मेरी चिंता का विषय यह नहीं है, कि मेरे बाद इस कुनबे का क्या होगा???? या मेरा घर कौन चलाएगा????
यह सब सोचना बेकार की बातें हैं, क्योंकि कायरा मेरे लिए बेटा और बेटी दोनों ही है, या यूं कहूं कि मेरे बेटे से कहीं ज्यादा बढ़कर है ,
क्योंकि इतना प्यारा व्यवहार जो इंसानों के अलावा इन भेड़ों को भी अपने मोहपाश में बांध कर रखे, वह भी इतनी पवित्रता से ऐसा तो शायद विरले ही कोई होगा।
कायरा के जन्म के समय मैं असमंजस में था, महज दस भेड़ों को लेकर मैं अपने परिवार का भरण पोषण कैसे कर पाऊंगा????? लेकिन दूसरे ही दिन से जैसे चमत्कार हो गया, एक साथ मेरे भेड़ों की झुंड में चार भेड़ों ने और जन्म लिया,
और उसी प्रकार देखते ही देखते महज कुछ ही सालों में आज इतना बड़ा झुंड मेरे पास मौजूद है, कि अब मुझे भेड़ों को बेचने की जरूरत ही नहीं पड़ी।
ऊन का व्यापार ही इतना अच्छा है, कि आज सबसे ज्यादा ऊन हमारे खेमे से जाता है, आज तक एक भी भेड़ बाड़ा छोड़कर नहीं गई, और ना ही कहीं खोई, यह सब कायरा की ही देखरेख का नतीजा है।
कायरा ने अपने उम्र के महज तीन साल से ही, जबकि बच्चे खिलौने से खेलते हैं, मेरी भेड़ों को खिलौने की तरह संभाल कर और सहज कर रखा, जिसका परिणाम यह है कि आज मैं अपने साथ अपने चार वफादार दोस्तों (नौकर) का भी घर चला सकने में समर्थ हूं।
फिर भला मैं कैसे अपनी प्यारी बिटिया को किसी अनजान के साथ बिना जांच परख के सौंप दूं, यह अधिकार उसका है, और मैं उससे बिना पूछे कोई भी निर्णय नहीं ले सकता हूं, उसकी स्वीकृति लिए बिना मैं कोई भी निर्णय ले पाने में असमर्थ हूं, और माफ करिएगा, मुझे ऐसा लगता है कि जब मुझे यह रिश्ता समझ ना आया तो कायरा की बात ही और है।
यह कहते हुए वे हाथ जोड़कर खड़े हो गए, उनका जवाब सुन, आए हुए मेहमान में एक बुजुर्ग सदस्य मुस्कुराते हुए कहने लगे।
मैं जानता था कि जवाब यही होगा, लेकिन भला किसे हीरे की चाहत नहीं होती, और फिर जब बात कोहिनूर से बढ़कर हो तो, वाकई कायरा के बारे में जैसा तुम कह रहे हो, वो उससे भी ज्यादा कहीं बढ़कर है।
हम ही नहीं, आसपास के कितने गांव में चर्चा है उसकी, इतनी खूबसूरत संस्कारवान और ऐसी मिलनसार जो प्रकृति का भी मन मोह ले, और कुछ हद तक ईश्वरी शक्तियों की मालकिन भी है,
सुनने में आया, ऐसा कहते हैं कि एक दफा गांव के बाहर रहने वाली बुढ़िया जब ज्यादा बीमार थी , यहां तक कि वहां चलने फिरने से भी असमर्थ हो गई थी, और उसे अचानक चक्कर आने पर जब वह बावड़ी के किनारे गिर गई, और बेहोश होकर पड़ी थी, तब कायरा ने उसे स्पर्श मात्र से ही ठीक कर दिया था।
ऐसा कहा जाता है कि कायरा के स्पर्श से ना सिर्फ वह ठीक हुई, अपितू उसकी सारी कमजोरी और सभी बीमारियां भी समाप्त हो गई।
अगर मैं सच्ची बात कहूं ,तो मैं यहां अपने पोते के लिए बहू नहीं, वरन पत्नी के लिए वैध की तलाश में आया था, वहां बैलगाड़ी के भीतर मेरी पत्नी मेरे साथ आई है, और वह सोच कर आई है, कि यदि आप मान जाते तो आज ही बतौर नेक के वह अपना पुस्तैनी कंगन कायरा को पहना शायद कायरा के पवित्र रिश्ते से ठीक हो जाए,
