कायरा के बाबा उस लता को उठाकर अलग तो रख देते हैं, उसमें दिन ब दिन बहुत फूल खिलते हैं, और वह लता बढ़ते ही जाती है, और हरी-भरी लहराती हुई ,वह लता बहुत सुंदर सी दिखती है।
लेकिन जब भी उसमें थोड़ी सी भी हलचल होती है , तो कायरा को पीड़ा होने लगती है ,क्योंकि भले ही कायरा के बाबा ने उस लता को उठाकर एक और रख दिया, हो, लेकिन छोटे छोटे जीव जंतु को तो वहां जाने से कोई नहीं रोक सकता।
अगर छोटे छोटे जीव जंतु, या चीटियां भी उस बेला पर जाते हैं, तो वह चुभन भी कायरा को महसूस होने लगती है, अब तो जैसे एलिना की जान मानों उस लता में ही बस कर रह गई हो, अब तो कायरा के बाबा भी चिंतित से रहने लगे,और उनकी चिंता भी जायज थी, क्योंकि यह उनकी बेटी के जान का सवाल था।
उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वे क्या करें???? अनजाने में ही सही कायरा ने अपने दो बालों से उस लता को रस्सी की जगह बांध दिया था, लेकिन कायरा ने कभी यह नहीं सोचा था,कि एक दिन यह मेरे लिए ही मुसीबत बन सकती है।
जब भी कायरा अपने मेमने कुंची के साथ खेलने के लिए जाती थी , तो वहां पर वे तितलियों का झुंड भी आ जाता था, कभी वे तितली बनकर तो कभी मानव रूप लेकर कायरा के साथ खेलते थे।
लेकिन जब भी उस लता में हलचल होती थी , तो कायरा दर्द से चिल्ला उठती थी, तब उन तितलियों ने कायरा से कहा, कायरा तुम्हें खेलते खेलते क्या हो जाता है???? तुम क्यों येसे होने लगती हो।
तब कायरा ने कहा कि पता नहीं कुछ दिनों से ऐसा मेरे साथ हो रहा है, तब उसमें से एक बड़ी तितली अपने मन में अपने अंतर्ध्यान में जाकर पता करती है कि, कायरा के साथ ऐसा क्यों हो रहा है?????
तब वह तितली देखती है , कि कायरा ने अनजाने में ही सही उस लता को सहारा देने के लिए, अपने दो लंबे बालों से उस लता को बांधा था, तब वह इसका कारण जान जाती है, लेकिन इसका समाधान भी बहुत जल्द ही निकालना चाहिए, नहीं तो यह आने वाले समय में कायरा के लिए बहुत बड़ी मुसीबत बन सकती थी।
तब इस बात पर एक दिन कायरा के बाबा ने कायरा के गुरु को अपने घर बुलाया, कायरा के गुरु जब कायरा के घर आते हैं, तो कायरा के बाबा सारा वृत्तांत गुरु जी को बताते हैं,
तभी वहां कायरा आती हैं, और गुरु जी को अचानक देखकर कहती है, कि गुरूजी आप यहां???? इतने दिन के बाद आप घर आए हो?????तब गुरु जी कहते कि हां, मुझे तुम्हारे बाबा ने बहुत जरूरी काम से यहां पर बुलाया है।
तब कायरा कहती , कि बाबा ने तुम्हें बुलाया है, तो कोई जरूरी ही काम होंगा, इसलिए आपको याद किया होगा।
कायरा अपने गुरु जी को जलपान कराती हैं, और फ़िर कायरा के बाबा गुरूजी को बताते हैं, कि गुरु जी एक दिन मुझे किसी काम से बाहर जाना था, और मुझे जाने के लिए समय हो रहा था, और मैंने जाते-जाते कायरा को एक काम बताया, कि इस लता में रस्सी बांधकर उसे सीधा कर देना,
उस समय कायरा अपने मेमने कुंची के साथ खेलने में वयस्त थीं, और उस लता को बांधने के लिए उसे रस्सी नही मिली, तो उसने अपने दो बालों से इस लता को बांध दिया, और फिर दूसरे दिन यह लता हरी-भरी और घनी हो गई।
