आज के समय में महिलाएं किसी से पीछे नहीं हैं, फिर चाहे वो कोई भी क्षेत्र क्यों ना हो, हर तरफ महिलाओं ने अपना परचम लहराया हुआ है, पूरी मेहनत और लगन से महिलाएं हर किसी से आगे बढ़ रही हैं, और देश का नाम गर्व से ऊंचा कर रही हैं, यही सोचते हुए गुंजन अपने आप पर गर्व महसूस कर रही थी।
जहां पढ़ाई में गुंजन जितनी होशियार, उतनी ही खूबसूरत..... कॉलेज में तो जैसे सब लड़के उसको ही देखते रहते, अपने नाम की तरह गुणवान गुंजन हर साल पूरे कॉलेज में टॉप करती, इसलिए पूरे कॉलेज में हर कोई गुंजन को अच्छे से जानता था।
गुंजन अपने माता पिता की इकलौती बेटी थी, इसलिए वह घर में और रिश्तेदारों में भी सबकी लाडली थी, गुंजन के पिताजी चाहते थे कि वह पढ़ लिख कर एक पुलिस ऑफिसर बने, और गुंजन ज्यादातर समय अपनी पढ़ाई में ही बिताती थी, क्योंकि उसके पिताजी के साथ साथ अब उसका भी सपना पुलिस ऑफिसर बनने का था।
गुंजन अपनी पढ़ाई को लेकर बहुत गंभीर थी, वह दिन-रात सिर्फ और सिर्फ केवल पढ़ाई ही करती, क्योंकि उसे अपना सपना पूरा करना था, उसकी पढ़ाई में इतनी लगन देख उसके मां पिताजी भी बहुत खुश होते,
आखिरकार परीक्षा का दिन नजदीक आता है, और गुंजन परीक्षा देती है, चार महीने के बाद गुंजन का रिजल्ट आता है, और पूरे जिले में गुंजन टॉप करती है, इसके बाद गुंजन कड़ी मेहनत से मेडिकल, और फिजिकल, दौड़ की तैयारी शुरू कर देती है,
वह दिन रात अपने आपको फिजिकल के लिए तैयार करती है, और फिजिकल भी गुंजन निकाल लेती है।
कुछ दिनों के बाद गुंजन का कॉल लेटर आता है, और गुंजन अपनी जॉब के लिए चले जाती है, यह सब देखकर गुंजन के माता पिता जी बहुत खुश होते हैं, और गुंजन को खुशी के आंसू के साथ पूरा गांव विदा करता है, गुंजन खुशी-खुशी अपने नए जॉब के लिए एक नए सफर की और निकल पड़ती है।
पुलिस ऑफिसर बन गुंजन अपने नए जॉब को लेकर बहुत खुशी खुशी अपने काम को करती, वह अपने नए काम से बहुत खुश थी, और उसके स्टाफ वाले भी गुंजन के काम को देख कर बहुत खुश थे,
खासकर बाहर आजू-बाजू कॉलेज और स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियां गुंजन को देखकर बहुत खुश होती, क्योंकि कॉलेज में जब भी कोई लड़का , लड़कियों को छेड़ता था, तो वे लोग सीधे जाकर गुंजन से शिकायत करती, और गुंजन ने पर्सनली अपना नंबर उन लड़कियों को दे रखा था, कि जब भी कोई लड़का किसी लड़की को बुरी नजर से या उनके साथ गलत व्यवहार करने की भी कोशिश करें तो वे तुरंत आकर उसे बताये, मैं आप सबकी मदद करूंगी, और गुंजन उन सबको न्याय भी दिलाती थी,
गुंजन का जज्बा देखकर सारी लड़कियां गुंजन के जैसा ही बनना चाहती थी, और गुंजन के गांव में तो, सब माता-पिता गुंजन का उदाहरण अपनी बेटियों को दिया करते थे, गुंजन के जैसे ही उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित भी करते थे,
गुंजन लगातार अपने काम के प्रति वफादारी निभाती थी, जो कोई भी गुंजन को घूस भी देने की सोचता था, वह गुंजन के हाथों पीटा जाता था, बल्कि गुंजन उन पर कार्रवाई कर उन्हें जेल में डाल दिया करती थी, गुंजन एक ईमानदार ऑफिसर थी, और वह चाहती थी कि उसके उसके स्टाफ के सारे लोग ऐसे ही ईमानदारी से अपना काम करें।
