अर्पित ने मिहिका से कहा कि.........
मिस्टर गुप्ता तुम्हारे बॉस कैसे हैं?????
अच्छे हैं?????
अचानक तुम्हें उनकी याद कैसे आ गयी?????
तुम्हारी इस हालत में सबसे अधिक तकलीफ तुम्हारे बॉस को ही हुई होगी।
मिहिका ने कहा, मैंने अभी इस बारे में कुछ सोचा ही नहीं,
अर्पित ने अखबार खोल दिया, उसे पढ़ने के बहाने वह लगातार मिहिका के साथ बातें करने से बचता रहा,
मिहिका अपने कल्पनाओं में डूबी थी, अचानक उसे वह सब मिल गया था जिसकी उसने आस ही छोड़ दी थी, आज उसे अपने अलावा कुछ भी नहीं सूझ रहा था, वह सोचने लगी आज यदि उसकी सास जिंदा होती तो कितनी खुश होती, पिछले साल पोते की आस मन में लिये वह इस दुनिया से चली बसी।
भविष्य की कल्पनाओं में डूबी मिहिका को कब नींद आ गयी पता न चला, सुबह से वह फिर अपने काम में व्यस्त हो गयी, कुछ देर बाद वे दोनो ऑफिस चले गये, शाम को भी अर्पित ने अपने घर आने वाले नये मेहमान के प्रति कोई जिज्ञासा नहीं दिखाई,
पुरुष के मन को न समझ पाने के कारण मिहिका भी इस विषय में चुप ही रही ,वह अपनी सारी बातें ऑफिस में अपनी सहेली सोनिया से बांट लेती, तीन महीने बीत गये,
मिहिका महसूस कर रही थी, कि अर्पित दिन प्रति दिन गुमसुम होते जा रहे थे, घर पर वह मिहिका से उतनी ही बात करते जितनी बहुत जरूरी होती, मिहिका इसका कारण नहीं समझ पा रही थी....
परेशान होकर मिहिका ने इस बारे में अर्पित के दोस्त दिवाकर से बात की, मुझे समझ नहीं आ रहा है, अर्पित को क्या हो गया है ????
यही मैं तुमसे पूछने वाला था भाभी??????पिछले तीन महीने से उनका व्यवहार एकदम बदल गया है ,घर पर कुछ अनबन तो नहीं हुयी या फिर कोई बाहर का आदमी तुम्हारे बीच में तो नहीं आ गया ??????
नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, हां बाहर से तो नहीं पर घर में नया मेहमान आने वाला है,
सच भाभी , यह तो खुशखबरी है.....
पर पता नहीं क्यों अर्पित की इस हालत के कारण मुझे अजीब सा लगता है, उसे बच्चे के आने की कोई खुशी नहीं है,
भाभी तुम चिंता मत करो , मैं उसे समझाउंगा,
यह खबर सुनकर मन खुश हो गया,कहकर दिवाकर चला गया,
मिहिका के ऑफिस में भी यह बात फैल गयी थी कि मिहिका मां बनने वाली है,
मिहिका के बॉस मिस्टर गुप्ता उसका विशेष ध्यान रखते, कभी उसे घर तक छोड़ देते,
अगले दिन दिवाकर और अर्पित की भेंट हो गयी, दिवाकर उसी का इंतजार कर रहा था,
क्या बात है अर्पित , बड़े चुप और उदास से दिख रहे हो,
नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है ।
बधाई हो अर्पित.....तुम पापा बनने वाले हो....
तुम्हें किसने बताया ????ऐसी खुशखबरी कहीं छुपती है???
मुझे जैसे ही पता चला तुरन्त यहां आ गया,
तुमने यह बात मुझसे छुपाई क्यों ????
बता भी देता तो क्या फर्क पड़ जाता ??????
यह तुम क्या कह रहे हो ??????
