
जी , ठीक है, कहकर अर्पित ने वहां से आ गया, डॉक्टर की बात सुनकर अर्पित का मूड बड़ा उखड़ा हुआ था, उसकी शक्ल देख कर ही मिहिका समझ गयी थी कि कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है ।
मिहिका के पूछने से पहले ही अर्पित बोल पडा, डॉक्टर के चक्कर में पड़ो तो, वे भी मरीज को छोड़ना नहीं चाहते.....
मिहिका ने अर्पित से पुछा, क्या कहा डॉक्टर ने ????
उत्तर में अर्पित ने अपनी रिर्पोट थमा दी, थोड़ी देर तक वह भी सकते में आ गयी,
फिर अपने को संयत करके बोली, थोड़े दिन दवाई खाने में क्या हर्ज है ? मैं भी खा रही हूं , डेढ़ साल से ।
क्या कह रही हो तुम ???? तुम औरत हो और मैं मर्द ,जो भी सुनेगा क्या समझेगा मेरे बारे में ????
पहली बार अर्पित के मुंह से औरत मर्द में भेद की बात सुनकर मिहिका को बुरा लगा, उसे अर्पित से यह उम्मीद नहीं थी, फिर भी बात संभालते हुए वह ऊपर से बोली, कोई सुनेगा क्यों ??? यह बात तुम मैं और डॉक्टर जानते हैं , चौथा कोई नहीं
तब अर्पित ने कहा, मुझे नहीं पड़ना इस झमेले में.......
अर्पित अभी तक उखड़ा हुआ था, उसके इस नये रूप से मिहिका भौचक्की थी, बहुत मनाने पर अर्पित दवाई लेने के लिये तैयार हो गया था, और एक साल ऐसे ही बीत गया,
अर्पित ने दवाई का कोई प्रभाव न देखकर दवाई लेनी छोड़ दी, इस बार मिहिका ने कोई प्रतिकार नहीं किया, वह भली भांति जानती थी कि हर पति पुरुष भी होता है, उसके पौरुष को कोई चुनौती दे तो वह कभी सहन नही कर सकता, जो बात मिहिका ने बड़ी सहजता से स्वीकार कर इलाज कराया,
मिहिका में अब कोई कमी नहीं थी, पर डॉक्टर की सलाह पर अभी भी वह कुछ विटामिन और अन्य गोलियां ले रही थी,
अर्पित के रूख को देखते हुये मिहिका ने उससे कुछ नहीं कहा और अपने भविष्य को भगवान के आसरे पर छोड़ दिया, एक दिन अचानक मिहिका को उबकाईयां आने लगी, उसने डॉक्टर से जांच करायी तो उसने खुशी को चौका दिया......बधाई हो मिहिका , तुम्हारी वर्षों की इच्छा पूरी होने जा रही है,
ये क्या कह रही हैं आप ?????
मैं सच कह रही हूं , तुम्हारा टेस्ट पॉजिटिव है, तुम प्रेगनेंट हो । ईश्वर करे आगे सब कुछ ठीक ठाक रहे और तुम एक सुंदर स्वस्थ बच्चे को जन्म दो ।
मुझे अभी तक विश्वास नहीं हो रहा डॉक्टर, ऐसा ही होता है मिहिका, जब अचानक मन की मुराद पूरी होती है । यह खबर सुनकर मिहिका के पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे, उसने फोन पर यह खुशखबरी तुरन्त अर्पित को दी,
उसने मिहिका को बधाई तो दी पर उसके आवाज का ठंडापन मिहिका साफ महसूस कर रही थी, शाम तक मिहिका बड़ी बैचैन थी ।
अर्पित से बात कर वह अपनी खुशियां उसके साथ बांटना चाहती थी, अर्पित के आते ही मिहिका उससे लिपट गयी,
मुझे अभी तक विश्वास नहीं आ रहा है अर्पित.....
इसमें अविश्वास की कौन सी बात है ????? अभी तुम जवान हो, और तुम भी तो अभी जवान हो, मिहिका बोली ।
मिहिका आने वाले मेहमान को लेकर अर्पित से ढेरों बाते करना चाहती थी, लेकिन अर्पित को इसमें ज्यादा रस नहीं आ रहा था,
आखिर अर्पित , मिहिका के मां बनने से खुश क्यों नहीं था????
शेष अगले भाग में.......