उस लता में बहुत सारे फूल उग गए, और जब दूसरे दिन मैंने फूल को जैसे ही तोड़ा, तो कायरा चिल्लाते हुए अपने कमरे से बाहर आई, और रोने लगी, तब मैंने देखा कि जब भी इस लता में हलचल होती है, तो कायरा को दर्द होता है।
गुरुजी जी को समझने में देर न लगी, और गुरुजी ने कहा कि अनजाने में ही सही, लेकिन कायरा से गलती तो हुई हैं, लेकिन इसका समाधान हमें जल्द से जल्द करना पड़ेगा। नहीं तो यह कायरा के लिए मुश्किल पैदा कर सकते हैं।
तब गुरु जी ने अपने अंतर्ध्यान से उन सभी तितलियों को झुंड में एक जगह एकत्रित होने के लिए कहते हैं, और गुरु जी उन तितलियों के पास जाकर कहते है, क्या तुम लोगों को पता है कि अचानक तुम्हारा कायरा से मिलना, यह सब मैंने ही किया था ,क्योंकि मैं आने वाले आगाज को जान चुका था।
इसलिए मैंने पहले ही तुम लोगों को कायरा से मिलाया था, अब तुम लोग भी कायरा की रक्षा कर सकते हो।
तब वह तितलियां कहती है, कि गुरु जी हम कैसे रक्षा करें कायरा की आप हमें सुझाव दें, ताकि हम कायरा की रक्षा कर सकें,
तब गुरु जी कहते हैं, कि तुम्हें उस लता के चारों और जाकर, और उसके अंदर में जाकर उस बाल को निकालना होगा, अपनी शक्तियों के द्वारा....
वह तितलियां गुरु जी का कहना मान कर, अब एक बहुत ही सूक्ष्म जीव का रूप धारण करके ,सारी लताओं में अंदर चले जाती है, और उस बालों को धीरे-धीरे सारी तितलियां वहां से निकाल देती है, और जब तक कि वह बाल का एक तिनका भी नजर ना आए, तब तक वे तितलियां उस लता में रहती हैं।
वे तितलियां बाहर आकर वे बाल गुरु जी को दे देती है, गुरु जी उन बालों को समेट कर कायरा के बाबा को देते हुए कहते हैं, कि इन बालों को तुम संभाल कर रखना ,और अब आगे से ध्यान रखना कि कायरा ऐसी कोई गलती ना करें, और अब कायरा को इस प्रकार का कोई भी कष्ट नहीं होगा, कहते हुए गुरुजी वहां से चले गए ,और कायरा के बाबा ने उन बालों को संभाल कर रख दिया।
तब वे उस लता से फूल तोड़ते, या कुछ उसमें हलचल भी होती तो अब कायरा को कोई भी कष्ट नहीं होता, कायरा के बाबा जैसे ही कायरा को आवाज़ देते है।
कायरा..... कायरा.... करके, तब कायरा की झट से आंखें खुलती है, और कायरा देखती है, कि मुझे ऐसा लगा कि जैसे बाबा पुकार रहे हैं, मैं भी बैठे बैठे यहां झरने के पास मुझे कब नींद लग गई, पता ही नही चला,और मैं भी सपने में अपने बचपन में चली गई थी, कैसे मैं कुंची के साथ में खेलती थी, और वो प्यारी प्यारी तितलियों का झुंड, यह सब कुछ याद करके कायरा बहुत खुश होती है, और वहां से उठकर कायरा चले जाती है ।
और मैं भी अपनी सखी कायरा के साथ उसके सपने में यह सब दूर से देखे जा रही थी , और मन ही मन मुस्कुरा रही थी, कि कितना प्यारा था कायरा का बचपन, और कायरा का वह प्यारा मेमना कुंची जो अभी कायरा के साथ ही रहता है, क्या आगे और कोई मुसीबत कायरा का इंतजार कर रही थी????
शेष अगले भाग में......