तुम्हारी शादी के पूरे सात वर्ष बाद यह खुशखबरी तुम्हें प्राप्त हुई है, खुशकिस्मत हो तुम अर्पित जो यह शुभ दिन देखने को मिल रहा है ।
खुशकिस्मत तो मिहिका है , जो मां बनने के सपने को हकीकत बदलते देख रही है ।
कैसी बात कर रहे हो तुम ? मिहिका तुम्हारी पत्नी है और तुम्हारे बच्चे की मां बनने वाली है । ऐसे समय तुम्हें खुद खुश रहकर भाभी जी को भी खुश रखना होगा अर्पित,
वह तो मां बनने की खुशी में बहुत उत्साहित है, मेरी खुशी से उसे क्या फर्क पड़ता है ? तुम पर ईश्वर की मेहरबानी है अर्पित, जो तुम्हें ऐसी पत्नी मिली है, कोई और होता तो इस वक्त तुम्हारे रूखे व्यवहार से अवसाद में घिर सकता है ।
अर्पित शांत शांत सा रहने लगा, मिहिका ने कई बार उससे पूछने की कोशिश की, कि आखिर तुम बच्चे के आने की खुशी क्यों नहीं है??? इतने सालों से हम लोग इंतजार कर रहे थे, और जब नया मेहमान घर आने वाला हैं, तो तुम इतने रुखे रुखे से रहते लगे हो,
अर्पित को मिहिका के चरित्र पर शक था, उसे ऐसा लगता था कि यह बच्चा उसका नहीं है, शायद उसे उम्मीद न थी कि वे कभी मां - बाप बन सकेंगे ,तभी तो हकीकत को सामने देखकर भी वह स्वीकार करने के लिये तैयार न था ।
बात छुपने वाली नहीं थी, एक दिन यह बात मिहिका को पता चल जाती है, खुद अर्पित ने ही मिहिका से कहा कि यह बच्चा मेरा नहीं है, या किसी और का बच्चा तुम अपनी कोख में पाल रही हो,
और यह सुनकर मिहिका को बहुत बड़ा झटका लगता है, मिहिका को अर्पित से सपने में भी ऐसी उम्मीद न थी,
अर्पित के द्वारा मिहिका पर शक किया जाना और उसके इस रूखे व्यवहार से मिहिका ने अपने आप को खत्म करने की ठानी,
मिहिका वह घर छोड़कर नदी में डूबकर अपनी जान देने के लिए चली गई, लेकिन यह बात एलिना को पता चल जाती है, तब कायरा, मिहिका को जाकर बचा लेती,
मिहिका ने रोकर अपनी सारी बाते कायरा से कहीं, तो कायरा ने कहा, तुम यह सब मुझ पर छोड़ दो, अब अर्पित को कैसे ठिक करना है, मैं जानती हूं......
कायरा ने कहा, मिहिका तुम घर जाओ, और कैसे भी करके अर्पित को मनाओ और उसे जांच करने के लिए डॉक्टर के पास एक बार लेकर आओ, डॉक्टर की रिपोर्ट के अनुसार अर्पित में भी कमी थी, जिसे दवा के सेवन से दूर किया जा सकता था, संतान की आस छोड़कर अर्पित ने दवाई से किनारा कर लिया था, ऐसे में बच्चे की संभावना ने शायद अर्पित को कहीं बहुत गहरे आहत कर दिया था ,
हो सकता है अर्पित ने इसलिए तुम्हारे चरित्र पर शक किया हैं,
तब मिहीका बोली, इसी बात की तो पुष्टि करनी है ।
मिहिका ने अर्पित से कहा की एक बार तुम्हें और मुझे जांच करने के लिए डॉक्टर के पास चलना है,
कैसी जांच????? मुझे नहीं जाना, कोई जांच करवाने???
नहीं तुम्हें मेरे और बच्चे की खातिर आज डॉक्टर के पास जाना होगा अर्पित,
इस बार अर्पित ने कोई प्रतिकार नहीं किया, डॉक्टर के पास जाकर थोड़ी देर मे जांच पूरी हो गयी, रिपोर्ट एक हफ्ते बाद आनी थी ,
मिहिका ने जानबूझकर अर्पित को ही रिपोर्ट लाने भेजा था, वह उस समय बुरी तरह चौंक गया ,जब उसके हाथों मे
डी. एन.ए.रिपोर्ट आयी,
उसे पढ़कर अर्पित की आंखे फैली रह गयी, शक की कोई गुंजाइश न थी, मिहिका के मन से भी आज बहुत बड़ा बोझ उतर गया था, शाम को अर्पित ऑफिस से आया तो बड़ा आश्वस्त लग रहा था, उसका खोया हुआ आत्मविश्वास लौट आया था, उसकी आंखों में आंसू थे, और वह अपना पश्चाताप करना चाहता था, इसलिए बार-बार मिहिका से माफी मांगे जा रहा था, मिहिका मुझे माफ कर दो, मैंने तुम्हारे चरित्र पर शक किया है, तुम इसके लिए मुझे जो भी सजा दोगी, मुझे मंजूर है, कहते हुए वह फूट-फूट कर रोने लगा।
तब मिहिका कहने लगी इन सब का धन्यवाद हमें कायरा को करना चाहिए, क्योंकि कायरा ने ही मुझे यह सब करने के लिए कहा था....
और मन ही मन में ही मिहिका ने कायरा को धन्यवाद कहा, और कहा कि तुमने मेरी जिंदगी बर्बाद होने से बचा ली।
वही अर्पित आज अपने व्यवहार और पत्नी पर अविश्वास के कारण खुद पर बहुत ग्लानि हो रही थी, मां बनने के सुखद एहसास को जहां खुशी कई महीनो से महसूस कर रही थी, वहीं पिता बनने का गर्व एवं जिम्मेदारी का अहसास आज पहली बार अर्पित के चेहरे एवं चाल - ढाल से परिलक्षित हो रहा था........
आज फिर कायरा ने एक घर बर्बाद होने से बचा लिया,
अब कायरा का अगला कदम क्या होगा????????
शेष अगले भाग में........