कातिल हसीना (एलिना)- 51
आखिर क्या बात है सिस्टर???? आज अचानक इस छोटे से सरकारी हॉस्पिटल में इतनी हलचल क्यों हैं????
और सुबह से यहां की टेलीफोन की घंटी हमारे क्वार्टर तक सुनाई दे रही है, यह है कि एक मिनट भी रखने को तैयार नहीं, लगातार बजते ही जा रही है,
और जहां तक मैं जानता हूं, मेरी जानकारी में कोई ऑफिशियल विजिट भी नहीं है, और ना ही कोई बड़ा मंत्री संत्री आने वाला है, फिर आखिर क्या कारण है?????
कल तक जिस नौ नंबर केबिन में मेरे और आपके अलावा सिर्फ सफाई वाला गगन दिखता था, ना तो उस गरीब के कोई रिश्तेदार थे, और ना ही उसे कोई देखने वाला फिर आज अचानक इतने लोग कहां से आ गए????
यह कोई सपना है या हकीकत है, जो भी हो चौकीदार को बुलाओ, और बोल दो... हॉस्पिटल में सिर्फ रोगी के साथ कोई एक ही आदमी आ सकता है, और नौ नंबर केबिन में बिना इजाजत के कोई भी ना जा पाए।
मैं जा रहा हूं कुछ जरुरी काम हैं, कुछ दवाइयां लाना बहुत जरूरी है, बदलते मौसम को देखकर यदि इमरजेंसी हो तो खबर करना, मैं तुरंत लौट आऊंगा, कहते हुए डॉक्टर साहब ने अपना आला उठाया और चल पड़े।
तभी उन्हें सामने से गगन आता हुआ नजर आया, उसने आते ही नमस्कार डॉक्टर साहब के साथ दवाई और इंजेक्शन की एक थैली उनके हाथ में पकड़ा दी, और बोला सर देखो ना यही दवाइयां लगेगी ना, मैं अपने कहे अनुसार सब ले आया हूं, और क्या सुधार है उनकी तबीयत में....
सेठ जी ठीक तो हो जायेगे ना?????वह बड़ी मासूमियत से डॉक्टर की तरफ देख कर बोला, ना जाने उनके क्या मन में आया, वह बोले हां सब ठीक है,,तुम जल्दी से सारी दवाई लेकर आ जाओ, हमे शहर चलना है, बड़े हॉस्पिटल से कुछ दवाइयां लेकर आना है,
सोच रहा हूं.... तुम भी अगर साथ चलते तो सफर अच्छा होता,
गगन मारे खुशी के हां.... हां...... सर बिलकुल, क्यों नहीं.... आप कहे और हम ना चले, आपका तो एहसान है हम पर, और वैसे भी आपकी बात टालने का कोई औचित्य ही नहीं, कहते हुए वह बड़े शान से हॉस्पिटल की ओर चले आया और सिस्टर को दवाइयों की थैली थमा बड़े गर्व से बोला, सिस्टर सर बोले हैं साथ चलने को... बड़े हॉस्पिटल से कुछ दवाइयां लाना है, अगर आपको कुछ लाना हो तो बता दीजिए।
सिस्टर मुस्कुराते हुए.. नहीं गगन कुछ नहीं...... लेकिन हां एक खुशखबरी है, आज अचानक तुम्हारे सेठ जी से मिलने के लिए लोगों की भीड़ इकट्ठी होने लगी है, और बढ़ते ही जा रही है, और यहां तक कि बड़े-बड़े लोगों के फोन भी आ रहे हैं, आखिर कौन है यह पेशेंट????? अब तो हमें बता दो??? और आखिर तुम्हारा क्या रिश्ता है इनसे???? जो तुम पिछले कितने दिनों से उनके लिए दवाइयां लाकर देते हो, जबकि दी जाने वाली सैलरी से एक परिवार चलाना भी मुश्किल है।
गगन अचानक चौंककर क्या बोले सिस्टर.... फ़ोन आ रहे हैं किसके???? क्या आप किसी एक का नाम बता सकते हो???? सिस्टर भी सबसे ज्यादा उत्सुक थी, क्योंकि वह खुद भी आ जानना चाहती थी, कि अचानक इतनी पूछ परख बढ़ जाने के पीछे क्या कारण है???? वह भी उस मरीज के जिसे कल तक कोई झांककर भी नहीं देखता था।
उसने रजिस्टर पलटा कर दो-तीन नाम बताएं...
