अचानक शहर में मची हलचल और लोगों के दिल में उठते सवाल और गली चौराह में गरीब से गरीब तपके, यहां तक कि मंदिर के सामने बैठने वाले भिखारियों तक के बीच यदि कोई बात चर्चा का विषय बनी हुई हो तो, निश्चित तौर पर यह संकेत देती कि शहर में निश्चित किसी भले मानुष को ठगा गया है, या कोई अनहोनी हुई है, जिसने सामान्य जनमानस के मन में भी असुरक्षा की भावना उत्पन्न कर दी है।
ऐसा ही कुछ हुआ था, उस दिन कांति सेठ के संपूर्ण व्यापार पर अपना अधिकार सिद्ध करते हुए जब उनके सौतेले भाइयों ने यह कह कर अपना अधिकार जमाना चाहा कि यह संपूर्ण जायदाद और व्यापारिक संपत्ति को सभी भाइयों में बराबर बराबर हिस्सों में बांट दिया जाए, यहां तक कि दोनों सौतेली बहन ने भी जिनके नाम से पहले ही कांति सेठ ने दो-दो कंपनियां करवा रखी थी, वह भी अब खुलकर अब मैदान में आ उतरी, और उस हिस्से में अपनी दावेदारी करने लगीं, जिस पर उनका कोई हक था ही नहीं।
इन सब की सूचना से अनजान कांति सेठ जब सुबह सो कर उठे, और भजन-कीर्तन पूजन के पश्चात किसी मसले को लेकर अपने कर्मचारियों से चर्चा कर ही रहे थे, कि तभी वकीलों का एक दल कागजातों के साथ आ धमका, और उन्होंने यह सारी घटना की जानकारी कांति सेठ को दी,
और अब तक किसी नए निर्णय को लेने की साफ मनाही कर दिया, जब तक कि कोर्ट का फैसला ना हो जाए, इस दौरान सभी प्रकार के बैंक लेन देन, जरूरी खर्चो को छोड़कर, यहां तक की कांति सेठ को शहर के बाहर भी जाने की अनुमति का आदेश दे दिया गया हो।
उस समय ऐसा आदेश देख सभी कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के मन में गुस्से के साथ भारी आश्चर्य भी था, क्योंकि वे भली-भांति जानते थे कि यह व्यापार कांति सेठ ने उस सबसे छोटे हिस्से को लेकर शुरू किया था, जो उनके पिता ने सिर्फ चंद दिनों का खर्चा समझकर उन्हें शहर जाकर नौकरी करने के लिए खर्च के रूप में दिया था।
उस समय के मात्र दो हजार रुपए, जिसे लेकर एक छोटी सब्जी की दुकान से शुरुआत करने वाला कांति सेठ आज कांति इंडस्ट्रीज का मालिक है, और जिन भाइयों को करोड़ों की जायदाद उस समय मिली थी, वह आज दूसरी कंपनी में नौकरी करने को विवश है ।
तब भी कांति सेठ के साथ धोखा किया गया था, और अब भी......
पूरा शहर इस घटना से बड़े ही आश्चर्य चकित और मिश्रित गॉसिप के साथ घिरा हुआ था, लेकिन इन सबसे बढ़कर एक बड़ा आश्चर्य यह था, कि कंपनी पर केस होने के बावजूद ना किसी कर्मचारी ने अपना काम रोका, और ना ही शेयर मार्केट में शेयर मूल्य एक रुपए भी कम हुआ।
हां यह बात और है कि मूल्य में बढ़ोतरी अवश्य रुक गई, अब सब इंतजार कर रहे थे कोर्ट के फैसले का, लेकिन हकीकत सब जानते थे, इसलिए सभी शांतिपूर्वक निर्णय का इंतजार कर रहे थे।
इसी बीच कोई भी परिवर्तन ना देख सत्य मार्ग से भटके हुए भाई बहनों से कांति सेठ की शांति और सादगी दोनों ही बर्दास्त ना हुई, और वे एक दिन उनके घर आ धमके, और कुछ ऐसा कह दिया जो उनकी सहनशक्ति से परे था, और अक्सर ऐसी बातों का भान अपने बहुत करीबी लोगों को ही होता है, जिसके कहने पर सबसे ज्यादा हताहत ऐसा व्यक्ति हो सकता है, क्योंकि वही जानता है अपनों की कमजोरी ।
और शायद इसी कारण उस बात को कांति सेठ बर्दाश्त ना कर पाए, और बिना कुछ किसी से कहे, सब कुछ छोड़ घर से निकल पड़े।
थोड़ी दूर पर जाकर वे अचानक बेहोश होकर गिर पड़े, जिन्हें लोक लज्जा के कारण चंद रिश्तेदारों ने उठाकर वहीं शहर के सरकारी अस्पताल में भर्ती करा दिया, लेकिन शायद लोगों की जिंदगी बनाने वाले कांति सेठ की दवाओं के लिए भी उन रिश्तेदारों के पास पैसे नहीं थे, जिन्होंने ना जाने कितनी दफा मोटी मोटी रकमें मदद के तौर पर ली थी,
चूंकि स्थिति कोमा की थी, इसलिए रिश्तेदारों ने सोचा कब तक बोझ उठाए, एक रात्रि उन्हें अकेला छोड़ कर बिना कोई पता दिए, दुसरे अस्पताल में लाकर एडमिट करा दिया ,और तब शुरू हुई कांति सेठ की गुमनाम जिंदगी....
