मेला यह शब्द सुनते ही बच्चों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है,
मेला हमेशा से सभी लोगों का एक अभिन्न अंग रहा है, मेले में व्यतीत किए गए क्षण सभी को आनंदित कर देते हैं, और ये क्षण सदा के लिए व्यक्ति की स्मृति में रह जाते हैं,
हर कोई चाहे बच्चा हो या वृद्ध या फिर महिला हो या पुरुष मेले में जाने के लिए हमेशा उत्सुक रहते हैं, इन सभी में बच्चे सबसे अधिक मेले को देखने की इच्छा रखते हैं, उन्हें वहां जादू देखने और झूला झूलने से लेकर खाने की सभी चीजें बहुत पसंद आते हैं।
बच्चे मेला शुरू होने से कुछ दिन पूर्व ही मेले में जाने के सपने देखने लगते हैं, मेले कई प्रकार के होते है जिनमे कुछ धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक महत्व के होते हैं, इन मेला आयोजनों द्वारा अलग अलग स्थानों से लोग आकर मिलते है, जिससे आपसी मेल मिलाप तथा भाईचारा भी बढ़ता है।
मेला स्थल वह स्थान होता है, जहाँ किसी विशेष अवसर पर हजारों की तादाद में लोग एकत्रित होते हैं, सामाजिक ,धार्मिक एवं व्यापारिक अथवा अन्य किसी मान्यता के चलते भी मेलों का आयोजन किया जाता हैं,
मेले वहां तरह तरह की दुकाने सजी होती है, जो सभी को बहुत भांति हैं, यथा मिठाइयो, खिलौनों जादूगर मौत का कुआं, बच्चों को घुमाने वाले झूले आदि प्रत्येक मेले का अहम हिस्सा होते हैं, अधिकतर धार्मिक मेलों का आयोजन होता है, जिनका कारण कोई संत, फकीर अथवा देवी देवता होते हैं।
उस मौलवी को बिल्कुल भी कुछ याद नहीं था, वह याद करने की कोशिश करता, लेकिन फिर उस बात को भूल कर अपनी मस्ती में सभी के साथ मेले की और चले जाता, जैसे-जैसे मेला करीब आने को होता, सब का उत्साह और और बढ़ते जाता।
बच्चों की खुशियों का ठिकाना नहीं था, और ना ही उन्हें थकावट महसूस हो रही थी, और ना ही किसी तरह का कोई दर्द, वह तो अपनी मस्ती में चले जा रहे थे, इसी प्रकार बड़े बुजुर्ग भी अपनी बातों ही बातों में चले जा रहे थे,उन्हें भी किसी भी थकावट का कुछ भी पता नहीं चल रहा था।
आखिरकार इंतजार की घड़ी खत्म होती, सभी लोग मेला पहुंचते हैं, सब लोग ठंडा पानी पीकर और थोड़ा कुछ खाकर वहां थोड़ी देर विश्राम करते हैं, और फिर सभी लोग मेले में घूमते हैं।
कुछ लोग अपने भगवान, इष्ट देव के पास जाते हैं, तो कुछ दरगाह शरीफ के पास जाते हैं, बच्चे लोग तो मानो जैसे नए नए खिलौने की ओर बढ़ जाते हैं,और अपने अपने माता-पिता से उन्हें खरीदने की जिद करने लगते हैं।
वह मौलवी जैसे ही दरगाह शरीफ की ओर बढ़ता है, उसे कुछ अजीब सा अनुभव होने लगता है, और अचानक ही उसके आंखों से आंसू बहने लगते है, वह समझ नहीं पाता कि आखिर उसके साथ यह क्या हो रहा है?????
वह फिर से अपनी उसी घटना को याद करने की कोशिश करने लगता है, तो अचानक कायरा का नूरानी चमकता हुआ चेहरा उसके सामने दिखने लगता है, और वह झट से अपनी आंखें खोल देता है।
लेकिन वह समझ नहीं पाया कि आखिर कायरा का चेहरा उसे क्यों दिखा? वह फिर से अपनी आंखें बंद करके उस घटना के बारे में सोचने लगता है, तो फिर से उसे कायरा का ही चेहरा नजर आता है , और वह जो सब कुछ भूल चुका था, उसे अचानक से सब कुछ याद आ जाता है।
तब वहां एक बड़े मौलवी बैठे हुए होते हैं, वे इन गांव के मौलवी से कहते हैं, कि क्या हुआ???? तुम क्यों चिंता में हो?????