दीपेश, रविश और अनिमेश....
क्या बोले सिस्टर फिर से बोलो....अनिमेश.... हां भाई अनिमेश ही... देखो मैंने रजिस्टर में यह तीन नाम लिख रखे हैं,कहते हुए वह रजिस्टर उठाकर गगन को दिखाने लगी, तभी गगन ने नही सिस्टर , मैं इन्हे जानता हूं, क्या मैं एक फोन लगा सकता हूं???? थोड़ा जरूरी है, यदि आपकी अनुमति हो तो????
हां, हां.... बिल्कुल..... क्यों नहीं, आखिर तुम भी हॉस्पिटल के ही सदस्य है , या यूं कहूं कि उसे ज्यादा बढ़कर हो, बिल्कुल लगा लो, कहते हुए उसने रिसीवर गगन की और बढ़ाया।
गगन ने बड़ी तेजी से एक अजीब सा नंबर डायल किया और उधर से आते ही गगन ने अपना परिचय देते हुए कहा।
हेलो गणेश राम पटेल इक्कीस नंबर, क्या आप मुझे फाइल नंबर बत्तीस का स्टेटस बता सकते हो????उसका ऐसा परिचय सुनते ही सिस्टर का थोड़ा झटका सा लगा, क्योंकि गगन का यह नाम उसमें पहली बार सुना और इस तरह बात करना भी पहली बार ही देखा था,
काउंटर पर बैठे सभी लोग गगन की ओर देखने लगे, दूसरी तरफ से आवाज आई, मुझे मालूम था कि तुम्हारा फोन अवश्य आएगा, इसलिए मैं आज सुबह से इस जगह से हिला भी नहीं हूं, बस इतना कहूंगा तुम्हारी सेवा और दुआ दोनों रंग लाई, और हम इस केस को जीत गए, जल्द ही मैं बाकी कागजात के साथ तुम्हारे बताए हुए पते पर मिलता हूं।
केस जीतने की सूचना शायद उनके रिश्तेदारों को मिल गई है, इसलिए जरा संभलकर कुछ को तुम्हारी बातें शायद बुरी भी लग सकती है,जल्द मिलता हूं अपना और उनका ख्याल रखना कहते हुए सामने से फोन कट गया।
गगन के फोन रखते ही सिस्टर ने गगन की ओर देखा , और बोली गणेश राम पटेल नंबर इक्कीस.....
मतलब क्या है तुम्हारा????? गगन आज तक यह नाम नहीं सुना हमने , आखिर कौन हो तुम???? और यह मरीज कौन है???सच सच बताओ और यह किस को फोन लगाया तुमने ????सच कहो हमसे....
कम से कम कोई तो बताए भाई , यह क्या चल रहा है?????सुबह से इतने कॉल... ऊपर से तुम्हारा परिचय?? दिमाग पंचर हो रहा है, आखिर हो क्या रहा है???
तुम बताओगे या मैं फ़िर से डायल करके पूछ लूं????
नहीं इसकी जरूरत नहीं है, सोनम सिस्टर, मैं ही हूं गणेश राम पटेल हूं, और जिस मरीज की लोग खबर ले रहे हैं, अर्थात केबिन नम्बर नौ, वह भी कोई साधारण मरीज नहीं है, सिर्फ वक्त और परिस्थितियों ने हम दोनों को लाकर यहां खड़ा कर दिया।
चूंकि आप सब ने हमारा साथ दिया और हर संभव मदद कि मुझे अपने परिवार की तरह समझा, इसलिए आपके जानने का पुरा हक है, यह वास्तव केबिन नम्बर नौ का मरीज कोई और नहीं, अपितु वह वह इंसान है जिसने अपना पूरा जीवन लोगों की मदद करते हुए गुजार दिया,कभी अपने बारे में नहीं सोचा।
लेकिन इनके साथ कुछ अच्छा नहीं हुआ, आखिर कौन हैं वह केबिन नंबर नौ का इन्सान?????
और गगन का क्या राज है??गगन उनको कैसे जानता है?????
शेष अगले भाग में........