अरे शिल्पी तुम यहां कैसे????? क्या हुआ??????
क्या हुआ, क्या सोच रही हो???????
तुम्हें क्या लगा?????? शिल्पी चौंकते हुए.........
कायरा क्या तुम मुझे सुन सकती हो??????
देख भी सकती हो???????
हां बिल्कुल......... ठीक वैसे ही, जैसे तुम मुझे देख पा रही हो और सुन भी पा रही हो.....
यकीन नहीं होता ना, लेकिन मान लो, क्योंकि ईश्वर सिर्फ नाइंसाफी ही नहीं करता, ऐसा सिर्फ हमें लगता है, वह भी इसलिए क्योंकि हम पूरी दुनिया को अपने नजरिए से देखते हैं ,और वही सच मानते हैं, जो हमें अच्छा लगता है, सच कहे तो वह सिर्फ एक छलावा है, क्योंकि हमारी दुनिया में कुछ भी सच्चा नहीं होता, ना ही सच्चा प्यार और ना ही सच्ची नफरत जो हमें ना मिले वह बेवफा और जो हमारी ना सुने उसे नफरत।
छलावा और झूठ के सहारे कुछ समय तक तो लोगों को बेवफूफ बनाया जा सकता हैं, मगर आखिर में यह बुराई ही व्यक्ति के गले आकर पड़ती हैं, छलावा सबसे बडा धोखा है, एक बार व्यक्ति झूठा साबित हो जाने के बाद भले ही वह कितने भी सत्यवादी बनने के प्रयास करे, लोग उसकी बात पर यकीन नही करे,
जो लोग खुद को हीं भावना से देखते है, वो झूठ बोलकर अपनी इज्जत को बचाने का प्रयास करते है, कुछ लोगो को झूठ बोलने में आनंद आता है, इसलिए झूठ बोलते है, छलावा करते हैं, और यही बात वो सबके सामने बढ़ा चढ़ा कर कहते है ,इसलिए उनकी बातो पर सबको यकीन आ जाता है, कुछ लोग अपने लाभ के लिए झूठ बोलते है।
यही सच है ना सिर्फ जैसे कल तक तुम्हें अपने पति के लिए बेशुमार प्यार था, तुम उसके खुशी के लिए सब कुछ कर गुजरने को तैयार थी, और आज उससे नफरत कर रही हो, आखिर क्यों???????
खैर छोड़ो........ कहो शिल्पी, जानती तो सब कुछ हो, लेकिन सुनकर समाधान निकालना इस दूसरी दुनिया का वसूल है, इसलिए बताना तो तुम्हें अपने मुख से ही पड़ेगा।
शिल्पी , कायरा को बड़े आश्चर्य से देख रही थी, क्योंकि कल तक वह जिसे एक सामान्य लड़की समझ रही थी, वह इस दूसरी दुनिया में इतनी प्रमुख है, उसने सोचा भी नहीं था, वह सुंदर कायरा जिसे हर कोई किसी और ही रूप में जानता है, वह इतनी शक्तिशाली हो सकती है, कोई सोच भी नहीं सकता।
शिल्पी कहने लगी, कायरा पहली बात तो मुझे यकीन नहीं कि तुम ऐसे सब कैसे देख पा रही हो????? और इतना कुछ कैसे जानती हो?????
लेकिन हां तुम्हारा आभामंडल देख और बातें सुन मुझे सुकून मिल रहा है, और मैं विवश हूं तुम्हें अपनी व्यथा सुनाने के लिए.........
सच कहा कायरा तुमने, जब मैं बीमार थी तो हर पल अपने परिवार के बारे में सोचती थी, और फिर था ही कौन?????