क्योंकि काफी दिनों से वह किसी गंभीर समस्या से जूझ रही थी, लेकिन कोई बात नहीं, शायद मेरी कायरा को बहू बनाने की ख्वाहिश एक अधूरी इच्छा के रूप में शेष रही, व्यक्ति असफलता के डर से प्रयास ना करें या भला कहां तक उचित है, यही सोच कर मैं आया था।
वे इतनी बातें कर ही रहे थे, कि तभी उधर से कायरा का आगमन हुआ, वह चंद मेमने के साथ उनके सरदार की तरह टहलते हुए आ रही थी, कि उसकी नजर उस बैलगाड़ी पर पड़ी, और अनायास ही वह बैलगाड़ी के पास जा रुक गई।
किसी बूढ़ी महिला को देख उसने उसका परिचय पूछा और अपना हाथ बढ़ा, उन्हें गाड़ी से नीचे उतरने को कहा, कायरा के चेहरे का नूर देखकर वह महिला इंकार ना कर सकी, और उसने अपना हाथ कायरा की ओर बढ़ा दिया,और फिर तो बड़े आश्चर्य की बात है, या यूं कहें कि जैसे चमत्कार सा हो गया।
जिस महिला को अभी तक अपने स्थान से हिलने डुलने में दो लोगों का सहारा लेना पड़ता था, वह किसी बच्चे की तरह बेखौफ, बिना किसी सहारे के बैलगाड़ी से उतरकर नीचे आ गई।
वह समझ गई थी, कि वह जो सोच कर आई थी, उस कार्य में सफल होगी, लेकिन आसपास अपने पति, बेटे और पोते को न देख पूछने लगी.....
तुम कायरा हो ना , और यहां कैसे ?????कायरा ने हंसते हुए जवाब दिया, जी हां, मैं ही कायरा हूं, और यह सारे मेमने और वह सामने वाला घर हमारा ही है, लेकिन आप यहां किसके साथ आई ,और गाड़ी में किसका इंतजार कर रही हो???
आइए आपको घर लेकर चलती हूं, बाबा से मिलकर खुशी होगी, थोड़ा जलपान लीजिए, फिर आपके पति और बेटे को भी ढूंढ लेंगे, कहते हुए वह उन्हें अपने घर की ओर चली पड़ी।
वह बूढ़ी महिला तो जैसे अब अपने आप को किसी फूल की तरह महसूस कर रही थी, और कायरा को ऐसे ताक रही थी, जैसे कोई बच्चा अपने मनचाहे खिलौने को ताककर देखता हो, उसके मन में कायरा को लेकर ना जाने कितने ही ख्वाब बुने,
लेकिन कायरा सब कुछ जानते हुए भी अनजान थी, अपने मस्ती में उन्हें मेमनों के नाम बताते हुए चले जा रही थी।
इधर वह बुजुर्ग कायरा के पिता से बातें कर रहे थे ,और दूसरी ओर कायरा ने उन महिला के साथ घर में प्रवेश किया और चौंकते हुए कहने लगी, बाबा ये यहां सामने बैलगाड़ी में थी, मुझे लगा कि परेशान होगी ,इसलिए अपने साथ ले आई, उनके पति और बेटे भी यहीं कहीं आए हैं,
कहते हुए अतिथियों को देख कायरा ने उन्हें प्रणाम किया , और उस बुढ़िया के चेहरे पर चमक देख कहने लगी, क्या ये वही लोग है??
अरे वाह तब तो अच्छा है, अब खोज की जरूरत नहीं, लेकिन जब आप इनके साथ आए ही थे, तो भीतर क्यों नहीं आए???? बुढ़िया के इस तरह पूर्व स्वस्थ हो खड़े होने और उन पर बीमारी का एक भी चिन्ह न देख बूढ़ा खुशी के मारे झूम उठा, और कहने लगा।
खुशनसीब हूं मैं , जो खाली हाथ ना लौटना पड़ा, कायरा मैं अभी तुम्हारी ही बात, तुम्हारे बाबा से कह रहा था, और यही कह रहा था कि, काश तुम एक बार इनसे मिल लो,
कहते हुए उन्होंने उन महिला की ओर इशारा किया, और देखो क्या खूब बात हुई, कि नसीब से तुम खुद ही उन्हें साथ लेकर आ गई।
भला क्या कोई कह सकता है, कि वह पिछले कितने ही दिनों से बिस्तर पर पड़ी रही होगी, लेकिन कायरा तुम्हारे स्पर्श से ही अभी पूर्ण स्वस्थ है।
धन्य हो तुम, तुम्हारी शक्ति और मासूमियत ऐसी ही बनी रहे, अब बाकी का जवाब हमने सुन लिया है, खुश रहो बेटी कहते हुए वे वहां से चल पड़े ।
शेष अगले भाग में......