कायरा का ऐसा विचलित होना और रह-रहकर उग्र हो जाना, शायद स्मृति द्वारा कही गई बातों का प्रभाव था, और फिर उसने कहा भी क्या गलत, जिंदगी के कई कड़वे सच को ही तो उजागर किया था, बिल्कुल वास्तविक जिंदगी के विषय में या बेबाक कहे जाना, हर किसी के लिए संभव नहीं था, स्मृति की खूबसूरती को देख तो कायरा भी हैरान थी, एलिना बार-बार सोचती रही कि स्मृति में ऐसी क्या कमी है, फिर भी उसके पति विनय ने उसे इतना दुख दर्द दिया, और उसके लिए वह कुछ नहीं, ऐसे कैसे हो सकता है???क्या एक पत्नी अपने पति के लिए कोई मायने नहीं रखती????
पति और पत्नी का रिश्ता वो रिश्ता होता है, जिसमें जीवन का लगभग हर रिश्ता समाया है, फिर चाहे वो दोस्त की तरह हर चीज़ पर साथ देना हो, भाई बहन की तरह एक दूसरे की रक्षा करना, माँ की तरह प्रेम पूर्वक सबको सम्भालना या एक पिता की तरह ज़िम्मेदारी लेना, इसीलिए इस रिश्ते को जीवन साथी, गाड़ी के दो पहिए आदि तरह के नाम दिए गए हैं, यानी हर हाल में हर तरह से साथ निभाना, कभी दोस्त की तरह कभी किसी और रिश्ते की तरह, जब जहाँ ज़रूरत हो, पर लोग रहते हैं सिर्फ़ पति और पत्नी बन कर।
वे एक दुसरे को नज़रअन्दाज़ कर दूसरे रिश्तों को अहमियत देते हैं, विनय भी स्मृति के साथ यही कर रहा था, स्मृति ने तो अपने सारे फर्ज बखूबी निभाए, लेकिन शायद विनय उसे कुछ ना समझता था, अपने पति होने के अहं में डूबे रहने के करण वह अहंकार की ख़ुशियाँ में खुश था, और इस एक रिश्ते में अहंकार के भ्रम से रिश्ते टूट जाते हैं, न जाने कितने रिश्ते और ख़त्म हो जाते हैं।
कायरा बस सोचते ही रही क्या वाकई में एक लड़की की जिंदगी सिर्फ गृहस्थी चलाने और बच्चों को संभालने तक ही सीमित हो सकती हैं???? और वह असमंजस में भी थी कि उसने स्मृति को एक सप्ताह का समय दिया हैं।
कायरा ने देखा कि विनय का अहम तो बढ़ते ही जा रहा था, और उसे अपनी पत्नी के वापस चले जाने का भी कोई दुख नहीं, बल्कि उसके रिश्तेदारों ने उसे भड़काने की पुरजोर कोशिश की, जिससे विनय उनके रिश्तेदारों के बहकावे में आने के बाद स्मृति को छोड़ने का फैसला कर लेता है,
तब कायरा सोचती है कि मुझे विनय के पूर्व में जाकर देखना चाहिए कि आखिर इसने स्मृति के साथ क्या किया ????जो स्मृति अपने आप को खत्म करने का सोचने लगी।
कायरा अपने ध्यान मग्न होकर विनय और स्मृति के पूर्व के बारे में जानने की कोशिश करती है, तब कायरा विनय की हरकतों को जान हैरान हो जाती है, विनय ने स्मृति को बहुत दुख दिए, विनय बात-बात पर उनके रिश्तेदारों के सामने स्मृति को बेइज्जत करता था, उसे हर समय खरी-खोटी सुनाता, और और हर समय उसके वजूद को ललकारता तथा उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाता ,
जबकि स्मृति एक पढ़ी-लिखी लड़की थी, लेकिन फिर भी वह कहीं ना कहीं अपने आप को समझा रही थी, गृहस्थी में ढलने की कोशिश कर रही थी, लेकिन कहते हैं ना कि ताली एक हाथ से नहीं बजती, लेकिन शायद विनय को इस रिश्ते से कोई मतलब नहीं था, उसके लिए स्मृति तो सिर्फ़ एक खिलौना थी, वह सिर्फ उसके घर संभालने और बच्चों को संभालने के लिए ही थी, स्मृति सिर्फ एक मशीन बन कर रह गई थी, साथ ही साथ इतना होने के बावजूद भी छोटी-छोटी बात पर स्मृति पर हाथ उठाता, उसे चोट पहुंचाता, उसके लिए स्मृति का आत्मसम्मान कुछ भी ना था,वह तो सिर्फ अपने अहंकार में ही जीता था।
अब स्मृति से यह सब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, हद तो तब हुई जब विनय ने स्मृति से कहा कि तुम मेरे लिए कुछ भी नहीं हो....कुछ भी नहीं....