उनके प्रमुख सेवक गणों ने, जो उनका मूल्य भली-भांति जानते थे, उन्हें शहर से बहुत दूर यहां गांव में लाकर सरकारी अस्पताल में भर्ती करा दिया, कांति सेठ ने अपने जीवन में अनेकों बच्चों को शिक्षा प्रदान करने में सहयोग किया, जिनमें बहुत से कलेक्टर, डॉक्टर , इंजीनियर और न जाने कितने पदों पर आसीन थे।
उन सभी ने मिलकर इस अस्पताल में आकर अपने बड़े-बड़े पदों को संयुक्त रुप से कांति सेठ की सेवा शुरू की, ऐसे ही एक गरीब आश्रित सेवक तो तंत्र विद्या का स्वामी था, उसे जब अपने मददगार की ऐसी स्थिति का ज्ञान हुआ तो उससे रहा नहीं गया, और उसने उस सदी की सबसे शक्तिशाली अद्भुत शक्ति कायरा का आह्वान किया और नतमस्तक हो मदद की गुहार लगाई।
कायरा ने सारी बात सुनने के बाद अपनी समस्त मददगार सखियों को काम पर लगाया, मैं यहां सब कुछ देख रही थी, कितनी खूबसूरती और समझदारी से कायरा ने हर किसी को काम बांटा था, खुद जाकर सबसे दूर शहर में रहने वाले उस बड़े वकील से मिली, जो इतने बड़े पद पर कांति सेठ की मदद से ही पहुंचे थे।
ऐसे ऐसे सबूत, यहां तक कि पुराने से पुराने कागजात भी लाकर उन वकील को दिए, कि आज मजबूरन कोर्ट को कांति सेठ के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उनके रिश्तेदार को जालसाझी के आरोप में जेल की सजा सुनानी पड़ी।
जब मेरी मित्र कायरा इतना कुछ कर रही थी, तब इस भले मानुष के लिए मेरा भी कुछ करना बनता ही था, मैंने उसको ही कांति सेठ की स्मृति से हटा दिया, जिस बात ने उन्हें सबसे ज्यादा प्रभावित किया था, आसपास हवाओ में औषधि की खुशबू बिखेर दी,और अपनी शक्ति का थोड़ा सदुपयोग कर उनके शरीर की नसों को पुनः जीवित कर दिया, और देखते ही देखते उनकी हालत में सुधार होने लगा।
और इस तरह उन सेवकों की सेवा आज सफल हुई, रिश्तेदारों ने ढूंढ ढूंढ कर कांति सेठ का पता लगाया और पुनः अपनी स्थिति को पा चुके कांति सेठ के पास आकर झूठा दिखावा करने लगे, लेकिन कांति सेठ को बराबर याद था, वह हर व्यवहार जो उनके साथ किया गया था।
उन्हें उनके सेवक गणों की सेवा और उनका त्याग भली भली भांति याद था, कायरा ने उन्हें सारी बातें और उनके तांत्रिक सेवक की प्रार्थना भी कह सुनाई, कांति सेठ ने आंखों में आंसू लिए ईश्वर को धन्यवाद कहे, अपने सेवकों को पुनः लौट जाने का आदेश दिया।
लेकिन सरला उर्फ सैफी और गगन उर्फ गणेश राम पटेल जिन्होंने अपना सब कुछ दाव पर लगा कर उनकी सेवा कि उन्हें अपने पास रख लिया,
सोनम सिस्टर और मोहित डॉक्टर जो यह सारी बातें सुन चुके थे, उनकी आंखें आंखों में आंसू भर आए, सोनम सिस्टर की आंखों में आंसू का प्रमुख कारण ऐसा सेवा भाव और आदर्श भक्ति थी, तो वही मोहित डॉक्टर की आंखों में यह सोचकर आंसू थे, कि जिसने उनका जीवन बनाया, वह उन्हें कैसे ना पहचान पाया????
और फिर अचानक जनता के बीच खुशी की लहर दौड़ आई, क्योंकि कांति सेठ ने दुगने दर पर अस्पतालों का निर्माण करवाना शुरू किया, जहां किसी भी गरीब को इलाज के लिए परेशान होना ना पड़े, और इसकी बागडोर सोनम सिस्टर के हाथ में सौंप दी।
लेकिन मेरी मित्र कायरा की चुनौतियां कहां समाप्त होने वाली थी......
शेष अगले भाग में......