जिसके बारे में मैं सोचती मेरा पति अर्पित जिससे मै बेइंतेहा प्यार करती थी, कुछ ही साल हुए थे हमारी शादी को, मुझे लगता था, मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते हैं, लेकिन उनके मन में तो कोई और ही बसी थी, और मैं सोचती थी कि दूसरा मेरे मायके में एक कुंवारी बहन जिसे मैं बहुत चाहती थी, जब मैं बीमार हुई तो उन दिनों दोनों की ही चिंता मुझे सताती थी, अगर मुझे कुछ हो गया तो इनका क्या होगा ??????और अपने पति से इतनी सेवा पाकर आखिर कौन पत्नी उसके खिलाफ सोच सकती है,
और हुआ भी यही जब लाख कोशिशों के बाद मैं ना बच पाई और मैंने अपने पति के बाहों में दम तोड़ दिया, तब यही ख्याल आया मन में कि ईश्वर इन पर कृपा बनाए रखें,
मैं एक बार लौटकर अपने परिवार को देखना चाहती थी, मुझे रोका गया कई बार, लेकिन मैं यही विनती करती रही की सिर्फ एक बार अपने परिवार को देख लूं, और तब मुझे सिर्फ यह कह कर छूट दी गई कि यदि उस दुनिया का काला सच जानने के लिए इतनी ही बेताब हो तो जाओ, और जब मैंने लौटकर उस कड़वे सच को देखा तो इस दुनिया से नफरत सी हो गई, कल तक जिन्हें मैं अपना प्यार समझती थी, मेरा पति अर्पित और मेरी बहन डिंपी दोनों एक दूसरे की बाहों में निर्वस्त्र पड़े हुए थे,
ऐसा लग रहा था मानो दोनों मेरी मौत का जश्न एक दूसरे को प्यार करके मना रहे हैं, दोनों एक दूसरे को आलिंगन में भर कर प्यार करे जा रहे थे।
अर्पित, डिंपी से बोल रहा था, कि जिस दिन मैं तुम्हारी बहन शिल्पी को देखने आया था, उसी दिन मेरी नजर तुम पर पड़ी, और उसी दिन से तुम मुझे पसंद थी, लेकिन घर वालों के कहने में मुझे तुम्हारी बहन शिल्पी से शादी करनी पड़ी, लेकिन मैं प्यार तो सिर्फ तुमसे ही करता था, तभी मैंने सोच लिया था कि तुम्हें पाने के लिए मुझे किसी भी हद तक क्यों ना जाना पड़े, वह मैं करके ही रहूंगा और तुम्हें पाकर ही रहूंगा और देखो आज मैंने तुम्हें पा लिया, वह डिंपी से यह सब बात कहकर डिंपी के एक-एक अंग को चुमें जा रहा था,
यह सब देख शिल्पी को बहुत क्रोध आया, जिसके लिए ना जाने क्या-क्या दुआएं मांगी थी, जिसकी सलामती और प्यार ने मुझे एक बार उन्हें देखने के लिए विवश किया, वहीं आज मेरे दर्द का कारण बन गई,
हां कायरा वाकई यह दुनिया बहुत फरेबी है, मैं यहां से देख सकती हूं, कि कैसे मेरे ही अपने पति ने मेरी ही बहन के प्यार में पढ़कर उसके साथ मिलकर मुझे बीमार किया, और मेरी बहन सेवा के बहाने मेरे पास आई, काश कि इंसान को जीते जी वह सब भी देखने की शक्ति होती जो मैं अब देख पा रही हूं,
कैसे इन दोनों ने मिलकर मुझे बीमार किया, फिर मेरे पीठ पीछे मुझे दवाई के नाम पर जहर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में देते रहें,
मैं अब देख सकती हूं कि कैसे मेरे सोने के बाद उन्होंने क्या-क्या किया, मैं यह भी देख सकती हूं कि बहन का इतना प्रेम और मेरे परिवार के प्रति इतने लगाव ने कैसे मुझे एक पल यह सोचने पर विवश कर दिया था, मैं यह सोच रही थीं कि काश मैं एक बार अपनी बहन से यह कह दूं कि तुम ही मेरी जगह इस घर में ले ले, ताकि मेरे बाद मेरे परिवार को कोई कष्ट ना हो, पर तब मैं डरती थी कि बहन कहीं बुरा ना मान जाए, लेकिन कभी सोचा ना था कि वही बहन तो खुद ही तैयारी कर रही है, मुझे मिटाकर मेरी जगह लेने की और देखो कैसे इन दोनों ने मुझे अंतिम पल तक बेवकूफ बनाया , और मैं भी उन्हीं को अपना सच्चा हितैषी समझकर बेवकूफ बनती रही।
अब कायरा, शिल्पी को कैसे न्याय दिलाएगी?????
शेष अगले भाग में..........