तब स्मृति के आत्मसम्मान को बहुत ठेस पहुंचती हैं , और वो यह बात बर्दाश्त नहीं कर पाती, और विनय को छोड़ने का खुद फैसला कर लेती है, और विनय को छोड़कर चले जाती है।
कायरा अपने ध्यान से बाहर आती है, अब
कायरा सब कुछ समझ जाती है, और सोचती कि यह इंसान तो कभी नहीं सुधरने वाला, लेकिन इसके अहंकार को खत्म करना जरुरी है ।
जब स्मृति की मुलाकात कायरा से होती है, तब वह कायरा को अपनी सारी बातें बताती है, और आत्महत्या जैसे करने की बारे में सोचती है, तब कायरा उसे समझाती है कि मैं एक सप्ताह का समय लेती हूं, सब ठीक कर दूंगी.....
लेकिन कायरा को लगता है, कि विनय कभी सुधरने वाला नहीं है, तो वह जाकर स्मृति से कहती है कि स्मृति मुझे माफ कर दो, शायद मैं विनय को ठीक नहीं कर पाऊंगी, उसका घमंड उसे कभी सुधरने नही देगा। लेकिन इन सब की जिम्मेदार तुम नहीं हो,
इन सब का जिम्मेदार तो वह विनय है, इसमें तुम्हारा क्या कसूर है ???और तुम क्यों आत्महत्या किसी के लिए करोंगी, अगर तुम आत्महत्या कर लोगी तो, उसे कोई फ़र्क नही पड़ेगा, वो दूसरी शादी कर लेगा, फिर वह दूसरी पत्नी पर भी ऐसा ही अत्याचार करेगा, और उसकी गलती सुधरने वाली नही हैं।
अगर सजा मिलनी है , तो वह विनय को मिलनी चाहिए, तुम्हें नहीं.... और हमें मिलकर उसे सजा देनी ही चाहिए, तभी स्मृति और कायरा मिलकर विनय को सजा देने का सोचते हैं।
सबसे पहले स्मृति तलाक के कागज विनय के घर भेजती है, यह विनय बर्दाश्त नहीं कर पाता, कि एक औरत होकर इसने मुझे तलाक के कागज भेजे.....
तब कायरा उसे बहुत सुनाती है कि सिर्फ इस दुनिया में पति का ही वजूद नहीं है, और वह जब पत्नी का साथ नहीं दे सकता, उसे बात बात पर मारता पीटता है,और अपमानित करता है, तब फिर उसे क्या जरूरत है पत्नी के साथ रहने की, उसे तो इस हाल में अलग ही हो जाना चाहिए।
अगर वह अपनी पत्नी को नहीं समझ सका तो वह किसी भी रिश्ते को क्या निभाएगा?
स्मृति विनय से अलग होकर बहुत खुश रहती है, लेकिन धीरे-धीरे विनय की तबीयत बिगड़ने लगती है, और उसे लकवा मार जाता है, जो रिश्तेदार उसे स्मृति के बारे में भड़काते थे, आज वही रिश्तेदार उसकी तबीयत ठीक नहीं होने के कारण उसे देखने तक नहीं आते, तब उसे अपनी गलती का एहसास होता है, और वह स्मृति से माफी मांग कर वापस घर आने के लिए कहता है, लेकिन स्मृति कहती है कि तुमने ही तो कहा था कि मेरा तुम्हारे लिए कोई वजूद ही नही है, तो मैं क्यों वापस आऊं????
मैं ऐसे इंसान के साथ कभी नहीं रह सकती जिसके जीवन में मेरा होने या न होने कोई मतलब ही नहीं है, और तुम्हें अपने किए की सजा मिल रही है।
कायरा, विनय से कहती है, कि अब तुम्हें क्या सजा दे, सजा तो खुद ऊपर वाले ने ही तुम्हें दे दी है, तुम्हें तो असली विवाह का मतलब ही नहीं पता, विनय जो तुमने इतनी अच्छी लड़की के साथ ऐसा बर्ताव किया, उसकी सजा तो तुम्हे मिलनी ही थी।
पति और पत्नी एक दूसरे का आधा शरीर होते हैं,और एक दूजे के बिना जीवन बहुत दुष्कर होता है, इसलिए सभी पति पत्नियों को चाहिए कि एक दूसरे के प्रेम की इज्जत करें और हर सुख दुःख में एक दूसरे का साथ निभाएं, तभी विवाह का असली अर्थ सार्थक होगा।
विनय तुम क्या इसके अर्थ को समझोगे, कहते हुए कायरा और स्मृति वहां से चली गई, तब स्मृति ने कायरा का धन्यवाद किया, और इस प्रकार कायरा ने एक और महिला को न्याय दिलाया,
अब क्या कायरा आगे भी ऐसा ही न्याय दिला पाएगी????? अब कायरा का अगला कदम क्या होगा???????
शेष अगले भाग में......