हां, तुम जिसे देख रहे हो, वह कायरा ही है, और उस भले जिन्न ने कायरा के कहने पर ही वहां का वातावरण शांत किया था।
जो तुम मूर्छित हो गए थे , कायरा के कहने पर ही तुम होश में आए थे, और कायरा के कहने पर ही उस भले जिन्न ने तुम्हारी याददाश्त को मिटा दिया था, क्योंकि कायरा नहीं चाहती थी, कि तुम वह सब कुछ याद रखें, और कायरा ने जो भी किया, वह भी तुम्हें याद ना रहे।
कायरा चाहती तो, उसी समय तुम्हारा घमंड वहीं पर चूर चूर कर देती, लेकिन वह सारे गांव वाले के सामने ऐसा कुछ नहीं करना चाहती थी, वह नही चाहती थी, कि हमारे गांव के मौलवी का सच उन गांव वालों के सामने आए।
कायरा ने वहां हुई घटना को तुम्हारे दिमाग से मिटा दिया, इसलिए तुम्हें कुछ भी याद नहीं है, और यहां पर वही लोग आ सकते हैं, जो कि दिल के साफ होते हैं, और कायरा की वजह से ही आज तुम दरगाह शरीफ तक पहुंच पाए हो, नहीं तो यहां पर तुम कभी नहीं आ सकते थे।
मंदिर हो या मस्जिद जहां भी हम जाए, बस हमें अपना दिल साफ रखना चाहिए, तभी उस स्थान पर जाना हमारा सफल होता है ।
तुम इतनी दूर से पैदल यात्रा करके आए हो, लेकिन बीच में तुम्हारे मन में लालच आ गया था, और साथ ही साथ घमंड भी, इसे कायरा ने एक झटके में चूर चूर कर दिया, तुम इस घमंड में थे, कि कोई भी स्त्री के पास में इतनी शक्तियां कभी हो ही नहीं सकती, इसलिए तुमने उनके सामान को टटोला भी नहीं, यह तुम्हारा घमंड ही तो था।
इतनी बड़ी शक्ति तेरे साथ पूरे गांव से यहां मेले तक आई ,और तु पहचान नहीं पाया, तु तो इस घमंड में था कि आखिर एक स्त्री के पास भी इतनी शक्तियां हो सकती, और वह भी इन सारी शक्तियों की मालकिन हो सकती है,
तेरा इस घमंड ही तेरी सबसे बड़ी बेवकूफी थी, कि तु औरतों को कुछ नहीं समझता था, यह सब सुनकर उसका घमंड वही चूर चूर हो गया, और उसकी आंखों से आंसू बहते ही जा रहे थे।
तु नहीं जानता कि आखिर कायरा कौन है??? और कायरा अकेली कितनी शक्तियों मालकिन है, लेकिन फिर भी रत्ती भर का घमंड नहीं है उसमें।
उस मौलवी की आंखों से पश्चाताप के आंसू बह रहे थे, मौलवी पूरी तरीके से सुधर चुका था, और वह कायरा से माफी मांगने के लिए बाहर निकला,और पश्चाताप के आंसू लिए उसकी आंखें कायरा को ढूंढने लगी।
कायरा वही बच्चों के साथ मेले का आनंद ले रही थी, और जब उन मौलवी की नजर कायरा पर पड़ी, तो मौलवी की आंखों में आंसू देख कर कायरा ने कहा कि, मौलवी तुम्हें कुछ कहने की जरूरत नहीं है, मुझसे कुछ नहीं छिपा है।
तुम्हें अपने घमंड का पश्चाताप हो गया, यही बहुत अच्छी बात है, जिस काम के लिए हम लोग यहां तक आए हैं, अब उस काम को पूरा करते है,
तब मौलवी ने कायरा का धन्यवाद करते हुए कहा कि, कायरा मुझे माफ कर दो, मैने स्त्री को कमजोर समझा ,और उनका मेरी नजर में कोई मोल नहीं था, लेकिन आज तुमने साबित कर दिया कि एक स्त्री ही इस सृष्टि का निर्माण कर सकती है, और उनके आगे दुनिया की सारी शक्तियां कुछ भी नहीं है, कहते हुए उसने कायरा से माफ़ी मांग, सभी लोग मेले का आनंद लेने में लग गए।
शेष अगले भाग में....