इन्हीं बीच छुट्टियों में गुंजन अपने घर जाती है, सभी गांव के लोग गुंजन का स्वागत करने के लिए आते हैं, और गुंजन को उपहार के रूप में कुछ ना कुछ देते हैं, आखिर उनके गांव की बेटी इतनी बड़ी ऑफिसर होने के साथ-साथ सबको न्याय भी दिलाती, यह उस पूरे गांव के लिए गर्व की बात थी।
इतनी बड़ी ऑफिसर होने के बाद भी गुंजन में रत्ती भर कभी घमंड नहीं था, वह सभी गांव वाले को प्रणाम करके उनका आशीर्वाद लेती है, और साथ ही साथ गांव की सारी बेटियों को पढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
जब गुंजन अपने घर की छत पर टहलती है, तभी गुंजन के मां पिताजी गुंजन से उसकी शादी को लेकर बात करते हैं, और गुंजन से कहते है कि अगर तुम्हें कोई लड़का पसंद हो तो तुम हमें बता दो, गुंजन के मां पिताजी गुंजन की इच्छा जानना चाहते थे, इसलिए वे गुंजन से यह बात कहते हैं, कि कोई लड़का तुम्हारी नजरों में हो तो हमें बता दो हम तुम्हारी शादी उससे कर देंगे,
तब गुंजन अपने पिताजी से कहती है कि नहीं पिताजी आपको जहां ठीक लगे, मैं वही शादी करूंगी, मैं किसी को नहीं चाहती हूं,
तब गुंजन के पिताजी गुंजन को बताते हैं, कि बहुत अच्छे घर से तुम्हारे लिए एक रिश्ता आया है, लड़का बैंक में मैनेजर के पद पर कार्यरत है, तुम यहां थी नहीं इसलिए हमने यह बात तुमसे कहीं नहीं , हमने सोचा था कि जब तुम घर आओगी तब इस बारे में हम तुमसे बात करेंगे,
और अगर तुम चाहो तो हम कल ही उन्हें अपने घर बुला लेते हैं, वे लोग तुमसे मिलना चाहते हैं, यह सुन गुंजन अपने पिताजी से सिर्फ इतना ही कह पाई कि अपने माता-पिता का यह अधिकार और उनकी इच्छा अनुसार वर के चयन के लिए आपको मेरी इच्छा जानने की कोई आवश्यकता नहीं पिताजी, यह जीवन आप का दिया हुआ है और यह हक भी आपका ही है, आप कभी भी मेरे लिए गलत सपने में भी नहीं सोचेंगे, कहते हुए वह वहां से चली गई,
और उसके माता-पिता अब रिश्ते को आगे बढ़ाते हैं, गुंजन के पिताजी लड़के वालों के यहां फोन करके दूसरे दिन उन्हें अपने घर बुलाते हैं, तभी दूसरे दिन लड़के वाले गुंजन के घर आते हैं,और एक ही नजर में उन्हें गुंजन पसंद आ जाती है, और वे लोग शादी के लिए हां कह देते हैं,
तभी गुंजन और राजेश (जिससे गुंजन की शादी की बात चलती है) दोनों आपस में काफी बातें करते हैं, और दोनों एक दूसरे को पसंद करते हैं, और घर वालों को अपनी मर्जी बताते हैं, तभी सगाई की तारीख तय होती है।
गुंजन और राजेश के घर वाले खुशी-खुशी एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं, और जल्दी ही सगाई की तारीख तय करते , क्योंकि सगाई करके गुंजन को वापस अपनी ड्यूटी के लिए जाना था, और शादी का मुहूर्त एक साल बाद का निकलता है, इसलिए गुंजन और राजेश की सगाई कर देते हैं,
सगाई के बाद गुंजन खुशी खुशी अपनी ड्यूटी पर वापस लौट जाती है, और वहां जाकर यह खुशखबरी अपने डिपार्टमेंट में सभी को मिठाई के साथ देती है, गुंजन की ये बात सुनकर सभी लोग बहुत खुश होते हैं,
लेकिन कहते हैं ना कि समय सदा एक सा नहीं रहता, और फिर नियति को क्या मंजूर है??????
लेकिन आखिर क्या??????????
शेष अगले भाग में......